भोरंज/हमीरपुर: उपमण्डल भोरंज के डूंगरी जवाहर नवोदय विद्यालय से शिक्षा ग्रहण कर निकले छात्र के एक-दूसरे से जुड़े रहने के जज्बे ने संकट की इस घड़ी में सामाजिक समरसता का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है. आम दिनों में वर्चुअल ग्रुप के माध्यम से सुख-दुःख साझा करने वाले देश-विदेश में स्थित ग्रुप के सदस्य अब इस महामारी के दौरान जरूरतमंदों की सहायता के लिए सदैव तत्पर रहते हैं.
कोरोना काल में नवोदय के पूर्व छात्र बने एक-दूसरे के मददगार
कुछ दिन पहले ग्रुप से जुड़ी सीमा के परिजनों को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की आवश्यकता पड़ी. आनन-फानन में सभी सदस्यों ने सहयोग राशि एकत्र कर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदा और समय पर उपलब्ध भी करवा दिया. इसके बाद विचार कौंधा कि ऐसी ही मदद अन्य सदस्यों को भी हो सकती है, ऐसे में फंड इकट्ठा करने के लिए सभी एकजुट हुए.
अमेरिका में इंजीनियरिंग क्षेत्र में कार्यरत बड़सर क्षेत्र के मनोज गर्ग ने तुरंत एक हजार डॉलर की मदद भेज दी. जर्मन कंपनी के साथ जुड़े और स्विट्जरलैंड में कार्यरत भोरंज के अघार के संदीप पटियाल ने 21 हजार रुपये का सहयोग किया. रजनीश ने 11 हजार, बड़सर से ही भूपेंद्र बनियाल ने दस हजार रुपये दिए. संजय ने 5100 रुपये, मेडिकल शॉप संचालक जलाड़ी के आलोक शर्मा, नादौन से जिला लोक सम्पर्क अधिकारी विनय शर्मा, भारतीय जीवन बीमा निगम के डेवलपमेंट अधिकारी विनोद धीमान व नरेंद्र ने पांच-पांच हजार का योगदान दिया.
इस तरह कड़ियां जुड़ती गईं और यह सहयोग राशि तीन से चार लाख रुपये तक पहुंच चुकी है. इस निधि से अब सभी सदस्यों के लिए दवाइयां, उपकरण एवं अन्य मदद उपलब्ध करवाई जा रही है. इसके अतिरिक्त किसी को देखभाल की आवश्यकता पड़ने पर समीप के सदस्य इसके लिए भी तैयार रहते हैं.
विनय शर्मा ने दी जानकारी
ग्रुप के सदस्य विनय शर्मा ने बताया कि पोस्ट कोविड ट्रीटमेंट में भी सदस्यों व उनके परिजनों की हरसंभव सहायता कर रहे हैं. इस महामारी से बेसहारा हुए बच्चों की शिक्षा का जिम्मा लेने पर भी विचार कर रहे हैं. अगर किसी को घर में पृथकवास की उचित व्यवस्था न हो पा रही हो तो ऐसे में एक आइसोलेशन स्थल चिह्नित करने का भी विचार किया जा रहा है.
मुहिम में नवोदय छात्रों के साथ स्टाफ भी शामिल
उन्होंने कहा कि नवोदय विद्यालय में कार्यरत स्टाफ, गरीब बच्चों की पढ़ाई या कोचिंग में भी मदद का संकल्प लिया है. उनका कहना है कि समूह में किसी एक सदस्य ने लौ जलाई और कारवां बनता गया. महामारी के इस दौर में आपसी सहयोग के इस छोटे से कदम से किसी को संबल मिले, यही उनका प्रयास है.
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