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क्वारंटाइन सेंटर में हुई युवक की मौत के मामले पर भड़के परिजन, 1 माह बाद भी नहीं मिला मृत्यु प्रमाण पत्र

स्वारघाट में इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन किए गए कुहमझवाड़ पंचायत के एक युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु के मामले में परिजनों के साथ लोगों ने प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. लोग शुक्रवार को बिलासपुर में सड़कों पर उतर पड़े. लोगों ने डीसी ऑफिस पर भी धरना दिया.

protest at dc office bilaspur
इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन में युवक की हुई मौत पर भड़के परिजन
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Published : Jun 26, 2020, 8:42 PM IST

बिलासपुर: स्वारघाट में इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन किए गए कुहमझवाड़ पंचायत के एक युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु के मामले में परिजनों के साथ लोगों ने प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

जांच में देरी से भड़के लोग शुक्रवार को बिलासपुर में सड़कों पर उतर पड़े. त्यून-सरयून किसान एवं श्रमिक कल्याण सभा के अध्यक्ष आशीष ठाकुर की अगुवाई में ग्रामीणों ने पहले काॅलेज चौक पर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया.

उसके बाद डीसी ऑफिस तक शांति मार्च निकाला गया. बाद में डीसी ऑफिस में धरना दिया गया, जिसमें पूर्व कांग्रेस विधायक बम्बर ठाकुर भी मौजूद रहे. डीसी ऑफिस बिलासपुर में धरने को संबोधित करते हुए बम्बर ठाकुर और आशीष ठाकुर ने कहा कि बीते माह दिल्ली से आए कुहमझवाड़ पंचायत के युवक हंसराज को स्वारघाट में इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन किया गया था.

वीडियो

बीते 10 मई को तबीयत बिगड़ने पर डाॅक्टर ने जांच के बाद मरीज को बिलासपुर रेफर कर दिया. हालांकि वहां एम्बुलेंस भी मौजूद थी, लेकिन उसके कर्मचारियों ने हंसराज को हाथ तक नहीं लगाया. बाद में पुलिस के हस्तक्षेप से उसे एम्बुलेंस के माध्यम से बिलासपुर पहुंचाया गया. बिलासपुर से उसे आईजीएमसी शिमला रेफर कर दिया गयाए, लेकिन वहां भी एम्बुलेंस देरी से रवाना हुई. समय पर इलाज न होने के कारण हंसराज ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया था.

बंबर ठाकुर व आशीष ने कहा कि इस मामले में एम्बुलेंस के कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी. मामले के तूल पकड़ने पर सीएम ने 10 दिनों के भीतर जांच पूरी करने के आदेश दिए थे. जांच का दायित्व एडीएम को सौंपा गया था.

हैरानी इस बात की है कि डेढ़ माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हो पाई है. आलम यह है कि मृतक युवके के परिजन कई बार प्रशासन का दरवाजा खटखटा चुके हैं, लेकिन उन्हें बेटे का मृत्यु प्रमाण पत्र तक जारी नहीं किया गया है.

यह हैरान करने वाला पहलू है. इससे संदेह पैदा हो रहा है कि जांच सही से नहीं की गई है. बंबर ठाकुर व आशीष ने डीसी राजेश्वर गोयल के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन प्रेषित किया.

साथ ही मांग की है कि इस मामले की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज से करवाकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. इस मौके पर कुहमझवाड़ पंचायत के उपप्रधान धर्म सिंह ठाकुर समेत बड़ी संख्या में अन्य लोग भी मौजूद थे.

पढ़ें: प्रदेश में लॉकडाउन के बीच 136 सुसाइड केस, युवाओं में स्ट्रेस और डिप्रेशन की ज्यादा समस्या

बिलासपुर: स्वारघाट में इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन किए गए कुहमझवाड़ पंचायत के एक युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु के मामले में परिजनों के साथ लोगों ने प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

जांच में देरी से भड़के लोग शुक्रवार को बिलासपुर में सड़कों पर उतर पड़े. त्यून-सरयून किसान एवं श्रमिक कल्याण सभा के अध्यक्ष आशीष ठाकुर की अगुवाई में ग्रामीणों ने पहले काॅलेज चौक पर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया.

उसके बाद डीसी ऑफिस तक शांति मार्च निकाला गया. बाद में डीसी ऑफिस में धरना दिया गया, जिसमें पूर्व कांग्रेस विधायक बम्बर ठाकुर भी मौजूद रहे. डीसी ऑफिस बिलासपुर में धरने को संबोधित करते हुए बम्बर ठाकुर और आशीष ठाकुर ने कहा कि बीते माह दिल्ली से आए कुहमझवाड़ पंचायत के युवक हंसराज को स्वारघाट में इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन किया गया था.

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बीते 10 मई को तबीयत बिगड़ने पर डाॅक्टर ने जांच के बाद मरीज को बिलासपुर रेफर कर दिया. हालांकि वहां एम्बुलेंस भी मौजूद थी, लेकिन उसके कर्मचारियों ने हंसराज को हाथ तक नहीं लगाया. बाद में पुलिस के हस्तक्षेप से उसे एम्बुलेंस के माध्यम से बिलासपुर पहुंचाया गया. बिलासपुर से उसे आईजीएमसी शिमला रेफर कर दिया गयाए, लेकिन वहां भी एम्बुलेंस देरी से रवाना हुई. समय पर इलाज न होने के कारण हंसराज ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया था.

बंबर ठाकुर व आशीष ने कहा कि इस मामले में एम्बुलेंस के कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी. मामले के तूल पकड़ने पर सीएम ने 10 दिनों के भीतर जांच पूरी करने के आदेश दिए थे. जांच का दायित्व एडीएम को सौंपा गया था.

हैरानी इस बात की है कि डेढ़ माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हो पाई है. आलम यह है कि मृतक युवके के परिजन कई बार प्रशासन का दरवाजा खटखटा चुके हैं, लेकिन उन्हें बेटे का मृत्यु प्रमाण पत्र तक जारी नहीं किया गया है.

यह हैरान करने वाला पहलू है. इससे संदेह पैदा हो रहा है कि जांच सही से नहीं की गई है. बंबर ठाकुर व आशीष ने डीसी राजेश्वर गोयल के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन प्रेषित किया.

साथ ही मांग की है कि इस मामले की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज से करवाकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. इस मौके पर कुहमझवाड़ पंचायत के उपप्रधान धर्म सिंह ठाकुर समेत बड़ी संख्या में अन्य लोग भी मौजूद थे.

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