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आज भी पशुओं के साथ सोने को मजबूर है ये परिवार, PM आवास योजना के लिए 4 साल से कर रहे हैं इंतजार

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Published : Jul 27, 2019, 9:37 AM IST

चुराह विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत चांजू का भूरी सिंह का परिवार के लिए यह सरकारी आवास योजनाएं कोई मायने नहीं रखती हैं. 6 सदस्यों वाला ये परिवार बीपीएल में होने के बावजूद भी बार-बार आवेदन करने के बाद भी प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला है. कुछ तो ऐसे परिवार भी हैं, जिन्होंने दो-दो आवास योजनाओं का लाभ लिया है.

आज भी पशुओं के साथ सोता है चंबा के भूरी सिहं का परिवार

चंबाः 2019 में भी भूरी सिंह का परिवार एक कमरे में पशुओं के साथ रहता है. यह परिवार चुराह विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत चांजू के गांव गुडुआ का रहने वाला है. भूरी सिंह और उसकी पत्नी बसंती दोनों मजदूरी करते हैं.

इस परिवार की कमजोर माली हालत उस व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाती है जो आर्थिक रूप से सम्पन्न परिवारों को आवास योजना से लाभान्वित करवाती है. यह परिवार बीपीएल सूची में शामिल है, लेकिन फिर भी लगातार 4 साल तक आवेदन करने पर भी अभी तक उन्हें किसी भी आवास योजना के तहत लाभ नहीं मिला है.

भूरी सिंह का घर बिल्कुल जर्जर हालत में है और मकान गिरने की कगार पर है. वहीं, छत के नाम पर मिट्टी की छत मौजूद है, जो बरसात के दिनों में टपकनी शुरू हो जाती है. ना जाने यह घर कितनी बरसातें झेल पाएगा.

एक कमरे वाले इस मकान के एक कोने में मवेशी बंधे रहते हैं और दूसरे कोने पर पूरा परिवार एक साथ बैठ कर खाना खाता है. इस कमरे के एक कोने पर खाना बनाने का काम किया जाता है तो एक कोने में पूरा परिवार सोता है. यानि इस परिवार के लिए यही एक कमरा पूरी दुनिया है.

ये भी पढ़ें- हिमाचल में जल्द शुरू होगा वाटर ट्रांसपोर्ट, NTPC की टीम के साथ परिवहन मंत्री ने कोल डैम का किया सर्वेक्षण

यहां पर राजनीतिक पहुंच गरीबों के लिए चलाई गई योजना पर भारी पड़ती नजर आती है. इसी पंचायत में कुछ ऐसे परिवार भी हैं जो आर्थिक रूप से संपन्न होते हुए भी मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दो-दो बार मिल चुका है.

डीसी चंबा विवेक भाटिया का कहना है कि मामला ध्यान में आया है इसके बारे में चुराह प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है और उसके बाद ही आगामी कार्रवाही की जाएगी.

ये भी पढ़ें- इस गांव में है दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र, सिकंदर के वंशज माने जाते हैं यहां के लोग

चंबाः 2019 में भी भूरी सिंह का परिवार एक कमरे में पशुओं के साथ रहता है. यह परिवार चुराह विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत चांजू के गांव गुडुआ का रहने वाला है. भूरी सिंह और उसकी पत्नी बसंती दोनों मजदूरी करते हैं.

इस परिवार की कमजोर माली हालत उस व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाती है जो आर्थिक रूप से सम्पन्न परिवारों को आवास योजना से लाभान्वित करवाती है. यह परिवार बीपीएल सूची में शामिल है, लेकिन फिर भी लगातार 4 साल तक आवेदन करने पर भी अभी तक उन्हें किसी भी आवास योजना के तहत लाभ नहीं मिला है.

भूरी सिंह का घर बिल्कुल जर्जर हालत में है और मकान गिरने की कगार पर है. वहीं, छत के नाम पर मिट्टी की छत मौजूद है, जो बरसात के दिनों में टपकनी शुरू हो जाती है. ना जाने यह घर कितनी बरसातें झेल पाएगा.

एक कमरे वाले इस मकान के एक कोने में मवेशी बंधे रहते हैं और दूसरे कोने पर पूरा परिवार एक साथ बैठ कर खाना खाता है. इस कमरे के एक कोने पर खाना बनाने का काम किया जाता है तो एक कोने में पूरा परिवार सोता है. यानि इस परिवार के लिए यही एक कमरा पूरी दुनिया है.

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यहां पर राजनीतिक पहुंच गरीबों के लिए चलाई गई योजना पर भारी पड़ती नजर आती है. इसी पंचायत में कुछ ऐसे परिवार भी हैं जो आर्थिक रूप से संपन्न होते हुए भी मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दो-दो बार मिल चुका है.

डीसी चंबा विवेक भाटिया का कहना है कि मामला ध्यान में आया है इसके बारे में चुराह प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है और उसके बाद ही आगामी कार्रवाही की जाएगी.

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Intro:आवास योजना के नाम पे गरीबो से मजाक , नहीं मिला आवास योजना के तहत कोई लाभ ,बीपीएल में होने के बाबजूद टाक रहे पंचायत और सरकार की राह

बेघर लोगों व कच्चे तथा खस्ता हालत वाले एक कमरे के मकान में गुजर-बसर करने वाले परिवारों को घर मुहैया करवाने के लिए केंद्र व राज्य सरकार ने आवास योजनाएं चला रखी हैं। इन योजनाओं का प्रदेश के अब तक लाखों लोग लाभ ले चुके हैं, लेकिन चुराह विधानसभा क्षेत्र के दायरे में आने वाली ग्राम पंचायत चांजू के गांव गुडुआ के भूरी सिंह पुत्र मुसद्दी के लिए यह सरकारी आवास योजनाएं कोई मायने नहीं रखती हैं। इसकी वजह यह है कि बी.पी.एल. सूची में शामिल होने के बावजूद इस 6 सदस्यों वाले परिवार को बार-बार आवेदन करने के बावजूद आवास सुविधा का लाभ नहीं मिला है।

इस परिवार की गुरबत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भूरी सिंह जोकि मजदूरी करता है, लेकिन माह में चंद रोज ही उसे काम मिलता है। ऐसे में परिवार के पालन-पोषण में उसकी पत्नी बसंती बजरी तोड़ कर हाथ बंटाती है। शुक्र है कि चांजू में कुछ आर्थिक रूप से संपन्न लोग पक्के मकान बनाने का काम चलाए हुए हैं, जिसके चलते बसंती को बजरी तोडऩे का काम मिल गया है, वरना इस परिवार पर भूखों मरने की नौबत आन पड़ती। भूरी सिंह के मकान की बात करें तो इसका मकान लगभग गिरने की कगार पर है तो वहीं छत के नाम पर मिट्टी की छत मौजूद है, जोकि बरसात के दिनों में टपकनी शुरू हो जाती है।Body:एक बड़े कमरे वाले इस मकान के एक कोने में मवेशी बंधे रहते हैं, जोकि वहीं पर मल-मूत्र करते हैं तो दूसरे कोने पर पूरा परिवार एक साथ बैठ कर खाना खाता है। इस कमरे के एक कोने पर खाना बनाने का काम किया जाता है तो एक कोने में पूरा परिवार सोता है। यानी इस परिवार के लिए यही एक कमरा पूरी दुनिया है। यह परिवार इस कदर गरीब है कि अपने मवेशियों को अलग रखने के लिए यह गऊशाला तक नहीं बना पाया है। यह स्थिति जहां उनकी कमजोर माली हालत को दर्शाती है तो साथ ही यह उस व्यवस्था पर भी प्रश्नचिन्ह लगाती है जोकि आर्थिक रूप से सम्पन्न परिवारों को आवास योजना से लाभान्वित करवाती है।Conclusion:राजनीतिक पहुंच गरीबों के लिए चलाई योजना पर भारी

जानकारी अनुसार इस पंचायत में कई ऐसे परिवार हैं, जिन्हें मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिल चुका है, लेकिन वे आॢथक रूप से संपन्न हैं। यही नहीं, कुछ तो ऐसे परिवार भी हैं, जिन्होंने दोनों आवास योजनाओं का लाभ लिया है। यानी राजनीतिक पहुंच यहां पर गरीबों के लिए चलाई गई योजना पर भारी पड़ती नजर आती है। भूरी सिंह व उसकी पत्नी बसंती की मानें तो वे लगातार बीते 4 वर्षों से इस आवास योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए ग्राम सभा व पंचायत की बैठक में गुहार लगाते रहते हैं, लेकिन अभी तक उन्हें किसी भी योजना के तहत यह लाभ नहीं दिया गया है। मकान की क्षतिग्रस्त स्थिति की वजह से हर दिन मन में यह डर बना रहता है कि न जाने कब उनके परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़े।

वहीँ दूसरी और डीसी चंबा विवेक भाटिया का कहना हैं की मामला ध्यान में लाया गया हैं इसके बारे चुराह प्रशासन से रिपोर्ट मांगी हैं और उसके बाद ही आगामी कार्यवाही की जाएगी .
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