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हिमाचल को TB मुक्त बनाने के लिए एक और कदम, साथ मिलकर काम करेंगे स्वास्थ्य और आयुर्वेद विभाग

टीबी को प्रदेश से समाप्त करने के लिए एलोपैथी व आयुर्वेद डिपार्टमेंट मिलकर काम करेंगे. अब प्रदेश में टीबी रोगियों के इलाज व उनकी पहचान में हेल्थ डिपार्टमेंट को आयुर्वेद डिपार्टमेंट असिस्ट करेगा.

क्षेत्रीय चिकित्सालय धर्मशाला.
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Published : Oct 26, 2019, 2:11 PM IST

धर्मशाला: हिमाचल सरकार ने वर्ष 2022 तक प्रदेश को टीबी रोग मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इसके तहत स्वास्थ्य विभाग की ओर से आयोजित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को टीबी की जांच करवाने का आह्वान किया जा रहा है.

वीडियो.

इसी कड़ी में अब आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्रों में टीबी का संभावित मरीज आने पर उसमें टीबी के लक्षणों की पहचान कर उसके बलगम सेंपल लेना सुनिश्चित किया जाएगा. हालांकि बलगम की जांच और अन्य इलाज संबंधी प्रक्रिया स्वास्थ्य विभाग द्वारा पूरी की जाएगी. यही नहीं इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयुर्वेद विभाग को आवश्यक उपकरण भी उपलब्ध करवाए जाएंगे.

ऐसे में कहा जा सकता है कि प्रदेश से टीबी मुक्त बनाने के लिए एलोपैथी और आयुर्वेद विभाग एक साथ काम करेंगे. जिला कांगड़ा में 250 के लगभग आयुर्वेदिक हेल्थ सेंटर हैं. इन सेंटर्स में यदि कोई टीबी का मरीज इलाज के लिए जाता है, तो वहां से उसके बलगम के सेंपल लेकर स्वास्थ्य विभाग के संस्थानों में जांच के लिए भेजे जा सकेंगे.

वहीं, सीएमओ जिला कांगड़ा डॉ. गुरदर्शन गुप्ता का कहना है कि इलाज के लिए लोग किस हेल्थ फेसिलिटी में जाना चाहते हैं, यह उनकी इच्छा रहती है. टीबी रोगियों की पहचान व उनका इलाज करवाने में अब आयुर्वेद विभाग, स्वास्थ्य विभाग को सहयोग करेगा. इसके तहत यदि कोई व्यक्ति आयुर्वेदिक हेल्थ सेंटर में जाता है और उसमें टीबी के लक्षण पाए जाते है तो आयुर्वेदिक हेल्थ सेंटर वाले उसके बलगम के सेंपल लेकर हमें जांच के लिए उपलब्ध करवाएंगे, जिस पर आगामी जांच कर रोगी का इलाज शुरू किया जाएगा.

धर्मशाला: हिमाचल सरकार ने वर्ष 2022 तक प्रदेश को टीबी रोग मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इसके तहत स्वास्थ्य विभाग की ओर से आयोजित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को टीबी की जांच करवाने का आह्वान किया जा रहा है.

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इसी कड़ी में अब आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्रों में टीबी का संभावित मरीज आने पर उसमें टीबी के लक्षणों की पहचान कर उसके बलगम सेंपल लेना सुनिश्चित किया जाएगा. हालांकि बलगम की जांच और अन्य इलाज संबंधी प्रक्रिया स्वास्थ्य विभाग द्वारा पूरी की जाएगी. यही नहीं इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयुर्वेद विभाग को आवश्यक उपकरण भी उपलब्ध करवाए जाएंगे.

ऐसे में कहा जा सकता है कि प्रदेश से टीबी मुक्त बनाने के लिए एलोपैथी और आयुर्वेद विभाग एक साथ काम करेंगे. जिला कांगड़ा में 250 के लगभग आयुर्वेदिक हेल्थ सेंटर हैं. इन सेंटर्स में यदि कोई टीबी का मरीज इलाज के लिए जाता है, तो वहां से उसके बलगम के सेंपल लेकर स्वास्थ्य विभाग के संस्थानों में जांच के लिए भेजे जा सकेंगे.

वहीं, सीएमओ जिला कांगड़ा डॉ. गुरदर्शन गुप्ता का कहना है कि इलाज के लिए लोग किस हेल्थ फेसिलिटी में जाना चाहते हैं, यह उनकी इच्छा रहती है. टीबी रोगियों की पहचान व उनका इलाज करवाने में अब आयुर्वेद विभाग, स्वास्थ्य विभाग को सहयोग करेगा. इसके तहत यदि कोई व्यक्ति आयुर्वेदिक हेल्थ सेंटर में जाता है और उसमें टीबी के लक्षण पाए जाते है तो आयुर्वेदिक हेल्थ सेंटर वाले उसके बलगम के सेंपल लेकर हमें जांच के लिए उपलब्ध करवाएंगे, जिस पर आगामी जांच कर रोगी का इलाज शुरू किया जाएगा.

Intro:धर्मशाला- प्रदेश में अब टीबी रोगियों के इलाज व उनकी पहचान में हेल्थ डिपार्टमेंट को आयुर्वेद डिपार्टमेंट एसिस्ट करेगा। यानी अब टीबी को प्रदेश के समाप्त करने के लिए एलोपेथी व आयुर्वेद डिपार्टमेंट मिलकर काम करेंगे। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2022 तक प्रदेश को टीबी रोग फ्री बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसके तहत स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न तरह के कार्यक्रम आयोजित करके लोगों को इससे बचाव व बेहिचक जांच करवाने के लिए आगे आने का आहवान किया जा रहा है।




Body: इसी कड़ी में अब आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी यदि कोई टीबी रोगी आता है तो उसमें टीबी के लक्ष्णों की पहचान कर उसके बलगम सेंपल लेना सुनिश्चित किया जाएगा। हालांकि बलगम की जांच और अन्य इलाज संबंधी प्रक्रिया स्वास्थ्य विभाग द्वारा पूरी की जाएगी। यही नहीं इसके लिए आवश्यक सामान भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयुर्वेद विभाग को उपलब्ध करवाया जाएगा। ऐसे में कहा जा सकता है कि प्रदेश से टीबी का खात्मा एलोपैथी और आयुर्वेद एक साथ काम करके करेंगे।  आयुर्वेद विभाग के सहयोग की जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि कई ग्रामीण क्षेत्रों में आयुर्वेदिक हेल्थ सेंटर हैं तो कहीं प्राइमरी हेल्थ सेंटर, ऐसे में जहां आयुर्वेदिक हेल्थ सेंटर हैं और वहां किसी रोगी में टीबी के लक्ष्ण पाए जाते हैं तो उसके बलगम की जांच कर उसका इलाज सुनिश्चित किया जा सके। जानकारी के अनुसार जिला कांगड़ा में 250 के लगभग आयुर्वेदिक  हेल्थ सेंटर हैं, जिनमें यदि कोई टीबी रोगी इलाज के लिए जाता है तो वहां से उसके बलगम के सेंपल लेकर स्वास्थ्य विभाग के संस्थानों में जांच के लिए भेजे जा सकेंगे। 





Conclusion:वही सीएमओ जिला कांगड़ा डा. गुरदर्शन गुप्ता का कहना है कि इलाज के लिए लोग किस हेल्थ फेसिलिटी में जाना चाहते हैं, यह उनकी च्वाइस रहती है। टीबी रोगियों की पहचान व उनका इलाज करवाने में अब आयुर्वेद विभाग, स्वास्थ्य विभाग को सहयोग करेगा। जिसके तहत यदि कोई व्यक्ति आयुर्वेदिक हेल्थ सेंटर में जाता है और उसमें टीबी के लक्षण पाए जाते है तो आयुर्वेदिक हेल्थ सेंटर वाले उसके बलगम के सेंपल लेकर हमें जांच के लिए उपलब्ध करवाएंगे, जिस पर आगामी जांच कर रोगी का इलाज शुरू किया जाएगा।

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