चंबा: हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है और यहां पर मौजूद मंदिर खुद के भीतर कई ऐतिहासिक और रहस्यमयी घटनाएं समेटे हुए हैं. मंदिरों के निर्माण को लेकर जुडी दंत कथाएं हो या फिर निर्माण में इस्तेमाल की गई बेहतरीन कारीगरी, हर किसी शख्स को अपनी ओर आर्कषित करती है. अपनी सीरीज रहस्य में आज हम बात करेंगे एक ऐसे ही मंदिर के बारे में.
हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के छतराड़ी में स्थित मां शिव शक्ति का मंदिर ऐसा है, जो कभी एक स्तंभ कर घूमता था. वहीं, मंदिर से जुड़ा एक रोचक तथ्य यह है कि यह संभवता देश का ऐसा पहला मंदिर है, जिसका प्रवेश द्वार पश्चिम दिशा है.
जिला मुख्यालय चंबा से करीब 60 किलोमीटर दूर स्थित छतराड़ी गांव स्थित प्रसिद्व शिव शक्ति मंदिर से जुड़ी यह एतिहासिक घटना है. मौजूदा समय में यह मंदिर भारत सरकार के पुरातत्व विभाग के अधीन है और इसकी देखरेख का जिम्मा भी विभाग संभाले हुए है.
गोगा कारीगर ने किया था मंदिर का निर्माण
शिव शक्ति मंदिर छतराड़ी का निर्माण 780 ई पूर्व में हुआ था. मंदिर का निर्माण गोगा नामक मिस्त्री ने किया था. कहा जाता है कि गोगा मिस्त्री का एक ही हाथ था और मां के आर्शीवाद से कारीगर ने मंदिर का निर्माण पूरा किया.
कथा के अनुसार मंदिर का निर्माण पूरा होने पर कारीगर ने मोक्ष प्राप्ति की इच्छा जाहिर की थी. अलबता जैसे ही मंदिर निर्माण पूरा हुआ, मिस्त्री छत से गिर गया और उसकी मौके पर मौत हो गई. कारीगर के प्रतीक के रूप में एक चिड़िया के रूप की आकृति मंदिर में आज भी मौजूद है.
लकड़ी से हुआ है मंदिर का निर्माण
छतराड़ी गांव का शिव शक्ति मंदिर का निर्माण लकड़ी से हुआ है. मंदिर का शायद ही कोई भाग ऐसा हो, जहां पर पत्थर को प्रयोग में लाया गया है. मंदिर में लकड़ी पर की गई नक्काशी अद्भुत कारीगरी का एक बेहतरीन नमूना पेश करती है. इसके अलावा मंदिर के भीतर दीवारों पर बनाई गई पेंटिंग भी मंदिर में आर्कषण का केंद्र रहती है.
क्यों है मंदिर का पश्चिम में द्वार
कहा जाता है कि मां के आदेश पर गुगा कारीगर ने मंदिर का कार्य किया, लेकिन इस दौरान वह इसके द्वार को लेकर असमंजस में था. जिस पर शिव शक्ति मां ने गुगा को मंदिर घुमाने का आदेश दिया और कहा कि जहां यह रूक जाता है, उस तरफ इसका द्वार बना दो. कहा जाता है कि जिस वक्त मंदिर को घुमाया गया, तो यह पश्चिम दिशा में आकर रूका और देवी के आदेश के तहत इसका द्वार भी इसी दिशा में बना दिया गया.