धर्मशाला: हिमाचल सरकार ने वर्ष 2022 तक प्रदेश को टीबी रोग मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इसके तहत स्वास्थ्य विभाग की ओर से आयोजित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को टीबी की जांच करवाने का आह्वान किया जा रहा है.
इसी कड़ी में अब आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्रों में टीबी का संभावित मरीज आने पर उसमें टीबी के लक्षणों की पहचान कर उसके बलगम सेंपल लेना सुनिश्चित किया जाएगा. हालांकि बलगम की जांच और अन्य इलाज संबंधी प्रक्रिया स्वास्थ्य विभाग द्वारा पूरी की जाएगी. यही नहीं इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयुर्वेद विभाग को आवश्यक उपकरण भी उपलब्ध करवाए जाएंगे.
ऐसे में कहा जा सकता है कि प्रदेश से टीबी मुक्त बनाने के लिए एलोपैथी और आयुर्वेद विभाग एक साथ काम करेंगे. जिला कांगड़ा में 250 के लगभग आयुर्वेदिक हेल्थ सेंटर हैं. इन सेंटर्स में यदि कोई टीबी का मरीज इलाज के लिए जाता है, तो वहां से उसके बलगम के सेंपल लेकर स्वास्थ्य विभाग के संस्थानों में जांच के लिए भेजे जा सकेंगे.
वहीं, सीएमओ जिला कांगड़ा डॉ. गुरदर्शन गुप्ता का कहना है कि इलाज के लिए लोग किस हेल्थ फेसिलिटी में जाना चाहते हैं, यह उनकी इच्छा रहती है. टीबी रोगियों की पहचान व उनका इलाज करवाने में अब आयुर्वेद विभाग, स्वास्थ्य विभाग को सहयोग करेगा. इसके तहत यदि कोई व्यक्ति आयुर्वेदिक हेल्थ सेंटर में जाता है और उसमें टीबी के लक्षण पाए जाते है तो आयुर्वेदिक हेल्थ सेंटर वाले उसके बलगम के सेंपल लेकर हमें जांच के लिए उपलब्ध करवाएंगे, जिस पर आगामी जांच कर रोगी का इलाज शुरू किया जाएगा.