चंबाः लोकसभा चुनाव 2019 के लिए हिमाचल प्रदेश में दोनों प्रमुख सियासी दलों ने लोगों के बीच में जाकर अपने उम्मीदवारों के लिए समर्थन जुटाना शुरू कर दिया है. एक तरफ बीजेपी मोदी के नाम पर विकास के ऐजेंडे की बात कर रही है तो वहीं, कांग्रेस भी मजबूती से ताल ठोकती नजर आ रही है, लेकिन इस सब के बीच चंबा जिले की एक तस्वीर भी है जो इन दावों और वादों की पोल खोलती नजर आती है. चंबा जिला के कई ऐसे इलाके है जहां आज भी लोगों के लिए सड़क सुविधा नहीं हैं. ऐसा ही एक क्षेत्र है चुराह विधानसभा की कल्हेल पंचायत. जहां की आबादी तीन हजार के करीब है, लेकिन आज भी उक्त पंचायत के एक दर्जन गांव सड़क सुविधा से वंचित है. जिसके चलते लोगों को दस से बारह किलोमीटर दूर पैदल सफर तय करके सड़क तक पहुंचना पड़ता हैं.
जानकारी के अनुसार बच्चों को दसवीं की शिक्षा हासिल करने के बाद बारहवीं की शिक्षा ग्रहन करने के लिए दस किलोमीटर दूर पैदल जाना पड़ता हैं. इन इलाकों में कोई बीमार हो जाए तो उसे पालकी के साहारे मुख्य मार्ग तक पहुंचाना पड़ता है. कल्हेल पंचायत खंदियारू, ढांड, नैला, बोहली, बन्हाल, देहरा, भरनोटी, भटका, टिपनागी, सरोली, भावला सहित ऐसे एक दर्जन गांव हैं, जहां हर बार लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान लोगों से बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं. अब लोगों ने इसे चुनावी मुद्दा बना दिया है. लोगों का साफ तौर पर कहना है कि जो सड़क बनवाएगा उसी को वोट मिलेगा.
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब भी चुनाव आते हैं तो हमसे बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन आज भी हमें दस से बारह किलोमीटर पैदल चलना पड़ता हैं. अगर कोई बीमार हो जाए तो मुश्किल और भी बढ़ जाती है. सभी पार्टियां आती है और बड़े बड़े वादे कर के चली जाती है. उनका कहना है कि इस बार का चुनाव अलग होगा, पहले जो हमें सड़क देगा उसी को इस बार वोट दिया जाएगा.
तीसा के एक्सेन हर्ष पूरी का कहना है कि मामला ध्यान में आया हैं और जैसे ही सरकार से अप्रूवल मिलती है तो इन मार्गों की जल्द डीपीआर सरकार को भेजेंगे. उसके बाद सरकार से अप्रूवल मिलने के बाद इसके टेंडर लगा दिए जाएंगे.