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रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने में प्राकृतिक खेती की भूमिका बहुमूल्य: धूमल - पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल न्यूज

छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उईके के आग्रह पर अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ द्वारा आयोजित वेबीनार में संक्षिप्त संबोधन देते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि व्यक्ति विशेष में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में प्राकृतिक खेती की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण है. पूर्व मुख्यमंत्री ने हर्ष प्रकट करते हुए कहा कि राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने हिमाचल प्रदेश से प्राकृतिक खेती अभियान की शुरुआत की थी.

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पूर्व मुख्यमंत्री प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल
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Published : May 22, 2021, 9:58 PM IST

सुजानपुर: प्राकृतिक खेती के उत्पादों का उपयोग जनमानस की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में बहुमूल्य भूमिका निभाता है. छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उईके के आग्रह पर अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ द्वारा आयोजित वेबीनार में संक्षिप्त संबोधन देते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल ने यह बात कही.

उन्होंने कहा कि व्यक्ति विशेष में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में प्राकृतिक खेती की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण है. पूर्व मुख्यमंत्री ने हर्ष प्रकट करते हुए कहा कि राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने हिमाचल प्रदेश से प्राकृतिक खेती अभियान की शुरुआत की थी.

अन्य विशेषज्ञ और छात्र भी उपस्थित रहे

आयोजित वेबीनार में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसूइया उईके एवं छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एडीएन वाजपेयी के अतिरिक्त कृषि विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ के कुलपति एवं राज्य के अन्य विशेषज्ञ और छात्र भी उपस्थित रहे.

वेबिनार को मुख्य रूप से गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने सम्बोधित किया. अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि पिछले लगभग डेढ़ वर्ष से देश और दुनिया वैश्विक आपदा के सामना कर रही है. आज सारी दुनिया कोरोना महामारी से आक्रांत है.

प्राकृतिक खेती द्वारा प्राप्त सब्जियां और खाद्य पदार्थ जहां अधिक पौष्टिक होते हैं

कोरोना महामारी के संदर्भ में दुनिया भर के डॉक्टर एवं विशेषज्ञों का यही मानना है कि जिन लोगों में इम्युनिटी ज्यादा होगी, रोग प्रतिरोधक शक्ति ज्यादा होगी, वह लोग सफलतापूर्वक कोरोना की लड़ाई जीत पाएंगे. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती द्वारा प्राप्त सब्जियां और खाद्य पदार्थ जहां अधिक पौष्टिक होते हैं. प्राकृतिक गुणों से भरपूर होते हैं तो वहीं, जहरीले कीटनाशकों व रसायनिक उर्वरकों द्वारा की गई खेती से प्राप्त खाद्य पदार्थों में मौजूद हो सकने वाले दुष्प्रभाव उनसे नहीं होते. इसलिए प्राकृतिक खेती को वृहद स्तर पर अपनाया जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें- योजना का हाल: हिमाचल में करीब साढ़े पांच लाख बच्चों को अप्रैल से नहीं मिला मिड-डे मील

सुजानपुर: प्राकृतिक खेती के उत्पादों का उपयोग जनमानस की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में बहुमूल्य भूमिका निभाता है. छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उईके के आग्रह पर अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ द्वारा आयोजित वेबीनार में संक्षिप्त संबोधन देते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल ने यह बात कही.

उन्होंने कहा कि व्यक्ति विशेष में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में प्राकृतिक खेती की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण है. पूर्व मुख्यमंत्री ने हर्ष प्रकट करते हुए कहा कि राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने हिमाचल प्रदेश से प्राकृतिक खेती अभियान की शुरुआत की थी.

अन्य विशेषज्ञ और छात्र भी उपस्थित रहे

आयोजित वेबीनार में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसूइया उईके एवं छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एडीएन वाजपेयी के अतिरिक्त कृषि विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ के कुलपति एवं राज्य के अन्य विशेषज्ञ और छात्र भी उपस्थित रहे.

वेबिनार को मुख्य रूप से गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने सम्बोधित किया. अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि पिछले लगभग डेढ़ वर्ष से देश और दुनिया वैश्विक आपदा के सामना कर रही है. आज सारी दुनिया कोरोना महामारी से आक्रांत है.

प्राकृतिक खेती द्वारा प्राप्त सब्जियां और खाद्य पदार्थ जहां अधिक पौष्टिक होते हैं

कोरोना महामारी के संदर्भ में दुनिया भर के डॉक्टर एवं विशेषज्ञों का यही मानना है कि जिन लोगों में इम्युनिटी ज्यादा होगी, रोग प्रतिरोधक शक्ति ज्यादा होगी, वह लोग सफलतापूर्वक कोरोना की लड़ाई जीत पाएंगे. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती द्वारा प्राप्त सब्जियां और खाद्य पदार्थ जहां अधिक पौष्टिक होते हैं. प्राकृतिक गुणों से भरपूर होते हैं तो वहीं, जहरीले कीटनाशकों व रसायनिक उर्वरकों द्वारा की गई खेती से प्राप्त खाद्य पदार्थों में मौजूद हो सकने वाले दुष्प्रभाव उनसे नहीं होते. इसलिए प्राकृतिक खेती को वृहद स्तर पर अपनाया जाना चाहिए.

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