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बचपन गरीबी में बीता लेकिन काबिलियत के दम पर हासिल किया ये मुकाम, जानें भरमौर से सबंध रखने वाले इस व्यक्ति की कहानी

जनक राज का बचपन काफी गरीबी हालत में बीता है, लेकिन बचपन से पढ़ाई के लिए होशियार जनक राज की प्राथमिक शिक्षा प्राथमिक पाठशाला संचुई से हुई. जनक राज ने अपनी काबिलियत के दम से नवोदय में दाखिला लिया. इसके बाद पीएमटी की परीक्षा पास करने के बाद एमबीबीएस किया

डॉ. जनकराज
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Published : Sep 7, 2019, 7:36 PM IST

चंबा: कहते हैं हौसले बुलंद हो तो मंजिलें खुद ब खुद मिल जाती हैं. यही कारनामा भरमौर के संचुई से सबंध रखने वाले डॉ. जनक राज ने कर दिखाया है. जनक राज का बचपन काफी गरीबी हालत में बीता है, लेकिन बचपन से पढ़ाई के लिए होशियार जनक राज की प्राथमिक शिक्षा प्राथमिक पाठशाला संचुई से हुई. जनक राज ने अपनी काबिलियत के दम से नवोदय में दाखिला लिया. इसके बाद पीएमटी की परीक्षा पास करने के बाद एमबीबीएस किया. उन्होंने एमबीबीएस करने के बाद शिमला समेत प्रदेश के अलग अलग जगहों पर नौकरी की. इसके बाद जनक राज ने न्यूरोसर्जरी में मास्टरी हासिल की. डॉ. जनकराज न्यूरोसर्जन होने के साथ उन्हें आईजीएमसी का एमएस का कार्यभार भी देखने को मिला है. प्रदेश के इतने बड़े अस्पताल का एमएस होना गर्व की बात हैं.

डॉ. जनकराज से खास बातचीत

ईटीवी से बातचीत करते हुए डॉ. जनकराज ने कहा कि परिवार ने हमेशा उनका सहयोग किया और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती रहती हैं. उन्होंने कहा कि आज इस मुकाम पर पहुंचने का कारण मेरे मां बाप के बाद मेरा समाज और मेरे गुरुजन शामिल हैं. चंबा के युवाओं से यही कहना चाहता हूं कि कोई चीज छोटी या बड़ी नहीं होती बस उसे पाने का जूनून होना चाहिए. किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिए उस लक्ष्य का पीछा करना पड़ता है, तभी आपको मंजिल मिल सकती है.

ये भी पढ़ें: तीन दिन से लापता वाहन चमेरा बांध में गिरने की आशंका, DSP ने दिये ये निर्देश

चंबा: कहते हैं हौसले बुलंद हो तो मंजिलें खुद ब खुद मिल जाती हैं. यही कारनामा भरमौर के संचुई से सबंध रखने वाले डॉ. जनक राज ने कर दिखाया है. जनक राज का बचपन काफी गरीबी हालत में बीता है, लेकिन बचपन से पढ़ाई के लिए होशियार जनक राज की प्राथमिक शिक्षा प्राथमिक पाठशाला संचुई से हुई. जनक राज ने अपनी काबिलियत के दम से नवोदय में दाखिला लिया. इसके बाद पीएमटी की परीक्षा पास करने के बाद एमबीबीएस किया. उन्होंने एमबीबीएस करने के बाद शिमला समेत प्रदेश के अलग अलग जगहों पर नौकरी की. इसके बाद जनक राज ने न्यूरोसर्जरी में मास्टरी हासिल की. डॉ. जनकराज न्यूरोसर्जन होने के साथ उन्हें आईजीएमसी का एमएस का कार्यभार भी देखने को मिला है. प्रदेश के इतने बड़े अस्पताल का एमएस होना गर्व की बात हैं.

डॉ. जनकराज से खास बातचीत

ईटीवी से बातचीत करते हुए डॉ. जनकराज ने कहा कि परिवार ने हमेशा उनका सहयोग किया और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती रहती हैं. उन्होंने कहा कि आज इस मुकाम पर पहुंचने का कारण मेरे मां बाप के बाद मेरा समाज और मेरे गुरुजन शामिल हैं. चंबा के युवाओं से यही कहना चाहता हूं कि कोई चीज छोटी या बड़ी नहीं होती बस उसे पाने का जूनून होना चाहिए. किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिए उस लक्ष्य का पीछा करना पड़ता है, तभी आपको मंजिल मिल सकती है.

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Intro:एक छोटे से गाँव से सफ़र करने के बाद आज आईजीएमसी शिमला में न्योरोसर्जन एव एमएस डॉ जनक राज से ईटीवी भारत की ख़ास बातचीत एक्सक्लूसिव ,

कहते हैं होंसले बुलंद हो तो मंजिलें खुद व् खुद मिल जाया करती हैं ,यही कारनामा कर दिखाया हैं चंबा जिला के भरमौर के संचुई से सबंध रखने वाले डॉ जनक राज ने ,जनक राज का बचपन काफी गरीबी हालत में बीता हैं लेकिन बचपन से पढ़ाई के लिए होशियार जनक राज की प्राथमिक शिक्षा प्राथमिक पाठशाला संचुई से हुई उसके बाद 1980 के दशक में बेहद मुश्किल था भरमौर से पैदल आना जाना सड़कों का विस्तारीकरण नहीं होने से ये युवा अपनी क़ाबलियत के दम पर इसे नवोदय में दाखिला मिला उसके बाद इन्होने पीएमटी की परीक्षा पास करने के बाद इनका चयन एमबीबीएस के लिए हुआ उन्होंने एमबीबीएस करने के बाद शिमला सहित प्रदेश के अलग अलग स्थानों पे नौकरी की इसके बाद उक्त जनक राज ने न्यूरोसर्जरी में मास्टरी हासिल की ,Body:चंबा आने में उन्होंने ईटीवी से ख़ास बत्चेत में इस सफ़र के बारे में बताया ,Conclusion:डॉ जनकराज न्यूरोसर्जन होने के साथ उन्हें आईजीएमसी का एमएस का कार्यभार भी देखने को मिला है प्रदेश के इतने बड़े अस्पताल के एमएस होना गर्व की बात हैं लेकिन हमसे बातचीत करते हुए कहा की परिवार ने कभी नहीं कहा की हम आपका खर्च नहीं उठा सकते हमेशा सहयोग मिला और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती रहती हैं , आज इस मुकाम पे मेरे माँ बाप के बाद मेरा समाज और मेरे गुरुजन शामिल है ,चंबा के युवाओ से यही कहना चाहता हूँ की कोई चीज छोटी या बड़ी नहीं होती बस उसे पाने का जूनून होना चाहिए चंबा के युवाओं को यही कहूँगा की किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिए उसके उस लक्ष्य का पीछा करना पड़ता हैं ,तभी आपको मंजिल मिल सकती है ,
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