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कोरोना काल में बिना किताब गुजरा पिछला साल, अब पढ़ाई छोड़ मजदूरी करने को मजबूर नौनिहाल

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Published : Feb 25, 2021, 9:27 AM IST

Updated : Feb 25, 2021, 9:51 AM IST

कोरोना संकट काल में बिलासपुर में कई ऐसे बच्चे हैं जो पढ़ाई छोड़कर मजदूरी करने को मजबूर हैं. कारोना काल में काम बंद होने के चलते कई लोगों का माली हालत पहले से ही खारब है. ऐसे में जब धीरे-धीरे कुछ काम मिल रहा है तो कर्ज तले दबे परिवार अपने बच्चों की पढ़ाई कराने में असमर्थ हैं. अब इन परिवारों के बच्चे अपने माता-पिता के साथ मजदूरी करने को मजबूर हैं.

children are working as laborers
बिलासपुर में पढ़ाई छोड़कर मजदूरी कर रहे हैं बच्चे

बिलासपुर: कोरोना महामारी के चलते देश भर में लाखों लोग बेरोजगार हो गए. ऐसे में जो लोग गरीबी रेखा से नीचे थे उनकी परेशानी और बढ़ गई. कोरोना संकट के शुरुआती दौर में गरीब परिवारों को खाने-पीने को लेकर खासी परेशानी का सामना करना पड़ा. संकट काल में सरकार और समाजसेवियों ने मदद की. अब जब कोरोना के साथ-साथ धीरे-धीरे लोगों की जिंदगी पटरी पर लौट रही है तो परेशानी पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है. इसके चलते कई बिलासपुर जिला में कई ऐसे परिवार हैं जिनके बच्चों की पढ़ाई छूट गई है और मजदूरी करने को विवश है.

आमदनी कम और खर्च अधिक होने से परिवार परेशान

परिजनों का कहना है कि रोजमर्रा के खर्च और बच्चों की शिक्षा के खर्चे उठाना मुश्किल हो रहा है. हालांकि हिमाचल प्रदेश में निःशुल्क शिक्षा है, फिर भी परिवार का लालन पोषण करने के लिए बच्चे भी अब परिजनों के साथ मजदूरी करने के लिए विवश हो गए हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

बिलासपुर जिले के डियारा सेक्टर में कुछ परिवार ऐसे भी हैं जो लाॅकडाउन के बाद अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज पा रहे हैं क्योंकि परिवार के खर्चे अधिक और कर्ज अधिक होने की वजह से परिवार के साथ अब बच्चे भी मजदूरी कर रहे हैं. ताकि अपने परिवार की अर्थव्यवस्था को ठीक कर सके. अब वह अपने बच्चों को अपने साथ मजदूरी करवा रहे हैं.

बाल मजदूरी अपराध

बाल मजदूरी करना अपराध है. भले ही बाल श्रम पर लगाम लगाने को लेकर सरकार कई दावे करती है लेकिन ये दावे धरातल पर फेल होते नजर आ रहे है, लॉडाउन के कारण जो आर्थिक मंदी आई, उससे बाल श्रम को बढ़ावा मिला है, अनलॉक में बाल श्रम की कई तस्वीरें सामने आई है, जिसमें साफ देखा जा सकता है कि खेलने-कूदने की उम्र में, पढ़ने-लिखने के समय में किस तरीके से मासूम खेतो में काम कर रहे हैं, मकान निर्माण के कामों में वह ईंट उठा रहे हैं, तो कभी वह रेत ढोते हुए दिखाई दे रहे हैं, इतना ही नहीं कुछ बच्चे तो फुटपाथ पर जूते चप्पल भी बेच कर अपने परिवार का भरण पोषण करने को बाल मजदूरी की ओर बढ़ रहे हैं.

बिलासपुर जिले में 170 अनाथ बच्चे

जिला बाल कल्याण विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार जिला में अभी तक 170 अनाथ बच्चों का आंकड़ा तैयार किया गया है. जिनको जिला और जिला के बाहर अनाथ आश्रमों में पालन-पोषण के लिए रखा गया है. वहीं, सरकार की बाल-बालिका सुरक्षा योजना के अंतर्गत 18 वर्ष पूरा कर चुके 114 बच्चों को 2500 रुपये भी दिए जाते हैं. जिनमें 2 हजार उनके खाना और रहना व 500 रुपये की एफडी सरकार की ओर से निःशुल्क दी जाती है.

ये भी पढ़ें: शिमला शहर के 90 फीसदी हिस्से में सीवरेज सुविधा, 6 जगहों पर होता है ट्रीटमेंट

बिलासपुर: कोरोना महामारी के चलते देश भर में लाखों लोग बेरोजगार हो गए. ऐसे में जो लोग गरीबी रेखा से नीचे थे उनकी परेशानी और बढ़ गई. कोरोना संकट के शुरुआती दौर में गरीब परिवारों को खाने-पीने को लेकर खासी परेशानी का सामना करना पड़ा. संकट काल में सरकार और समाजसेवियों ने मदद की. अब जब कोरोना के साथ-साथ धीरे-धीरे लोगों की जिंदगी पटरी पर लौट रही है तो परेशानी पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है. इसके चलते कई बिलासपुर जिला में कई ऐसे परिवार हैं जिनके बच्चों की पढ़ाई छूट गई है और मजदूरी करने को विवश है.

आमदनी कम और खर्च अधिक होने से परिवार परेशान

परिजनों का कहना है कि रोजमर्रा के खर्च और बच्चों की शिक्षा के खर्चे उठाना मुश्किल हो रहा है. हालांकि हिमाचल प्रदेश में निःशुल्क शिक्षा है, फिर भी परिवार का लालन पोषण करने के लिए बच्चे भी अब परिजनों के साथ मजदूरी करने के लिए विवश हो गए हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

बिलासपुर जिले के डियारा सेक्टर में कुछ परिवार ऐसे भी हैं जो लाॅकडाउन के बाद अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज पा रहे हैं क्योंकि परिवार के खर्चे अधिक और कर्ज अधिक होने की वजह से परिवार के साथ अब बच्चे भी मजदूरी कर रहे हैं. ताकि अपने परिवार की अर्थव्यवस्था को ठीक कर सके. अब वह अपने बच्चों को अपने साथ मजदूरी करवा रहे हैं.

बाल मजदूरी अपराध

बाल मजदूरी करना अपराध है. भले ही बाल श्रम पर लगाम लगाने को लेकर सरकार कई दावे करती है लेकिन ये दावे धरातल पर फेल होते नजर आ रहे है, लॉडाउन के कारण जो आर्थिक मंदी आई, उससे बाल श्रम को बढ़ावा मिला है, अनलॉक में बाल श्रम की कई तस्वीरें सामने आई है, जिसमें साफ देखा जा सकता है कि खेलने-कूदने की उम्र में, पढ़ने-लिखने के समय में किस तरीके से मासूम खेतो में काम कर रहे हैं, मकान निर्माण के कामों में वह ईंट उठा रहे हैं, तो कभी वह रेत ढोते हुए दिखाई दे रहे हैं, इतना ही नहीं कुछ बच्चे तो फुटपाथ पर जूते चप्पल भी बेच कर अपने परिवार का भरण पोषण करने को बाल मजदूरी की ओर बढ़ रहे हैं.

बिलासपुर जिले में 170 अनाथ बच्चे

जिला बाल कल्याण विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार जिला में अभी तक 170 अनाथ बच्चों का आंकड़ा तैयार किया गया है. जिनको जिला और जिला के बाहर अनाथ आश्रमों में पालन-पोषण के लिए रखा गया है. वहीं, सरकार की बाल-बालिका सुरक्षा योजना के अंतर्गत 18 वर्ष पूरा कर चुके 114 बच्चों को 2500 रुपये भी दिए जाते हैं. जिनमें 2 हजार उनके खाना और रहना व 500 रुपये की एफडी सरकार की ओर से निःशुल्क दी जाती है.

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Last Updated : Feb 25, 2021, 9:51 AM IST
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