हमीरपुर: लॉकडाउन खुलने के बाद भी लोग घरों से बाहर निकलने में परहेज कर रहे हैं. भले सरकार ने एक जून से बसों का संचालन शुरू कर दिया हो, लेकिन बसों में नाम मात्र की ही सवारियां सफर कर रही है. सवारियां कम होने से निगम को भारी घाटा सहना पड़ रहा है.
ईटीवी भारत की टीम ने शनिवार को बस स्टैंड हमीरपुर का दौरा किया. इस दौरान एचआरटीसी की बस में सफर करने वाले यात्रियों से भी बातचीत की. बसों में सफर करने वाले अधिकतर यात्री घर के लिए वापस लौट रहे थे, या फिर अपने काम पर वापस जा रहे थे.
बस स्टैंड हमीरपुर से ऊना के लिए चलने वाली बस में महज 6 सवारियां थी. इनमें प्रवासी मजदूर और एक सेना का जवान शामिल था. प्रवासी मजदूरों का कहना था कि वह लॉकडाउन के कारण हिमाचल में फंस गए थे, लेकिन अब घर जा रहे हैं. बस सुविधा शुरू होने के बाद वह ऊना रेलवे स्टेशन से ट्रेन के माध्यम से अपने घर के लिए रवाना होंगे.
वहीं, हरियाणा के एक सन्यासी ने कहा कि लॉकडाउन से तो 4 दिन पहले ही वह हमीरपुर आए थे, लेकिन वापस नहीं जा सके अब वह वापस हरियाणा जा रहे हैं. इसके अलावा सेना के जवान ने कहा वह अपनी छुट्टी काट कर फिर से ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए जा रहा है.
बस चलने के बाद कंडक्टर ने लोकल सवारियों को भी बिठा लिया, लेकिन पहले ऊना तक जाने वाली सवारियों को प्रमुखता दी गई. बता दें कि हमीरपुर में कुल 186 बस रूट हैं. लॉकडाउन के बाद हमीरपुर एचआरटीसी डिपो ने 35 रूटों पर बस सेवा शुरू की है. 6 बस रूट जिले से बाहर भी चलाए जा रहे हैं, जबकि 1 जून को 54 बस रूटों पर सेवा शुरू की गई थी, लेकिन सवारियां न मिलने के कारण अब जिले में महज 35 बस रूट पर बसों को चलाया जा रहा.
अगर कमाई की बात की जाए तो एक लाख के करीब हर दिन की कमाई एचआरटीसी को टिकट के माध्यम से हो रही, हालांकि इससे अधिक खर्च पेट्रोल और कर्मचारियों की सैलरी में जा रहा है.