बिलासपुर: जिले में कोरोना वायरस ने निजी बस ऑपरेटर्स की कमर तोड़ कर रख दी. निजी बस ऑपरेटर्स, चालकों व परिचालकों को जीवन यापन करना मुश्किल हो गया हैं. बिलासपुर में 305 निजी बसों को संचालित किया जाता है. 22 मार्च से एक जून तक निजी बसों का संचालन बंद था. भले ही एक जून से सरकार ने बसें चलाने की अनुमति दे दी है, लेकिन ये भी निजी ऑपरेटर्स के लिए घाटे का सौदा बन गया है.
लॉकडाउन से अब तक निजी बस ऑपरेटर्स को 56 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है. जानकारी के मुताबिक निजी बस ऑपरेटर्स को रोज करीब साढ़े सात लाख रुपए का नुकसान हो रहा है. सरकार ने एक जून से साठ प्रतिशत सवारियों के साथ बस चलाने की अनुमति दे दी है, लेकिन लोग बसों में सफर करने से परहेज कर रहे हैं. ऐसे में बसों में साठ प्रतिशत सवारियां भी नहीं मिल रही हैं. सवारियों की कमी को देखते हुए निजी बस ऑपरेटर्स बसें चलाने से परहेज कर रहे हैं. वहीं कुछ निजी बस के कुछ चालक-परिचालक भी बसें चलाने के लिए तैयार नहीं हैं.
रोज उठाना पड़ रहा नुकसान
बस चालकों-परिचालकों का मानना है कि इस महामारी के दौर में कुछ हो जाए तो कौन जिम्मेदारी लेगा. उनका कहना है कि प्रदेश सरकार ने परिवहन निगम के चालकों और परिचालकों का बीमा तो कर दिया ,लेकिन निजी बसों के चालकों व परिचालकों के बारे में किसी ने भी विचार नहीं किया.
वहीं, जिला प्रधान निजी बस ऑपरेटरों यूनियन राजेश पटियाल ने कहा कि कोरोना वायरस ने निजी बस ऑपरेटरों की कमर तोड़कर रख दी. ऑपरेटर्स को अब तक नुकसान 56 करोड़ रुपए से अधिक हो गया. इस नुकसान में केवल बैंक, चालक, परिचालक व इंश्योरेंस को ही सम्मिलित किया गया है.
यूनियन की पांच मांगें
जिला प्रधान निजी बस ऑपरेटरों यूनियन राजेश पटियाल ने बताया हमने पांच मांगों को सरकार के सामने रखा है. जब तक सरकार हमारी मांगों को नहीं मानती हम बस सेवा शुरू नहीं करेंगे. वहीं,आरटीओ विद्या देवी ने बताया कि निजी बस ऑपरेटर्स ने बसों को बंद कर रखा है.
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