शिमला: प्रदेश में तमाम कोशिशों के बाद भी आई-डोनेशन को बढ़ावा नहीं मिल रहा है. कुछ गिने चुने लोग ही नेत्र दान के लिए आगे आ रहे हैं. उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रोफेसर अजय श्रीवास्तव ने रविवार को शिमला में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में कहा कि प्रदेश में टांडा मेडिकल कॉलेज और आईजीएमसी ही ऐसे संस्थान हैं जहां आंख दान करने की सुविधा उपलब्ध है.
अजय श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश में नेत्र बैंकिंग व्यवस्था में गंभीर खामियां है. कांगड़ा के टांडा में ढाई साल पहले खुला नेत्र बैंक बिल्कुल ठप पड़ा है. 2010 में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री राजीव बिंदल ने आईजीएसमी में पहला नेत्र बैंक खोला था, लेकिन इसके बाद नेत्र बैंकिंग के लिए आवश्यक ढांचा व नेटवर्क पर ध्यान ना देने से अच्छे परिणाम नहीं मिल पाए हैं.
पिछले 9 सालों में 160 लोगों ने ही नेत्र दान किया है. 255 लोगों का ही आई ट्रांसप्लांट हो पाया. 150 लोग अभी तक वेटिंग में है. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि शिमला में नेत्र बैंक स्थापित करने के साथ ही जिला स्तर पर भी नेत्र संग्रह केंद्र खोले जाने चाहिए. उन्होंने कहा कि हिमाचल की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि मृतक के नेत्रों को 6 घंटे के भीतर निकाल कर नेत्र बैंक तक पहुंचना संभव नहीं होता है.