हमीरपुर: कोरोना महामारी के कारण स्वास्थ्य संस्थानों का महत्व लोगों के जीवन में और भी अधिक बढ़ गया है, ऐसे में इन संस्थानों में जीवन रक्षक इंतजामों का होना और भी जरूरी हो जाता है. वहीं, हमीरपुर जिला की बात की जाएं तो यहां यहां आगजनी मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है. सरकारी अस्पताल या मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में अग्निकांड से बचने के नाम पर महज औपचारिकता ही की गई है.
इन अस्पतालों में सुरक्षा मानकों का पालन नहीं होता है या होता भी है तो मरीजों की संख्या के आगे ये इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं. वहीं इन अस्पतालों में आग लगने की सूरत में जो जरूरी उपाय किए जाने चाहिए वे भी बेकार हैं. मेडिकल कॉलेज की बहु मंजिला इमारत में आग से बचने के लिए महज कार्बन डाइऑक्साइड के सिलेंडर हर साल रिफिल कर लगाए जाते हैं.
वहीं, नियमों के अनुसार 15 मीटर से अधिक ऊंचाई के भवनों में एनबीसी नेशनल बिल्डिंग कोड पार्ट 4 के तहत पुख्ता इंतजाम किया जाना बेहद जरूरी है. स्प्रिंकलर सिस्टम स्टोरेज टैंक ओवरहेड टैंक का निर्माण भवन के भीतर किया जाना अनिवार्य है. मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने बताया कि यहां पर स्टोरेज टैंक का निर्माण जल्द ही किया जाएगा और आग से बचने के पुख्ता प्रबंध किए जाएंगे.
वहीं, मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के एमएस डॉ अनिल शर्मा ने तर्क देते हुए कहा कि स्टोरेज टैंक का निर्माण यहां पर नहीं किया गया है जल्द ही निर्माण किया जाएगा. स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर क्रांति ठाकुर ने भी अस्पताल में आग से बचने के लिए पुख्ता प्रबंध होने की बात कही. उन्होंने कहा कि आधुनिक सिस्टम अलार्म और भवन में नियमों के अनुसार सभी प्रबंध किए गए हैं.
वहीं, अगर निजी अस्पतालों की बात की जाए तो हमीरपुर में लगभग 4 बड़े अस्पताल हैं. यहां अधिकतर अस्पतालों में इंतजाम पुख्ता किए गए हैं. बहुमंजिला भवनों में स्टोरेज और ओवरहेड टैंक का इंतजाम किया गया है. वहीं पाइपलाइन बिछाई गई है इसके अलावा स्प्रिंकलर सिस्टम भी लगाया गया है. फायर ऑटोमेटिक का अलार्म की व्यवस्था भी इन अस्पतालों में की गई है लेकिन चिंता का विषय मेडिकल कॉलेज हमीरपुर है जो कि हमीरपुर जिला का सबसे बड़ा स्वास्थ्य संस्थान है.
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