सोलन: हिमाचल प्रदेश की एकमात्र सेंट्रल लाइब्रेरी सोलन (Central Library Solan) शहर के मॉल रोड पर मौजूद है, जिसका उद्घाटन साल 1959 में 28 जून को तत्कालीन उप राज्यपाल राजा बजरंग बहादुर सिंह भदरी ने किया था. 60 सालों तक निजी भवन में चल रही ये लाइब्रेरी लंबा सफर तय कर चुकी है, अब इस लाइब्रेरी को जल्द ही अपना भवन मिलने वाला है. इस लाइब्रेरी की खास बात यह है कि यहां पर 150 से 200 साल पुरानी किताबें हिंदी, संस्कृत, बंगाली, उर्दू पंजाबी और अंग्रेजी भाषाओं में मौजूद हैं.
इसके साथ ही यहां पर हाथों से लिखी पौराणिक-धार्मिक ग्रंथ, संविधान की कॉपी समेत राजाओं के शासन काल की किताबें मौजूद है, लेकिन विडम्बना ऐसी है कि इस लाइब्रेरी का 60 सालों तक अपना कोई भवन नही था. कई बार लाइब्रेरी के अपने भवन के लिए डिमांड रखी गई लेकिन अब जाकर वो डिमांड प्रदेश सरकार द्वारा पूरी की गई है.
सेंट्रल स्टेट लाइब्रेरी की लाइब्रेरियन (Librarian of Central State Library) मीना देवी ने बताया कि यह लाइब्रेरी करीब 60 साल पुरानी है जहां पर करीब डेढ़ लाख किताबें मौजूद हैं. उन्होंने बताया कि अब तक ये लाइब्रेरी निजी भवन में चल रही थी, लेकिन अब सरकार के निर्देशों के बाद इस लाइब्रेरी को अपना भवन मिलने जा रहा है, उन्होंने बताया कि सरकार ने लाइब्रेरी के लिए ओल्ड डीसी ऑफिस (Old DC Office) चिन्हित किया गया है, जिसको लेकर इन दिनों कार्य चल रहा है. जल्द ही यह किताबें नई लाइब्रेरी में शिफ्ट की जाएंगी.
इस लाइब्रेरी में हाथों से लिखी पौराणिक धार्मिक किताबें भी हैं, आज भी वह किताबें उसी स्थिति में है जिस समय इसे लिखा गया होगा. हालांकि ये किताबें थोड़ी बहुत फट चुकी हैं लेकिन अभी भी उस समय की कलाकृति और लेखनी इन किताबों में मौजूद हैं. इस लाइब्रेरी में संविधान के कॉपी भी मौजूद है. यदि इस लाइब्रेरी को ओल्ड डीसी ऑफिस में शिफ्ट किया जाता है तो वहां पर लाइब्रेरी में आने वाले लोग और छात्र इन किताबो के बारे में पढ़ सकेंगे.
जानकारी के अनुसार शहर के मॉल रोड पर स्थित शिवदयाल ट्रस्ट में सेंट्रल स्टेट लाइब्रेरी पिछले 60 वर्षों से चल रही है, सालाना लाइब्रेरी प्रशासन द्वारा इस भवन का करीब 70 हजार चुकाना पड़ता था, महीने के अगर बात की जाए तो महीने में करीब 6000 रुपए किराया लाइब्रेरी द्वारा निजी भवन के किराए के तौर पर दिया जाता था, लेकिन अब सरकार द्वारा लाइब्रेरी के लिए जगह चयनित किए जाने के बाद इन किताबों का संरक्षण हो सकेगा. वहीं, लोग इन किताबों को पढ़कर अपना ज्ञान वर्धन भी कर सकेंगे.
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