ETV Bharat / state

चंबा के इस पानी की है बात निराली, रियासत काल में राजाओं और अब VIP लोगों की है पसंद

इस पानी की खासियत यह भी है कुछ दिनों तक रखे रखने से इसके स्वाद में किसी प्रकार का कोई फर्क नहीं पड़ता है. पेट की गैस से लेकर श्वास जैसी बीमारियों के लिये यह पानी जाना जाता है. रियासत काल में राजाओं का पसन्दीदा रहा है. जब भी राजा पांगी के दौरे पर आता तो कारदार किलाड़ की कोठी में तिलमिल पानी को मंगवा कर रख देते थे. आज भी जब कोई वीआईपी पांगी के दौरे पर आते हैं तिलमिल पानी को मंगवाया जाता है.

चंबा के इस पानी की है बात निराली
author img

By

Published : Aug 15, 2019, 8:29 PM IST

चंबा: जिले के जनजातीय क्षेत्र पांगी में एक पानी के चश्मे की हर बात निराली है. रियासतकाल में राजाओं की पहली पसंद यह पानी, अब यहां आने वाले हर वीआईपी की खातिरदारी में विशेष तौर पर इस पानी को पेश किया जाता है. पांगी घाटी के उपमंडल मुख्यालय किलाड़ से करीब आठ किलोमीटर दूर उर नामक स्थान पर पानी का चश्मा है जिसको तिलमिल पानी के नाम से जाना जाता है. यह स्थान ग्राम पंचायत धरवास में है. यह पानी मिनरल वाटर से कम नहीं है. कई अस्यकों के मिश्रण इसमें मिले हैं , जिसमें तांबा व लोहे समेत कई जड़ी बूटियों का रस भी इसमें मौजूद हैं.

इस पानी की खासियत यह भी है कुछ दिनों तक रखे रखने से इसके स्वाद में किसी प्रकार का कोई फर्क नहीं पड़ता है. पेट की गैस से लेकर श्वास जैसी बीमारियों के लिये यह पानी जाना जाता है. रियासत काल में राजाओं का पसन्दीदा रहा है. जब भी राजा पांगी के दौरे पर आता तो कारदार किलाड़ की कोठी में तिलमिल पानी को मंगवा कर रख देते थे. आज भी जब कोई वीआईपी पांगी के दौरे पर आते हैं तिलमिल पानी को मंगवाया जाता है.

यह पानी मनाली- श्रीनगर नगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर (उर नामक स्थान ) धरवास में है. रियासत काल में आने जाने का रास्ता वही से रहता था. राहगीर इस के रखरखाव का काम करते थे. राजा के आदेश के अनुसार कारदारों को देख रेख करनी पड़ती थी. राहगीरों के ठहरने के लिये दो किलोमीटर पर सराय भवन भी था, जो अब खंडहर में बदल गया है. मनाली श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग बन जाने के कारण लोगो का पैदल आना जाना बंद होने के कारण अब इसका रख रखाब न होने के कारण पानी का पनिहार तक नष्ट हो गया है.

स्थानीय निवासी जानकारी देते हुए

वर्ष 2009 में सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग पांगी ने पानी की गुणवत्ता की जांच जिला कुल्लू में अपनी प्रयोगशाला में करवाई जहां से शुद्धता का प्रमाण पर मिलने के बाद विभाग ने मिनरल प्लांट लगाने और सौंदर्यकरण का प्राकलन तैयार करके तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष पंडित तुलसी राम से शिलान्यास भी करवाया था, लेकिन योजना धरी की धरी रह गई. घाटी के ग्रामीण तिलमिल पानी की अपनी पहचान है. रास्ता बदलने के कारण पुराने रास्ते से आना जाना बंद हो गया है.

अगर सरकार यहां पर मिनरल वाटर प्लांट लगाती है तो कई स्थानीय युवकों को रोजगार मिलेगा. ग्रामीणों का कहना है कि इस पानी के संरक्षण के लिए किसी भी सरकार ने पहल नहीं की. उनका कहना है कि रियासतकाल में यह पानी राजाओं के लिए विशेष तौर पर मंगवाया जाता था. वहीं अब पांगी में आने वाले वीआईपी के लिए इस पानी को विशेष तौर पर रखा जाता है.

ये भी पढ़ें- स्कूली छात्राओं ने राज्यपाल को राखी बांधकर दी रक्षाबंधन की बधाई, कलराज मिश्र ने साझा किए विचार

चंबा: जिले के जनजातीय क्षेत्र पांगी में एक पानी के चश्मे की हर बात निराली है. रियासतकाल में राजाओं की पहली पसंद यह पानी, अब यहां आने वाले हर वीआईपी की खातिरदारी में विशेष तौर पर इस पानी को पेश किया जाता है. पांगी घाटी के उपमंडल मुख्यालय किलाड़ से करीब आठ किलोमीटर दूर उर नामक स्थान पर पानी का चश्मा है जिसको तिलमिल पानी के नाम से जाना जाता है. यह स्थान ग्राम पंचायत धरवास में है. यह पानी मिनरल वाटर से कम नहीं है. कई अस्यकों के मिश्रण इसमें मिले हैं , जिसमें तांबा व लोहे समेत कई जड़ी बूटियों का रस भी इसमें मौजूद हैं.

इस पानी की खासियत यह भी है कुछ दिनों तक रखे रखने से इसके स्वाद में किसी प्रकार का कोई फर्क नहीं पड़ता है. पेट की गैस से लेकर श्वास जैसी बीमारियों के लिये यह पानी जाना जाता है. रियासत काल में राजाओं का पसन्दीदा रहा है. जब भी राजा पांगी के दौरे पर आता तो कारदार किलाड़ की कोठी में तिलमिल पानी को मंगवा कर रख देते थे. आज भी जब कोई वीआईपी पांगी के दौरे पर आते हैं तिलमिल पानी को मंगवाया जाता है.

यह पानी मनाली- श्रीनगर नगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर (उर नामक स्थान ) धरवास में है. रियासत काल में आने जाने का रास्ता वही से रहता था. राहगीर इस के रखरखाव का काम करते थे. राजा के आदेश के अनुसार कारदारों को देख रेख करनी पड़ती थी. राहगीरों के ठहरने के लिये दो किलोमीटर पर सराय भवन भी था, जो अब खंडहर में बदल गया है. मनाली श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग बन जाने के कारण लोगो का पैदल आना जाना बंद होने के कारण अब इसका रख रखाब न होने के कारण पानी का पनिहार तक नष्ट हो गया है.

स्थानीय निवासी जानकारी देते हुए

वर्ष 2009 में सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग पांगी ने पानी की गुणवत्ता की जांच जिला कुल्लू में अपनी प्रयोगशाला में करवाई जहां से शुद्धता का प्रमाण पर मिलने के बाद विभाग ने मिनरल प्लांट लगाने और सौंदर्यकरण का प्राकलन तैयार करके तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष पंडित तुलसी राम से शिलान्यास भी करवाया था, लेकिन योजना धरी की धरी रह गई. घाटी के ग्रामीण तिलमिल पानी की अपनी पहचान है. रास्ता बदलने के कारण पुराने रास्ते से आना जाना बंद हो गया है.

अगर सरकार यहां पर मिनरल वाटर प्लांट लगाती है तो कई स्थानीय युवकों को रोजगार मिलेगा. ग्रामीणों का कहना है कि इस पानी के संरक्षण के लिए किसी भी सरकार ने पहल नहीं की. उनका कहना है कि रियासतकाल में यह पानी राजाओं के लिए विशेष तौर पर मंगवाया जाता था. वहीं अब पांगी में आने वाले वीआईपी के लिए इस पानी को विशेष तौर पर रखा जाता है.

ये भी पढ़ें- स्कूली छात्राओं ने राज्यपाल को राखी बांधकर दी रक्षाबंधन की बधाई, कलराज मिश्र ने साझा किए विचार

Intro:
अजय शर्मा, चंबा
जिले के जनजातीय क्षेत्र पांगी में एक पानी के चश्मे की हर बात निराली है। रियासतकाल में राजाओं की पहली पसंद यह पानी, अब यहां आने वाले हर वीआईपी की खातिरदारी में विशेष तौर पर इस पानी को पेश किया जाता है। पांगी घाटी के उपमंडल मुख्यालय किलाड़ से करीब आठ किलोमीटर दूर उर नामक स्थान पर पानी का चश्मा है जिसको तिलमिल पानी के नाम से जाना जाता है। यह स्थान ग्राम पंचायत धरवास में है। यह पानी मिनरल वाटर से कम नहीं है। कई अस्यकों के मिश्रण इसमें मिले हैं , जिसमें तांबा व लोहे समेत कई जड़ी बूटियों का रस भी इसमें मौजूद हैं। पानी की खासियत यह भी है कुछ दिनों तक रखे रखने से इसके स्वाद में किसी प्रकार का कोई फर्क नहीं पड़ता है। पेट की गैस से लेकर श्वास जैसी बीमारियों के लिये यह पानी जाना जाता है। Body:रियासत काल में राजाओ पसन्दीदा रहा है। जब भी राजा पांगी के दौरे पर आता तो कारदार किलाड़ की कोठी में तिलमिल पानी को मंगवा कर रख देते थे। आज भी जब कोई वीआईपी पांगी के दौरे पर आते हैं तिलमिल पानी को मंगवाया जाता। है। यह पानी मनाली- श्रीनगर नगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर (उर नामक स्थान ) धरवास में है। रियासत काल में आने जाने का रास्ता वही से रहता था। राहगीर इस के रखरखाव का काम करते थे। राजा के आदेश के अनुसार कारदारों को देख रेख करनी पड़ती थी। राहगीरों के ठहरने के लिये दो किलोमीटर पर सराय भवन भी था , जो अब खंडहर में बदल गया है। मनाली श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग बन जाने के कारण लोगो का पैदल आना जाना बंद होने के कारण अब इसका रख रखाब न होने के कारण पानी का पनिहार तक नष्ट हो गया है। बर्ष 2009 में सिचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग पांगी ने पानी की गुणबत्ता की जांच जिला कुल्लू में अपनी प्रयोगशाला में करवाई जहां से शुद्धता का प्रमाण पर मिलने के बाद विभाग ने मिनरल प्लांट लगाने तथा सौंदर्यकरण का प्राकलन तैयार करके तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष पंडित तुलसी राम से शिलान्यास भी करवाया था । लेकिन योजना धरी की धरी रहे गई। घाटी के ग्रामीण तिलमिल पानी की अपनी पहचान है। रास्ता बदलने के कारण पुराने रास्ते से आना जाना बंद हो गया है। राजाओं के समय इस के रख रखाब की जिम्मेदारी राजा के कारदार करते थे। लेकिन अब कभी कभार पंचायते करती है। आज भी लोग गाड़ियां रोक करके पानी के चश्मे पर जा कर पानी पीते हैं साथ में ले जाते हैं। Conclusion:अगर सरकार यहाँ पर मिनरल वाटर प्लांट लगती है तो कई स्थानीय युवको को रोजगार मिलेगा। ग्रामीणों का कहना है कि इस पानी के संरक्षण के लिए किसी भी सरकार ने पहल नहीं की। उनका कहना है कि रियासतकाल में यह पानी राजाओं के लिए विशेष तौर पर मंगवाया जाता था। वहीं अब पांगी में आने वाले वीआईपी के लिए इस पानी को विशेष तौर पर रखा जाता है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.