चंबा: बकरीद का त्योहार शनिवार मनाया जाएगा, लेकिन कोरोना संकट के चलते इस बार रंग फीका ही रहेगा, हालांकि त्योहार को घरों में मनाने के लिए मुस्लिम समाज के लोगों ने तैयारियां पूरी कर ली हैं. प्रदेश में मुस्लिम समाज के लोग जिले में बड़ी संख्या में रहते हैं, लेकिन इस बार बकरों की कुर्बानी कम होने की संभावना जताई जा रही है. यहां हर तीसरे घर में बकरे की कुर्बानी दी जाती थी, लेकिन इस बार ऐसा हो पाएगा इसकी संभावना कम ही दिखाई दे रही है.
बकरों का कोरोबार 60 फीसदी कम
जानकारी के मुताबिक कोरोना संकट के इस दौर में जिले में पिछले साल की तुलना में बकरों का कोरोबार 60 फीसदी तक कम हुआ है. इसका कारण जिले से दूसरे जिलों में नहीं जाना माना जा रहा है. हर साल बकरीद पर जम्मू-कश्मीर, पंजाब और अन्य प्रदेशों से बकरों को लाया जाता था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो पाया है. मुस्लिम समाज के लोगों ने आसपास के इलाकों से कुर्बानी के लिए बकरों को खरीदा जिनकी कुर्बानी शनिवार को दी जाएगी.
कुर्बानी देकर मांगेंगे दुआ
मुस्लिम समाज के बुजुर्ग मुस्तफा ने बताया कि शनिवार को बकरों की कुर्बानी देकर देश की खुशहाली के लिए दुआ मांगी जाएगी. वहीं, समाज के युवा अब्दुल फारूक, मोहम्मद रफी. अयूब खान ने बताया कि कोरोना संकट के चलते त्योहार पर असर दिखाई देगा. इस बार बकरों की खरीदी के लिए जम्मू-कश्मीर सहित अन्य राज्यों में नहीं जा सके. जिन लोगों के पास कुर्बानी के लिए बकरे हैं. उन्हीं के साथ सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना नियमों का पालन करते हुए त्योहार मनाया जाएगा.
रमजान के बाद मनाया जाता है त्योहार
मुस्लिम समाज रमजान के पवित्र त्योहर के करीब 70 दिनों के बाद बकरीद का त्योहार मनाता है. इस्लामिक मान्यता के अनुसार हजरत इब्राहिम अपने बेटे हजरत इस्माइल को खुदा के हुक्म पर खुदा की राह में कुर्बान करने इसी दिन जा रहे थे. अल्लाह ने उनके बेटे को जीवनदान दिया जिसकी याद में त्योहार मनाया जाता है.
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