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बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की खुली पोल, हमीरपुर मेडिकल कॉलेज में एक बेड पर दो-दो मरीज का इलाज

जिला हमीरपुर के मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के गायनी वार्ड में एक बेड पर ही दो-दो महिला मरीजों का इलाज चल रहा है. वहीं, अस्पताल में पर्याप्त बेड की व्यवस्था न होने की वजह से गैलरी में भी मरीजों के लिए विस्तर लगाने पड़ रहे हैं. इस मामले पर कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि महिलाओं को रेफर करने की बजाय अस्पताल में ही उपचार किया जा रहा है.

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Published : Aug 27, 2019, 1:32 PM IST

Updated : Aug 27, 2019, 1:45 PM IST

बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की खुली पोल

हमीरपुर: हिमाचल वासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के प्रदेश सरकार के दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं. मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के गायनी विभाग में एक बेड पर दो-दो महिला मरीजों का इलाज चल रहा है. वहीं,अस्पताल में पर्याप्त बेड की व्यवस्था न होने की वजह से गैलरी में भी मरीजों के लिए विस्तर लगाने पड़ रहे हैं.

इस मामले पर कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि महिलाओं को रेफर करने की बजाय अस्पताल में ही उपचार किया जा रहा है. इस कारण अस्पताल में भीड़ अधिक हो रही है. इस पर सवाल उठना लाजमी है कि अगर इतने बड़े अस्पताल में ऐसा हाल है तो छोटे अस्पतालों में किस तरह से मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा होगा.

बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की खुली पोल

अस्पताल में भर्ती महिलाओं के तीमारदारों का कहना है कि यदि गायनी वार्ड की महिलाओं को अन्य खाली वार्डों में बिस्तर उपलब्ध करवा दिए जाएं तो उन्हें सुविधा होगी. दो-दो महिलाएं एक बिस्तर पर होने के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. बता दें कि गायनी विभाग में रोजाना 15 से 20 महिलाओं की डिलीवरी हो रही है और करीब दो दर्जन गर्भवती महिलाएं रोजाना अस्पताल में भर्ती हो रही हैं.

उधर जब इस बारे में एमएस डॉ. अनिल वर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अस्पताल में महिलाओं की सुविधा का ध्यान रखा जा रहा है. रेफर करने की बजाय अस्पताल में ही महिलाओं को उपचार दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि समस्या के समाधान के प्रयास किए जा रहे हैं.

हमीरपुर: हिमाचल वासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के प्रदेश सरकार के दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं. मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के गायनी विभाग में एक बेड पर दो-दो महिला मरीजों का इलाज चल रहा है. वहीं,अस्पताल में पर्याप्त बेड की व्यवस्था न होने की वजह से गैलरी में भी मरीजों के लिए विस्तर लगाने पड़ रहे हैं.

इस मामले पर कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि महिलाओं को रेफर करने की बजाय अस्पताल में ही उपचार किया जा रहा है. इस कारण अस्पताल में भीड़ अधिक हो रही है. इस पर सवाल उठना लाजमी है कि अगर इतने बड़े अस्पताल में ऐसा हाल है तो छोटे अस्पतालों में किस तरह से मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा होगा.

बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की खुली पोल

अस्पताल में भर्ती महिलाओं के तीमारदारों का कहना है कि यदि गायनी वार्ड की महिलाओं को अन्य खाली वार्डों में बिस्तर उपलब्ध करवा दिए जाएं तो उन्हें सुविधा होगी. दो-दो महिलाएं एक बिस्तर पर होने के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. बता दें कि गायनी विभाग में रोजाना 15 से 20 महिलाओं की डिलीवरी हो रही है और करीब दो दर्जन गर्भवती महिलाएं रोजाना अस्पताल में भर्ती हो रही हैं.

उधर जब इस बारे में एमएस डॉ. अनिल वर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अस्पताल में महिलाओं की सुविधा का ध्यान रखा जा रहा है. रेफर करने की बजाय अस्पताल में ही महिलाओं को उपचार दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि समस्या के समाधान के प्रयास किए जा रहे हैं.

Intro:मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के गायनी वार्ड में एक बेड पर दो दो मरीज, गैलरी में भी लगे बिस्तर
हमीरपुर।
बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाने के प्रदेश सरकार के दावे प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में पूरा होना तो दूर मेडिकल कॉलेजों में भी हवाई साबित हो रहे है। मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल हमीरपुर में गायनी विभाग के वार्डों में सभी बिस्तर फुल हो गए हैं। गायनी वार्ड में एक बिस्तर पर दो-दो महिलाएं भर्ती हो रही हैं। वहीं वार्डों के फुल होने से महिलाओं को बाहर गैलरी में बिस्तर लगाने पड़ रहे हैं। हालांकि कॉलेज प्रबंधन का तर्क है कि महिलाओं को रेफर करने की बजाय अस्पताल में ही उपचार दिया जा रहा है। इस कारण अस्पताल में भीड़ अधिक हो रही है। लेकिन सवाल तो यह उठ रहा है कि मेडिकल कॉलेज में यदि मरीजों को बेड नहीं मिल रहे हैं तो छोटे अस्पतालों के क्या हालात होंगे।
कॉलेज में भर्ती महिलाओं के तीमारदारों अरुण कुमार, तारो देवी, सुनीता देवी, सोनू कुमार आदि का कहना है कि यदि गायनी वार्ड की महिलाओं को अन्य खाली वार्डों में बिस्तर उपलब्ध करवा दिए जाएं तो उन्हें सुविधा होगी। दो-दो महिलाएं एक बिस्तर पर होने के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बता दें कि गायनी विभाग में रोजाना 15 से 20 महिलाओं की डिलीवरी हो रही है और दो दर्जन के करीब गर्भवती महिलाएं रोजाना अस्पताल में भर्ती हो रही हैं

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उधर जब इस बारे में एमएस डॉ. अनिल वर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अस्पताल में महिलाओं की सुविधा का ध्यान रखा जा रहा है। रेफर करने की बजाय अस्पताल में ही महिलाओं को उपचार दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि समस्या के समाधान के प्रयास किए जा रहे हैं।  


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Last Updated : Aug 27, 2019, 1:45 PM IST
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