बिलासपुर: जिला बिलासपुर के घुमारवीं उपमंडल के तहत आने वाली ग्राम पंचायत रोहिण में मूसलाधार बारिश ने 7 परिवारों पर कहर ढाया है. दरअसल, भारी बारिश और भूस्खलन से रोहिण गांव में जमीन धंसने लगा. वहीं, कई रिहायशी मकानों में दरारें पड़ जाने के कारण मकान क्षतिग्रस्त हो गया. जिसके कारण सात परिवार घर से बेघर हो गए हैं. बताया जा रहा है कि कुछ लोग अपने रिश्तेदारों के घरों में पनाह लेने को मजबूर हो गए हैं.
दरअसल, पीड़ित सुनीता कुमारी ने बताया कि कीरतपुर-नेरचौक फोरलेन के निर्माण के दौरान उनका भूमि और मकान उसने चले गए थे. थोड़ी सी भूमि मकान बनाने के लायक बची थी. जिस पर तीनों भाइयों ने दिन-रात एक कर मकान बनाए थे, लेकिन मूसलाधार बारिश होने के चलते जमीन के धंस जाने से मकान दरारें पड़ गई जिससे पूरा मकान क्षतिग्रस्त हो गया हैं. फिलहाल वह अपने परिवारों का जीवन बसर करने के लिए प्रति दिन मकान के बाहर डर के साए में सोने को विवश हैं. वहीं, परिवार के पूरे के सदस्यों को सोने के लिए करीब 2 किलोमीटर दूरी पर पंचायत घर में जाना पड़ता है.
पीड़ित ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें दुख इस बात का है कि फ़ौरी राहत के तौर पर प्रशासन की ओर से उन्हें आर्थिक तौर पर किसी प्रकार की सहायता प्रदान नहीं की गई है. वहीं, प्रकाश चंद का रिहायशी मकान और पशुशाला जमीन धंसने से पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है साथ ही बेली राम का रिहायशी मकान दरारें आने से क्षतिग्रस्त हो गया है. इन सभी पीड़ित परिवारों को भी रात्रि में सोने के लिए पंचायत घर जाना पड़ता है.
आपदा से प्रभावित इन सभी परिवारों का कहना है कि सरकार के द्वारा जब पीड़ित परिवारों को फौरी राहत प्रदान की जाती है तो नियमानुसार अनुसार उन्हें फौरी राहत क्यों प्रदान नहीं की गई. पीड़ित परिवारों ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू से मांग की है कि रोहिण खास गांव में भारी वर्षा से हुए नुकसान का विशेष टीम से सर्वेक्षण करवा कर तत्काल फौरी राहत प्रदान करवाई जाए. इसके अलावा पीड़ित परिवारों को रिहायशी मकान बनाने के लिए भूमि भी उपलब्ध करवाई जाए.
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