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बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले इस्कॉन के सदस्य चिन्मय दास को हिरासत में लिया गया - CHINMOY DAS DETAINED IN DHAKA

बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ नहीं रुक रही अत्याचार की घटनाएं. इस्कॉन सदस्य गिरफ्तार.

Chinmoy Das
चिन्मय दास (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 25, 2024, 6:22 PM IST

Updated : Nov 25, 2024, 6:51 PM IST

नई दिल्ली/ढाका : इस्कॉन के प्रमुख सदस्य चिन्मय कृष्ण दास को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में सोमवार को हिरासत में ले लिय गया. वह चटगांव जाने के लिए ढाका एयरपोर्ट पर पहुंचे थे, उसी समय पुलिस ने उन्हें रोक लिया. चिन्मय दास बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं. वह सनातन जागरण मंच के प्रवक्ता भी हैं.

मीडिया में आ रही जानकारी के मुताबिक उन्हें ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से हिरासत में लिया गया. वह चटगांव जाने के लिए निकले थे. वहां पर उन्हें किसी कार्यक्रम में हिस्सा लेना था. वह हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर मुखर रहे हैं. हिंदुओं पर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने वालों में चिन्मय दास प्रमुख रहे हैं. उन्होंने हिंदुओं द्वारा आयोजित कई रैलियों में भी हिस्सा लिया है.

ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की जासूसी शाखा के अतिरिक्त आयुक्त रेजाउल करीम मल्लिक ने उनके हिरासत में लिए जाने की पुष्टि कर दी है. उन्होंने कहा, "शिकायत के बाद उन्हें हिरासत में लिया गया है."

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के खिलाफ चिन्मय दास आवाज उठाते रहे हैं. उन्होंने सरकार के रवैए की खुलेआम आलोचना की है. माना जा रहा है कि सरकार के खिलाफ मुखर रहने की वजह से उन्हें हिरासत में लिया गया है.

प्राप्त सूचना के अनुसार उनके खिलाफ 30 अक्टूबर को राष्ट्रीय ध्वज के अपमान करने का एक मामला दर्ज हुआ था. उन पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया. इस मामले में कुल 19 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें से एक नाम चिन्मय दास का भी है.

दरअसल, 25 अक्टूबर को लालदिग्गी में एक रैली आयोजित की गई थी. इस रैली में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था. इस ध्वज के ऊपर इस्कॉन का एक गेरुआ रंग का धार्मिक झंडा फहराया गया था.

नई दिल्ली स्थित द राइट्स एंड रिस्क्स एनालिसिस ग्रुप के डायरेक्टर सुहास चकमा ने कहा, " राजद्रोह का मामला यह सुनिश्चित करने के लिए दायर किया गया था कि हिंदू अल्पसंख्यक उन पर मानवाधिकारों के उल्लंघन को उजागर करने के लिए संघ और सभा की स्वतंत्रता के अपने अधिकार को संगठित और प्रयोग नहीं कर सकते हैं. यह वही रणनीति है जो चटगांव हिल ट्रैक्ट्स (सीएचटी) में मोहम्मद यूनुस शासन द्वारा अपनाई गई थी, जहां 19-20 सितंबर को आदिवासी छात्रों द्वारा सबसे बड़े आयोजन के बाद चार पहाड़ी जनजातियों की हत्या कर दी गई थी, 70 से अधिक घायल हो गए थे और सैकड़ों घर और व्यापारिक प्रतिष्ठान जला दिए गए थे."

उन्होंने आगे कहा कि डॉ. यूनुस एक तानाशाह बनते जा रहे हैं और आलोचकों को भी चुप कराने के लिए देशद्रोह का अपराध कर रहे हैं. चकमा ने कहा, 9 अक्टूबर को खुलना में लालमोनिरहाट की निलंबित सहायक आयुक्त तापसी तबस्सुम उर्मी के खिलाफ देशद्रोह और मानहानि का मामला दर्ज किया गया था, क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर डॉ. यूनुस के खिलाफ नकारात्मक टिप्पणी की थी.

बांग्लादेश में जब से शेख हसीना की सरकार हटी है, तब से वहां पर हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार बढ़ गए हैं. जगह-जगह पर उनके घरों और पूजा स्थलों को टारगेट किया जा रहा है. इसके विरोध में सनातन जागरण मंच ने चटगांव में विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने अपनी मांगें सरकार के सामने रखीं हैं. इनमें पुनर्वास से लेकर उनकी सुरक्षा तक की मांग की गई है. उन्होंने अपनी संपत्ति की रक्षा को लेकर भी आवाज उठाई है.

ये भी पढ़ें : बांग्लादेश लोकतंत्र की ओर बढ़ रहा है या अराजकता की ओर?

नई दिल्ली/ढाका : इस्कॉन के प्रमुख सदस्य चिन्मय कृष्ण दास को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में सोमवार को हिरासत में ले लिय गया. वह चटगांव जाने के लिए ढाका एयरपोर्ट पर पहुंचे थे, उसी समय पुलिस ने उन्हें रोक लिया. चिन्मय दास बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं. वह सनातन जागरण मंच के प्रवक्ता भी हैं.

मीडिया में आ रही जानकारी के मुताबिक उन्हें ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से हिरासत में लिया गया. वह चटगांव जाने के लिए निकले थे. वहां पर उन्हें किसी कार्यक्रम में हिस्सा लेना था. वह हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर मुखर रहे हैं. हिंदुओं पर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने वालों में चिन्मय दास प्रमुख रहे हैं. उन्होंने हिंदुओं द्वारा आयोजित कई रैलियों में भी हिस्सा लिया है.

ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की जासूसी शाखा के अतिरिक्त आयुक्त रेजाउल करीम मल्लिक ने उनके हिरासत में लिए जाने की पुष्टि कर दी है. उन्होंने कहा, "शिकायत के बाद उन्हें हिरासत में लिया गया है."

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के खिलाफ चिन्मय दास आवाज उठाते रहे हैं. उन्होंने सरकार के रवैए की खुलेआम आलोचना की है. माना जा रहा है कि सरकार के खिलाफ मुखर रहने की वजह से उन्हें हिरासत में लिया गया है.

प्राप्त सूचना के अनुसार उनके खिलाफ 30 अक्टूबर को राष्ट्रीय ध्वज के अपमान करने का एक मामला दर्ज हुआ था. उन पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया. इस मामले में कुल 19 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें से एक नाम चिन्मय दास का भी है.

दरअसल, 25 अक्टूबर को लालदिग्गी में एक रैली आयोजित की गई थी. इस रैली में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था. इस ध्वज के ऊपर इस्कॉन का एक गेरुआ रंग का धार्मिक झंडा फहराया गया था.

नई दिल्ली स्थित द राइट्स एंड रिस्क्स एनालिसिस ग्रुप के डायरेक्टर सुहास चकमा ने कहा, " राजद्रोह का मामला यह सुनिश्चित करने के लिए दायर किया गया था कि हिंदू अल्पसंख्यक उन पर मानवाधिकारों के उल्लंघन को उजागर करने के लिए संघ और सभा की स्वतंत्रता के अपने अधिकार को संगठित और प्रयोग नहीं कर सकते हैं. यह वही रणनीति है जो चटगांव हिल ट्रैक्ट्स (सीएचटी) में मोहम्मद यूनुस शासन द्वारा अपनाई गई थी, जहां 19-20 सितंबर को आदिवासी छात्रों द्वारा सबसे बड़े आयोजन के बाद चार पहाड़ी जनजातियों की हत्या कर दी गई थी, 70 से अधिक घायल हो गए थे और सैकड़ों घर और व्यापारिक प्रतिष्ठान जला दिए गए थे."

उन्होंने आगे कहा कि डॉ. यूनुस एक तानाशाह बनते जा रहे हैं और आलोचकों को भी चुप कराने के लिए देशद्रोह का अपराध कर रहे हैं. चकमा ने कहा, 9 अक्टूबर को खुलना में लालमोनिरहाट की निलंबित सहायक आयुक्त तापसी तबस्सुम उर्मी के खिलाफ देशद्रोह और मानहानि का मामला दर्ज किया गया था, क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर डॉ. यूनुस के खिलाफ नकारात्मक टिप्पणी की थी.

बांग्लादेश में जब से शेख हसीना की सरकार हटी है, तब से वहां पर हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार बढ़ गए हैं. जगह-जगह पर उनके घरों और पूजा स्थलों को टारगेट किया जा रहा है. इसके विरोध में सनातन जागरण मंच ने चटगांव में विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने अपनी मांगें सरकार के सामने रखीं हैं. इनमें पुनर्वास से लेकर उनकी सुरक्षा तक की मांग की गई है. उन्होंने अपनी संपत्ति की रक्षा को लेकर भी आवाज उठाई है.

ये भी पढ़ें : बांग्लादेश लोकतंत्र की ओर बढ़ रहा है या अराजकता की ओर?

Last Updated : Nov 25, 2024, 6:51 PM IST
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