बिलासपुर: कोरोना महामारी के चलते देश भर में लाखों लोग बेरोजगार हो गए. ऐसे में जो लोग गरीबी रेखा से नीचे थे उनकी परेशानी और बढ़ गई. कोरोना संकट के शुरुआती दौर में गरीब परिवारों को खाने-पीने को लेकर खासी परेशानी का सामना करना पड़ा. संकट काल में सरकार और समाजसेवियों ने मदद की. अब जब कोरोना के साथ-साथ धीरे-धीरे लोगों की जिंदगी पटरी पर लौट रही है तो परेशानी पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है. इसके चलते कई बिलासपुर जिला में कई ऐसे परिवार हैं जिनके बच्चों की पढ़ाई छूट गई है और मजदूरी करने को विवश है.
आमदनी कम और खर्च अधिक होने से परिवार परेशान
परिजनों का कहना है कि रोजमर्रा के खर्च और बच्चों की शिक्षा के खर्चे उठाना मुश्किल हो रहा है. हालांकि हिमाचल प्रदेश में निःशुल्क शिक्षा है, फिर भी परिवार का लालन पोषण करने के लिए बच्चे भी अब परिजनों के साथ मजदूरी करने के लिए विवश हो गए हैं.
बिलासपुर जिले के डियारा सेक्टर में कुछ परिवार ऐसे भी हैं जो लाॅकडाउन के बाद अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज पा रहे हैं क्योंकि परिवार के खर्चे अधिक और कर्ज अधिक होने की वजह से परिवार के साथ अब बच्चे भी मजदूरी कर रहे हैं. ताकि अपने परिवार की अर्थव्यवस्था को ठीक कर सके. अब वह अपने बच्चों को अपने साथ मजदूरी करवा रहे हैं.
बाल मजदूरी अपराध
बाल मजदूरी करना अपराध है. भले ही बाल श्रम पर लगाम लगाने को लेकर सरकार कई दावे करती है लेकिन ये दावे धरातल पर फेल होते नजर आ रहे है, लॉडाउन के कारण जो आर्थिक मंदी आई, उससे बाल श्रम को बढ़ावा मिला है, अनलॉक में बाल श्रम की कई तस्वीरें सामने आई है, जिसमें साफ देखा जा सकता है कि खेलने-कूदने की उम्र में, पढ़ने-लिखने के समय में किस तरीके से मासूम खेतो में काम कर रहे हैं, मकान निर्माण के कामों में वह ईंट उठा रहे हैं, तो कभी वह रेत ढोते हुए दिखाई दे रहे हैं, इतना ही नहीं कुछ बच्चे तो फुटपाथ पर जूते चप्पल भी बेच कर अपने परिवार का भरण पोषण करने को बाल मजदूरी की ओर बढ़ रहे हैं.
बिलासपुर जिले में 170 अनाथ बच्चे
जिला बाल कल्याण विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार जिला में अभी तक 170 अनाथ बच्चों का आंकड़ा तैयार किया गया है. जिनको जिला और जिला के बाहर अनाथ आश्रमों में पालन-पोषण के लिए रखा गया है. वहीं, सरकार की बाल-बालिका सुरक्षा योजना के अंतर्गत 18 वर्ष पूरा कर चुके 114 बच्चों को 2500 रुपये भी दिए जाते हैं. जिनमें 2 हजार उनके खाना और रहना व 500 रुपये की एफडी सरकार की ओर से निःशुल्क दी जाती है.
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