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'जमीन व सुविधाएं हिमाचल की, फिर भी नहीं मिल रहा सीएसआर का करोड़ों रुपया, चालाकी करते हैं उद्योगपति' - सीएसआर

हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र में मंगलवार को राज्य में स्थापित उद्योगों द्वारा सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) का पैसा यहां खर्च न करने का मामला उठा. देहरा के विधायक होशियार सिंह ने इस संदर्भ में सवाल पूछा था.

जयराम ठाकुर, सीएम
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Published : Feb 12, 2019, 8:08 PM IST

शिमला. हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र में मंगलवार को राज्य में स्थापित उद्योगों द्वारा सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) का पैसा यहां खर्च न करने का मामला उठा. देहरा के विधायक होशियार सिंह ने इस संदर्भ में सवाल पूछा था.

जयराम ठाकुर, सीएम
जयराम ठाकुर, सीएम
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उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह की गैर मौजूदगी में सवाल का जवाब देने के लिए वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर को प्राधिकृत किया गया था. गोविंद सिंह ने स्वीकार किया कि कई उद्योग सीएसआर के तहत तय दो फीसदी पैसा स्थानीय इलाके की बेहतरी के लिए खर्च नहीं करते.

सवाल पूछने वाले विधायक होशियार सिंह ने ऊना जिला के अंब में 400 करोड़ रुपये की एक औद्योगिक इकाई का संदर्भ दिया और कहा कि इससे 3 हजार लोगों को रोजगार मिलना था. न तो कंपनी ने सीएसआर का दो फीसदी हिमाचल में खर्च किया और न ही यहां उद्योग चलाया.

जमीन सरकार से ले ली और कारोबार पंजाब के होशियारपुर में हो रहा है. विधायक होशियार सिंह ने कहा कि ऐसे कई और मामले भी हैं. यदि ध्यान से पड़ताल की जाए तो मालूम होगा कि सीएसआर की हजारों करोड़ रुपये की रकम है, जो उद्योगों ने हिमाचल में नहीं दी है.

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उन्होंने 'नेशनल हाइड्रो पावर कारपोरेशन' का भी उदाहरण दिया और कहा कि एनएचपीसी भी सीएसआर का दो फीसदी हिमाचल में खर्च नहीं करती है. कांग्रेस की विधायक आशा कुमारी ने भी इस मामले में होशियार सिंह की बात से इत्तेफाक जताया और कहा कि एनएचपीसी ने हिमाचल में सीएसआर का पैसा खर्च नहीं किया है.

दरअसल, सीएसआर यानि कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत हिमाचल में स्थापित उद्योगों को लाभ का दो फीसदी हिस्सा स्थानीय जनता की भलाई से जुड़े कार्यों पर खर्च करना होता है. हिमाचल सरकार का लचीला रुख देखते हुए उद्योग चालाकी करते हैं और सीएसआर का पैसा खर्च नहीं करते.

बाद में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हस्तक्षेप किया और सदन को भरोसा दिलाया कि कोई न कोई ऐसा उपाय किया जाएगा, जिससे उद्योगों की जवाबदेही तय हो. अपने सवाल में होशियार सिंह ने चिंता जताई कि सरकार के पास इस मामले की पुख्ता जानकारी नहीं है कि कितने उद्योगों ने सीएसआर का पैसा खर्च किया है और कहां?

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विधायक होशियार के सवाल के जवाब में वन मंत्री ने कहा कि उद्योगों का ये मामला केंद्र सरकार के कॉरपोरेट अफेयर मंत्रालय के तहत आता है. उन पर उद्योग विभाग का सीधा नियंत्रण नहीं है फिर भी विधायक ने जो सवाल किया है और जानकारी चाही है, वो उन्हें सिलसिलेवार दे दी जाएगी.

इसी मामले में विधायक परमजीत सिंह पम्मी ने भी सवाल किया. उन्होंने बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ औद्योगिक क्षेत्र के तहत बद्दी का मामला उठाया. पम्मी ने कहा कि यहां 3000 के करीब औद्योगिक इकाइयां चल रही हैं, इनमें से महज 20 या 25 इकाइयां ही सीएसआर का पैसा खर्च कर रही हैं.

आशा कुमारी ने कहा कि एनएचपीसी को लेकर प्रदेश का अनुभव है कि वो यहां पैसा खर्च नहीं करता. एनएचपीसी दिल्ली में पैसा लगाने का दावा करता है. मुख्यमंत्री ने इस पर सदन को भरोसा दिलाया कि इस बारे में पॉलिसी पर काम किया जाएगा.

सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि बीच का रास्ता निकालना होगा. ऐसा भी न हो कि उद्योग हिमाचल में निवेश करने से पीछे हटने लगे. फिर भी ये सुनिश्चित किया जाएगा कि सीएसआर का पैसा हिमाचल में ही खर्च हो.

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सीएम ने कहा कि अभी तक ऐसा कोई मैकेनिज्म विकसित नहीं था. मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि कई बार सीएम रिलीफ फंड में पैसे की कमी होती है तो उद्योग उसमें अंशदान करते हैं, कई दफा खुद सरकार उद्योगों को सीएम रिलीफ फंड में अंशदान के लिए कहती है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस दिशा में गंभीरता से काम करने की जरूरत है. उद्योग सीएसआर का पैसा सामाजिक कल्याण के कार्यों में खर्च करे, इसके लिए प्रभावी तंत्र विकसित किया जाएगा.

शिमला. हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र में मंगलवार को राज्य में स्थापित उद्योगों द्वारा सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) का पैसा यहां खर्च न करने का मामला उठा. देहरा के विधायक होशियार सिंह ने इस संदर्भ में सवाल पूछा था.

जयराम ठाकुर, सीएम
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उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह की गैर मौजूदगी में सवाल का जवाब देने के लिए वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर को प्राधिकृत किया गया था. गोविंद सिंह ने स्वीकार किया कि कई उद्योग सीएसआर के तहत तय दो फीसदी पैसा स्थानीय इलाके की बेहतरी के लिए खर्च नहीं करते.

सवाल पूछने वाले विधायक होशियार सिंह ने ऊना जिला के अंब में 400 करोड़ रुपये की एक औद्योगिक इकाई का संदर्भ दिया और कहा कि इससे 3 हजार लोगों को रोजगार मिलना था. न तो कंपनी ने सीएसआर का दो फीसदी हिमाचल में खर्च किया और न ही यहां उद्योग चलाया.

जमीन सरकार से ले ली और कारोबार पंजाब के होशियारपुर में हो रहा है. विधायक होशियार सिंह ने कहा कि ऐसे कई और मामले भी हैं. यदि ध्यान से पड़ताल की जाए तो मालूम होगा कि सीएसआर की हजारों करोड़ रुपये की रकम है, जो उद्योगों ने हिमाचल में नहीं दी है.

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उन्होंने 'नेशनल हाइड्रो पावर कारपोरेशन' का भी उदाहरण दिया और कहा कि एनएचपीसी भी सीएसआर का दो फीसदी हिमाचल में खर्च नहीं करती है. कांग्रेस की विधायक आशा कुमारी ने भी इस मामले में होशियार सिंह की बात से इत्तेफाक जताया और कहा कि एनएचपीसी ने हिमाचल में सीएसआर का पैसा खर्च नहीं किया है.

दरअसल, सीएसआर यानि कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत हिमाचल में स्थापित उद्योगों को लाभ का दो फीसदी हिस्सा स्थानीय जनता की भलाई से जुड़े कार्यों पर खर्च करना होता है. हिमाचल सरकार का लचीला रुख देखते हुए उद्योग चालाकी करते हैं और सीएसआर का पैसा खर्च नहीं करते.

बाद में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हस्तक्षेप किया और सदन को भरोसा दिलाया कि कोई न कोई ऐसा उपाय किया जाएगा, जिससे उद्योगों की जवाबदेही तय हो. अपने सवाल में होशियार सिंह ने चिंता जताई कि सरकार के पास इस मामले की पुख्ता जानकारी नहीं है कि कितने उद्योगों ने सीएसआर का पैसा खर्च किया है और कहां?

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विधायक होशियार के सवाल के जवाब में वन मंत्री ने कहा कि उद्योगों का ये मामला केंद्र सरकार के कॉरपोरेट अफेयर मंत्रालय के तहत आता है. उन पर उद्योग विभाग का सीधा नियंत्रण नहीं है फिर भी विधायक ने जो सवाल किया है और जानकारी चाही है, वो उन्हें सिलसिलेवार दे दी जाएगी.

इसी मामले में विधायक परमजीत सिंह पम्मी ने भी सवाल किया. उन्होंने बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ औद्योगिक क्षेत्र के तहत बद्दी का मामला उठाया. पम्मी ने कहा कि यहां 3000 के करीब औद्योगिक इकाइयां चल रही हैं, इनमें से महज 20 या 25 इकाइयां ही सीएसआर का पैसा खर्च कर रही हैं.

आशा कुमारी ने कहा कि एनएचपीसी को लेकर प्रदेश का अनुभव है कि वो यहां पैसा खर्च नहीं करता. एनएचपीसी दिल्ली में पैसा लगाने का दावा करता है. मुख्यमंत्री ने इस पर सदन को भरोसा दिलाया कि इस बारे में पॉलिसी पर काम किया जाएगा.

सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि बीच का रास्ता निकालना होगा. ऐसा भी न हो कि उद्योग हिमाचल में निवेश करने से पीछे हटने लगे. फिर भी ये सुनिश्चित किया जाएगा कि सीएसआर का पैसा हिमाचल में ही खर्च हो.

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सीएम ने कहा कि अभी तक ऐसा कोई मैकेनिज्म विकसित नहीं था. मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि कई बार सीएम रिलीफ फंड में पैसे की कमी होती है तो उद्योग उसमें अंशदान करते हैं, कई दफा खुद सरकार उद्योगों को सीएम रिलीफ फंड में अंशदान के लिए कहती है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस दिशा में गंभीरता से काम करने की जरूरत है. उद्योग सीएसआर का पैसा सामाजिक कल्याण के कार्यों में खर्च करे, इसके लिए प्रभावी तंत्र विकसित किया जाएगा.



---------- Forwarded message ---------
From: RAJNEESH KUMAR <rajneeshkumar@etvbharat.com>
Date: Tue, Feb 12, 2019 at 6:20 PM
Subject: जमीन व सुविधाएं हिमाचल की, फिर भी नहीं मिल रहा सीएसआर का करोड़ों रुपया, चालाकी करते हैं उद्योगपति
To: ETV Himachal Pradesh <hpdesk@etvbharat.com>


जमीन व सुविधाएं हिमाचल की, फिर भी नहीं मिल रहा सीएसआर का करोड़ों रुपया, चालाकी करते हैं उद्योगपति 
शिमला। हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र में मंगलवार को राज्य में स्थापित उद्योगों द्वारा सीएसआर (कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) का पैसा यहां खर्च न करने का मामला उठा। देहरा के विधायक होशियार सिंह ने इस संदर्भ में सवाल पूछा था। उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह की गैर मौजूदगी में सवाल का जवाब देने के लिए वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर को प्राधिकृत किया गया था। गोविंद सिंह ने स्वीकार किया कि कई उद्योग सीएसआर के तहत तय दो फीसदी पैसा स्थानीय इलाके की बेहतरी के लिए खर्च नहीं करते। सवाल पूछने वाले विधायक होशियार सिंह ने ऊना जिला के अंब में 400 करोड़ रुपए की एक औद्योगिक इकाई का संदर्भ दिया और कहा कि इससे 3 हजार लोगों को रोजगार मिलना था। न तो कंपनी ने सीएसआर का दो फीसदी हिमाचल में खर्च किया और न ही यहां उद्योग चलाया। जमीन सरकार से ले ली और कारोबार पंजाब के होशियारपुर में हो रहा है। विधायक होशियार सिंह ने कहा कि ऐसे कई और मामले भी हैं। यदि ध्यान से पड़ताल की जाए तो मालूम होगा कि सीएसआर की हजारों करोड़ रुपए की रकम है, जो उद्योगों ने हिमाचल में नहीं दी है। उन्होंने नेशनल हाइड्रोपावर कारपोरेशन का भी उदाहरण दिया और कहा कि एनएचपीसी भी सीएसआर का दो फीसदी हिमाचल में खर्च नहीं करती है। कांग्रेस की विधायक आशा कुमारी ने भी इस मामले में होशियार सिंह की बात से इत्तेफाक जताया और कहा कि एनएचपीसी ने हिमाचल में सीएसआर का पैसा खर्च नहीं किया है। दरअसल, सीएसआर यानी कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत हिमाचल में स्थापित उद्योगों को लाभ का दो फीसदी हिस्सा स्थानीय जनता की भलाई से जुड़े कार्यों पर खर्च करना होता है। हिमाचल सरकार का लचीला रुख देखते हुए उद्योग चालाकी करते हैं और सीएसआर का पैसा खर्च नहीं करते। बाद में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हस्तक्षेप किया और सदन को भरोसा दिलाया कि कोई न कोई ऐसा उपाय किया जाएगा, जिससे उद्योगों की जवाबदेही तय हो। अपने सवाल में होशियार सिंह ने चिंता जताई कि सरकार के पास इस मामले की पुख्ता जानकारी नहीं है कि कितने उद्योगों ने सीएसआर का पैसा खर्च किया है और कहां? विधायक होशियार के सवाल के जवाब में वन मंत्री ने कहा कि उद्योगों का ये मामला केंद्र सरकार के कॉरपोरेट अफेयर मंत्रालय के तहत आता है। उन पर उद्योग विभाग का सीधा नियंत्रण नहीं है। फिर भी विधायक ने जो सवाल किया है और जानकारी चाही है, वो उन्हें सिलसिलेवार दे दी जाएगी। इसी मामले में विधायक परमजीत सिंह पम्मी ने भी सवाल किया। उन्होंने बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ औद्योगिक क्षेत्र के तहत बद्दी का मामला उठाया। पम्मी ने कहा कि यहां 3000 के करीब औद्योगिक इकाइयां चल रही हैं। इनमें से महज 20 या 25 इकाइयां ही सीएसआर का पैसा खर्च कर रही हैं। आशा कुमारी ने कहा कि एनएचपीसी को लेकर प्रदेश का अनुभव है कि वो यहां पैसा खर्च नहीं करता। एनएचपीसी दिल्ली में पैसा लगाने का दावा करता है। मुख्यमंत्री ने इस पर सदन को भरोसा दिलाया कि इस बारे में पॉलिसी पर काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बीच का रास्ता निकालना होगा। ऐसा भी न हो कि उद्योग हिमाचल में निवेश करने से पीछे हटने लगें। फिर भी ये सुनिश्चित किया जाएगा कि सीएसआर का पैसा हिमाचल में ही खर्च हो। सीएम ने कहा कि अभी तक ऐसा कोई मैकेनिज्म विकसित नहीं था। मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि कई बार सीएम रिलीफ फंड में पैसे की कमी होती है तो उद्योग उसमें अंशदान करते हैं। कई दफा खुद सरकार उद्योगों को सीएम रिलीफ फंड में अंशदान के लिए कहती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस दिशा में गंभीरता से काम करने की जरूरत है। उद्योग सीएसआर का पैसा सामाजिक कल्याण के कार्यों में खर्च करे, इसके लिए प्रभावी तंत्र विकसित किया जाएगा। 

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