ऊना: संयुक्त दलित मोर्चा ने ऊना जिला मुख्यालय पर आरक्षण (UNA SANYUKT DALIT MORCHA RALLY) की शव यात्रा का जवाब देते हुए जोरदार आक्रोश रैली का आयोजन किया. दलित समुदाय के दर्जनों संगठनों के नेता एवं कार्यकर्ता हजारों की संख्या में इस आक्रोश रैली में शामिल हुए. एमसी पार्क के समीप जनसंबोधन के बाद विभिन्न दलित संगठनों से जुड़े लोगों ने जिला मुख्यालय पर रोष रैली निकाल सरकार के खिलाफ नारेबाजी ( protest against jairam government) भी की.
इस दौरान बजट सत्र के दौरान सामान्य आयोग (samanya varg aayog In Himachal) के गठन को मूर्त रूप न देने की भी सरकार को चेतावनी दी (SANYUKT DALIT MORCHA ON JAIRAM) गई. दलित नेताओं ने दो टूक शब्दों में कहा कि यदि आने वाले बजट सत्र के दौरान प्रदेश की भाजपा सरकार सामान्य आयोग को मूर्त रूप देती है तो आने वाले विधानसभा चुनाव में दलित समुदाय भाजपा को सत्ता से बेदखल करने में कोई कमी नहीं छोड़ेगा. दलित नेताओं ने आरोप जड़ा कि प्रदेश की जयराम सरकार ने सुनियोजित षड्यंत्र के तहत स्वर्ण जातियों को अनुचित लाभ पहुंचाने का प्रयास किया है, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
शिमला से शुरू हुई आरक्षण की शव यात्रा के जवाब में सोमवार को जिला मुख्यालय पर संयुक्त दलित मोर्चा द्वारा आक्रोश रैली का आयोजन किया (SANYUKT DALIT MORCHA ANGAINST SAMANYA VARG AATYOG) गया. इस दौरान संयुक्त दलित मोर्चा में शामिल दलित समुदाय के दर्जनों संगठनों से हजारों की संख्या में कार्यकर्ताओं ने भाग लिया. आक्रोश रैली के दौरान सभी वक्ताओं ने सामान्य आयोग के गठन के मुद्दे पर प्रदेश की जयराम सरकार को जमकर निशाने पर लिया. वहीं, विभिन्न दलित संगठनों के नेताओं और कार्यर्ताओं ने सड़क पर उतरकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की.
इस मौके पर दलित नेता रवि कांत बस्सी ने कहा कि प्रदेश की जयराम सरकार दलित विरोधी है. जयराम का दलित विरोधी चेहरा सामान्य आयोग गठन से सामने आ चुका है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि जयराम सरकार ने विधानसभा सत्र के दौरान सामान्य आयोग का गठन करने की घोषणा जरूर की है, लेकिन यदि बजट सत्र में इस आयोग के गठन को मूर्त रूप दिया जाता है तो दलित समुदाय एकजुट होकर भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकेगा.
रवि कांत बस्सी ने कहा कि प्रदेश सरकार को तुरंत यह घोषणा वापस लेते हुए हिमाचल में सामान्य वर्ग आयोग को गठन (samanya varg aayog in Himachal ) से पहले ही निरस्त कर देना चाहिए. उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने दलित संगठनों की मांग को अनसुना किया तो आने वाले हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 (Himachal Assembly Election 2022) में दलित संगठन भाजपा को देख लेंगे.
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