नई दिल्ली: कांग्रेस ने हाल ही में हुए चुनावों में हार के बाद हरियाणा में नए कांग्रेस विधायक दल के नेता की नियुक्ति में देरी को लेकर कहा कि महाराष्ट्र और झारखंड चुनावों के बाद हाईकमान इस मुद्दे पर फैसला करेगा. 13 नवंबर को नई विधानसभा के पहले सत्र की शुरुआत से पहले चुनाव में हार के बाद कांग्रेस द्वारा नए कांग्रेस विधायक दल के नेता की नियुक्ति की उम्मीद थी.
हालांकि, दो राज्यों के चुनावों में केंद्रीय नेतृत्व के व्यस्त रहने के कारण इस मुद्दे पर फैसला नहीं हो सका. देरी का एक अन्य कारण चुनाव में हार की चल रही समीक्षा थी, जिसने हाईकमान को चौंका दिया था.
कांग्रेस प्रबंधकों ने हाईकमान को यह विश्वास दिलाया था कि दस साल तक विपक्ष में रहने के बाद पार्टी विधानसभा चुनाव में भारी जीत दर्ज करने जा रही है, लेकिन कांग्रेस 90 में से 37 सीटों पर सिमट गई, जो सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत से 9 कम है.
वरिष्ठ नेताओं के बीच गुटबाजी
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा, लोकसभा सांसद कुमारी शैलजा और राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला जैसे वरिष्ठ नेताओं के बीच गुटबाजी के अलावा कई सीटों पर बागियों की मौजूदगी को हरियाणा में कांग्रेस की हार के पीछे मुख्य कारण माना गया था, लेकिन हाईकमान मामले की जड़ तक जाना चाहता था और नतीजों की जांच के लिए एक अलग पैनल गठित किया.
हरियाणा के एआईसीसी प्रभारी दीपक बाबरिया ने ईटीवी भारत से कहा, " विधायक दल के नेता का नाम राज्य चुनावों के बाद घोषित किया जाएगा. इसमें कोई देरी नहीं है. ऐसा कभी-कभी होता है. आलाकमान महाराष्ट्र और झारखंड के चुनावों में व्यस्त है और एक बार फ्री होने के बाद हरियाणा का जिम्मा संभालेगा जाएगा."
चुनाव को दौरान अनियमितताओं की जांच
एआईसीसी पदाधिकारी के अनुसार उन्हें कोई जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी गई है, लेकिन कुछ वरिष्ठ नेताओं को राज्य कार्यकर्ताओं ने मतदान के दिन चुनाव अनियमितताओं की शिकायतों की जांच करने के लिए कहा है. बाबरिया ने कहा, "वरिष्ठ नेता करण दलाल चुनाव के दौरान रिपोर्ट की गई अनियमितताओं की जांच कर रहे हैं."
इससे पहले कांग्रेस प्रबंधकों ने कथित अनियमितताओं को लेकर चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसने बाद में आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया था और कांग्रेस को फटकार लगाई थी. कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि मतदान के दिन कई जगहों पर ईवीएम 99 प्रतिशत चार्ज पाई गईं, जो असामान्य था. इसके बाद, कांग्रेस के प्रबंधक नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक आयोजित करने में व्यस्त हो गए, जिन्होंने एक लाइन का प्रस्ताव पारित कर कांग्रेस अध्यक्ष को नए विधायल दल के नेता का नाम तय करने के लिए अधिकृत किया.
विधायक दल की बैठक के दौरान राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, एआईसीसी कोषाध्यक्ष अजय माकन और पंजाब सीएलपी नेता प्रताप सिंह बाजवा सहित एआईसीसी पर्यवेक्षकों ने उन नामों की खोज की, जिन्हें विधायकों का बहुमत प्राप्त था.
10 साल से विधायक दलके नेता है भूपेंद्र हुड्डा
हुड्डा पिछले 10 साल से विधायक दल के नेता हैं और उन्होंने भाजपा शासित राज्य में कांग्रेस को फिर से खड़ा करने के लिए दो साल पहले अपने वफादार उदय भान को प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रमुख चुना था, लेकिन बाद में कुमारी शैलजा, रणदीप सुरजेवाला और अन्य ने उन पर एकतरफा निर्णय लेने और पक्षपात करने का आरोप लगाया था.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि उदयभान के इस्तीफे की पेशकश के बाद, हाईकमान एक नया राज्य इकाई प्रमुख भी नियुक्त करेगा. सूत्रों के मुताबिक हरियाणा में कांग्रेस की राजनीति में लंबे समय तक प्रभावशाली जाट समुदाय का दबदबा रहा है, लेकिन वह महत्वपूर्ण राज्य चुनाव जीतने में विफल रहा.
उन्होंने कहा कि इससे दो प्रमुख पदों पर निर्णय प्रभावित हो सकता है. साथ ही कांग्रेस हरियाणा इकाई में सुधार के लिए कुछ नए चेहरों पर भी विचार कर सकती है.