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9 सालों में सिर्फ 160 लोगों ने ही किया नेत्र दान, 255 लोगों को मिली रोशनी - प्रेम कुमार धूमल

हिमाचल में आई डोनेशन के लिए सरकार के बड़े-बड़े दावों पर उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रोफेसर अजय श्रीवास्तव ने कहा कि जमीनी स्तर पर आई डोनेशन को लेकर काम होता नहीं दिख रहा है. 9 सालों में सिर्फ 160 लोगों ने ही किया नेत्र दान, 255 लोगों को मिली रौशनी

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Published : Sep 8, 2019, 6:21 PM IST

Updated : Sep 8, 2019, 7:58 PM IST

शिमला: प्रदेश में तमाम कोशिशों के बाद भी आई-डोनेशन को बढ़ावा नहीं मिल रहा है. कुछ गिने चुने लोग ही नेत्र दान के लिए आगे आ रहे हैं. उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रोफेसर अजय श्रीवास्तव ने रविवार को शिमला में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में कहा कि प्रदेश में टांडा मेडिकल कॉलेज और आईजीएमसी ही ऐसे संस्थान हैं जहां आंख दान करने की सुविधा उपलब्ध है.

अजय श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश में नेत्र बैंकिंग व्यवस्था में गंभीर खामियां है. कांगड़ा के टांडा में ढाई साल पहले खुला नेत्र बैंक बिल्कुल ठप पड़ा है. 2010 में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री राजीव बिंदल ने आईजीएसमी में पहला नेत्र बैंक खोला था, लेकिन इसके बाद नेत्र बैंकिंग के लिए आवश्यक ढांचा व नेटवर्क पर ध्यान ना देने से अच्छे परिणाम नहीं मिल पाए हैं.

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पिछले 9 सालों में 160 लोगों ने ही नेत्र दान किया है. 255 लोगों का ही आई ट्रांसप्लांट हो पाया. 150 लोग अभी तक वेटिंग में है. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि शिमला में नेत्र बैंक स्थापित करने के साथ ही जिला स्तर पर भी नेत्र संग्रह केंद्र खोले जाने चाहिए. उन्होंने कहा कि हिमाचल की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि मृतक के नेत्रों को 6 घंटे के भीतर निकाल कर नेत्र बैंक तक पहुंचना संभव नहीं होता है.

शिमला: प्रदेश में तमाम कोशिशों के बाद भी आई-डोनेशन को बढ़ावा नहीं मिल रहा है. कुछ गिने चुने लोग ही नेत्र दान के लिए आगे आ रहे हैं. उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रोफेसर अजय श्रीवास्तव ने रविवार को शिमला में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में कहा कि प्रदेश में टांडा मेडिकल कॉलेज और आईजीएमसी ही ऐसे संस्थान हैं जहां आंख दान करने की सुविधा उपलब्ध है.

अजय श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश में नेत्र बैंकिंग व्यवस्था में गंभीर खामियां है. कांगड़ा के टांडा में ढाई साल पहले खुला नेत्र बैंक बिल्कुल ठप पड़ा है. 2010 में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री राजीव बिंदल ने आईजीएसमी में पहला नेत्र बैंक खोला था, लेकिन इसके बाद नेत्र बैंकिंग के लिए आवश्यक ढांचा व नेटवर्क पर ध्यान ना देने से अच्छे परिणाम नहीं मिल पाए हैं.

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पिछले 9 सालों में 160 लोगों ने ही नेत्र दान किया है. 255 लोगों का ही आई ट्रांसप्लांट हो पाया. 150 लोग अभी तक वेटिंग में है. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि शिमला में नेत्र बैंक स्थापित करने के साथ ही जिला स्तर पर भी नेत्र संग्रह केंद्र खोले जाने चाहिए. उन्होंने कहा कि हिमाचल की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि मृतक के नेत्रों को 6 घंटे के भीतर निकाल कर नेत्र बैंक तक पहुंचना संभव नहीं होता है.

Intro:हिमाचल में आई डोनेशन के लिए कागजो में योजनाएं
जमीनी स्तर पर जीरो।
जिला स्तर पर आई कलेक्शन खोलने की मांग
शिमला।
प्रदेश में सरकार आई डोनेशन को बढ़ावा देने के लिये बेशक बेहतर दावे करती है लेकिन वास्तविकता कुछ और ही बयान कर रही है। उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रोफेसर अजय श्रीवास्त ने रविवार को शिमला में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में कहा कि प्रदेश में टानडा मेडिकल कॉलेज व आइजीएमसी ही ऐसे संस्थान है जहाँ आंख दान करने की सुबिधा उप्लन्ध है ।


Body:उन्होंने कहा कि प्रदेश में नेत्र बैंकिंग ब्यवस्था में गंभीर खामियां है। जिसके कारण पर्याप्त मात्रा में प्रत्यारोपण नही हो पा रहा है।जबकि कांगड़ा के टांडा में ढाई साल पहले खुला नेत्र बैंक निलकुल ठप पड़ा है।
उन्होंने कहा कि 2010 में मुख्यमंत्री प्रेम।कुमार धूमल व स्वास्थ्य मंत्री राजीव बिंदल ने आईजीएसमी में पहला नेत्र बैंक खोला था।लेकिन इसके बाद नेत्र बैंकिंग के लिए आवश्यक ढांचा व नेटवर्क पर ध्यान ना देने से अपेक्षित परिणाम नही मिल पाए। बीते 9 वर्षो में 320 आंखे ही मिल पाई है और 255नेत्र प्रत्यारोपण किये गए है जबकि 150 अभी बेटिंग में है।



Conclusion:उन्होने कहा कि शिमला में नेत्र बैंक स्थापित करने के साथ जिला स्तर पर भी नेत्र संग्रह केंद्र खोले जाने चाहिए। उनका कहना था कि हिमाचल की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि मृतक के नेत्रों को 6घण्टे के भीतर निकाल कर नेत्रं बैंक तक पहुंचना सम्भव नही होता है। अजय ने बताया कि लाहौल स्पीति व किन्नौर को छोड़ कर 8ज़िले में नेत्र संग्रालय खोलने के लिए प्रशिक्षण भी दिया।लेकिन 8जिलों में कोई बुनियादी ढांचा उपलब्ध नही है। इससे नुकसान यह है की नेत्र दान वही मिल।पाते जो आईजीएसमसी के आसपास या अस्प्ताल में मृत्यु हुई हो। उन्होंने सरकार से मांग की है।कि सभी जिलों में नेत्र संग्रहालय खोले जाए।
Last Updated : Sep 8, 2019, 7:58 PM IST
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