हमीरपुरः 2014 में जबरदस्त मोदी लहर के बावजूद हिमाचल के वोटरों ने जमकर नोटा दबाया था. नोटा (नन ऑफ द अबब) इस ऑप्शन का इस्तेमाल करते हुए पिछले लोकसभा चुनावों में करीब 4 फीसदी वोटरों ने प्रदेशभर में कांग्रेस भाजपा समेत अन्य प्रत्याशियों को नकार दिया था. प्रदेश भर में 2014 के लोकसभा चुनावों में 29155 मतदाताओं ने नोटा दबाया था.
बता दें कि सबसे अधिक नोटा हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में 8704 ने नोटा बटन दबाया था. वहीं, नोटा का इस्तेमाल करने में शिमला संसदीय क्षेत्र दूसरे नंबर पर रहा था. शिमला संसदीय क्षेत्र में कुल 7787 मतदाताओं ने नोटा ऑप्शन चुना था. प्रदेश में तीसरे नंबर पर हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में नोटा को 6473 और मंडी संसदीय क्षेत्र में 6191 मत मिले थे.
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वहीं, पिछले विधानसभा चुनावों में प्रदेश भर में 32,988 मत नोटा को मिले थे. मंडी जिला के जोगिंद्रनगर विधानसभा क्षेत्र में 1100 से अधिक मतदाताओं ने विधानसभा चुनावों में नोटा बटन को अपना रुझान दिया था. लगातार नोटा के प्रति मतदाताओं का रुझान बढ़ता जा रहा है. जहां पर 2014 में 29,155 ने नोटा बटन को चुना था, वहीं वर्ष 2017 में विधानसभा चुनावों में यह आंकड़ा लगभग 4000 बढ़कर 32,000 से पार हो गया है.
इस बार के लोकसभा चुनाव में कई नेता नोटा न दबाने का कर चुके हैं आह्वान
इस बार के लोकसभा चुनाव में प्रदेश के कई दिग्गज नेता नोटा न दबाने का आह्वान सार्वजनिक रूप से वोटरों से कर चुके हैं. बता दें कि इस बार दल बदल की राजनीति और बयानबाजी को लेकर भी हिमाचल की सियासत देशभर में छाई रही है, ऐसे में नोटा के प्रति और अधिक रुझान लोगों का बढ़ने की अटकलों को देखते हुए नेताओं में नोटा का खौफ बढ़ गया है. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में यह आंकड़ा बढ़ सकता है.
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