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दिल्ली-NCR में प्रदूषण से हालात बिगड़ने पर हिमाचल पहुंच रहे पर्यटक, शिमला सहित इन शहरों की हवा बिल्कुल शुद्ध

दिल्ली-NCR में प्रदूषण के स्तर एक बार फिर बढ़ने लगा है. कई इलाकों में स्थिति 'अत्यंत खराब' श्रेणी में है. ऐसे में दिल्ली-एनसीआर और आस-पास के अन्य राज्यों के लोग इन दिनों राहत की सांस लेने के लिए हिमाचल के पर्यटन स्थलों (Himachal tourist places) की ओर रुख कर रहे हैं. पर्यटकों का कहना है कि प्रदूषण बढ़ने का कारण जहां दिवाली पर पाठखे जलाना है, वहीं पराली से भी प्रदूषण की मात्रा बढ़ी है. उनका कहना है कि कुछ दिन अब शिमला में राहत की सांस लेने आए हैं. अन्य राज्यों के मुकाबले प्रदेश के पर्यटन स्थलों का एयर क्वालिटी इंडेक्स सबसे बेहतर है.

Tourists reach Himachal
प्रदूषण से राहत पाने के लिए हिमाचल पहुंच रहे पर्यटक
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Published : Nov 16, 2021, 7:50 PM IST

Updated : Nov 16, 2021, 8:52 PM IST

शिमला: देश की राजधानी दिल्ली सहित अन्य राज्यों में प्रदूषण ने लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है. दिल्ली में अब स्कूल भी कुछ समय के लिए बंद करने पड़े हैं. ऐसे में राहत की सांस लेने के लिए लोग पहाड़ों का रुख कर रहे हैं. हिमाचल के पर्यटन स्थल (Himachal tourist places) इन दिनों पर्यटको से गुलजार हो गए है. दिल्ली, पंजाब, हरियाणा में प्रदूषण स्तर बढ़ने से पर्यटक काफी तादात में शिमला, मनाली सहित अन्य पर्यटन स्थलों पर पहुच रहे हैं. अन्य राज्यों के मुकाबले हिमाचल की हवा सबसे साफ है. प्रदेश के पर्यटन स्थलों का एयर क्वालिटी इंडेक्स सबसे बेहतर है. हिमाचल में शिमला की हवा सबसे साफ (Cleanest air in Shimla) है.

हिमाचल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Himachal Pollution Control Board) के मुताबिक हिमाचल में शिमला में एक्यूआई का स्तर 40, मनाली में 82, धर्मशाला में 43, सुंदरनगर में 50, ऊना 57, डमडाल 53, परवाणु 45, पांवटा साहिब 86, काला अंब 57, बद्दी 109 और नालागढ़ में प्रदूषण का स्तर 80 है. हिमाचल के बद्दी, डमटाल, कालाअंब, नालागढ़, परवाणू जैसे शहर औद्योगिक शहर हैं और यहां बड़े पैमाने पर फैक्ट्रियां हैं, लेकिन यहां पर भी एक्यूआई का स्तर संतोषजनक है.

वीडियो.

हिमाचल में एक्यूआई लेवल 50 से 100 के बीच में है, जिसे की संतोषजनक माना जाता है. हिमाचल में प्रदूषण ना के बराबर होने का मुख्य कारण कुछ स्थानों पर ही उद्योग होना है. साथ ही गाड़ियों की संख्या भी पड़ोसी राज्यों के मुकाबले कम है. वहीं, हिमाचल में वन क्षेत्र (Forest area in Himachal) भी ज्यादा है. वहीं, पराली जलाने की भी समस्या नहीं है. यहां पर धान और गेहूं के अवशेषों को चारे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. जिससे हिमाचल में प्रदूषण की समस्या नहीं है और यहां की आब-ओ-हवा देश भर में काफी शुद्ध मानी जाती है.

ये भी पढ़ें: हिम तेंदुए के लिए खतरा बन रहे हैं फेरल डॉग, सर्वे में हुआ खुलासा

ऐसे में बाहरी राज्यों से हिमाचल पहुच रहे लोग काफी राहत महसूस कर रहे हैं. शिमला शहर में 70 फीसदी तक होटल बुक है. 18 नवंबर के बाद कई होटलों में बुकिंग फुल (Hotel booking full) चल रही है. शिमला पहुंचे पर्यटकों का कहना है कि दिल्ली में प्रदूषण काफी ज्यादा है ओर सांस लेना मुश्किल हो गया है ऐसे में राहत पाने के लिए उन्होंने हिमाचल का रुख किया है. दिल्ली में प्रदूषण की मात्रा बढ़ने से सांस लेने में भी दिक्कत आ रही है.

Tourists reach Himachal
प्रदूषण से राहत पाने के लिए हिमाचल पहुंच रहे पर्यटक.

पर्यटकों का कहना है कि प्रदूषण बढ़ने का कारण जहां दिवाली पर पाठखे जलाना है, वहीं पराली से भी प्रदूषण की मात्रा बढ़ी है. उनका कहना है कि कुछ दिन अब शिमला में राहत की सांस लेने आए हैं. शिमला में जहां ताजा आब-ओ-हवा है, वही यहां प्रदूषण जैसी समस्या नहीं है.

दिल्ली से शिमला पहुंचे मो. दानिश कहते हैं कि, 'यहां आकर काफी अच्छा लग रहा है. दिवाली और पराली जलने से दिवाली की सुबह स्थिति बहुत खराब हो गई थी. जिन्हें लंग्स की परेशानी है, इनदिनों प्रदूषण लेवल बढ़ने के कारण उनकी परेशानी बढ़ती ही जा रही है. लोगों को पटाखे और पराली जलाने से परहेज करने की जरूरत है, क्योंकि इसके चलते हम सभी प्रभावित हो रहे हैं. शिमला में उन्हें प्रदूषण को लेकर कोई परेशानी नहीं हो रही. यहां खुली वादियों में सांस लेकर काफी राहत महसूस कर रहे हैं. स्वच्छ सांस लेने के लिए संभव हो तो लोग दो-चार महीने में एक बार शिमला जरूर आएं.'

वहीं, मोहाली से पहुंचे नवजोत सिंह कहते हैं, 'दिल्ली के मुकाबले मोहाली में हालात कुछ ठीक हैं, लेकिन फिर भी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है. पराली जलाने से हालात तो बिगड़े ही हैं, पटाखे जलाने से भी प्रदूषण का लेवल काफी बढ़ गया है. लोगों को पटाखे जलाने से पहले प्रदूषण का ख्याल रखना चाहिए. हिमाचल में सांस लेकर बहुत ही सुकून मिल रहा है.'

वहीं, मोहाली से शिमला पहुंचीं मंदीप कहती हैं, 'मोहाली के मुकाबले शिमला की आब-ओ-हवा काफी बेहतर है. प्रदूषण लेवल खराब होने के पीछे का कारण दिवाली और पराली है. लोगों को पटाखे और पराली जलाने से परहेज करना चाहिए, क्योंकि इससे हम सभी प्रभावित हो रहे हैं. शिमला में आकर काफी अच्छा लग रहा है.'

वहीं, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव अपूर्वं देवगन ने कहा कि दिल्ली सहित अन्य कई राज्यों में प्रदूषण की मात्रा काफी बढ़ गई है, लेकिन इसका हिमाचल पर कोई असर नहीं पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि हिमाचल में प्रदूषण की मात्रा न के बराबर है. प्रदेश के कुछ क्षेत्र ही जहां उद्योग हैं, वहां थोड़ा बहुत प्रदूषण दिवाली पर बढ़ता है, लेकिन शिमला सहित अन्य जिलों में प्रदूषण न के बराबर है.

ये भी पढ़ें: राज्यपाल ने किया लोकसभा अध्यक्ष Om Birla का स्वागत, PM मोदी बुधवार को करेंगे इस सम्मेलन को संबोधित

शिमला: देश की राजधानी दिल्ली सहित अन्य राज्यों में प्रदूषण ने लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है. दिल्ली में अब स्कूल भी कुछ समय के लिए बंद करने पड़े हैं. ऐसे में राहत की सांस लेने के लिए लोग पहाड़ों का रुख कर रहे हैं. हिमाचल के पर्यटन स्थल (Himachal tourist places) इन दिनों पर्यटको से गुलजार हो गए है. दिल्ली, पंजाब, हरियाणा में प्रदूषण स्तर बढ़ने से पर्यटक काफी तादात में शिमला, मनाली सहित अन्य पर्यटन स्थलों पर पहुच रहे हैं. अन्य राज्यों के मुकाबले हिमाचल की हवा सबसे साफ है. प्रदेश के पर्यटन स्थलों का एयर क्वालिटी इंडेक्स सबसे बेहतर है. हिमाचल में शिमला की हवा सबसे साफ (Cleanest air in Shimla) है.

हिमाचल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Himachal Pollution Control Board) के मुताबिक हिमाचल में शिमला में एक्यूआई का स्तर 40, मनाली में 82, धर्मशाला में 43, सुंदरनगर में 50, ऊना 57, डमडाल 53, परवाणु 45, पांवटा साहिब 86, काला अंब 57, बद्दी 109 और नालागढ़ में प्रदूषण का स्तर 80 है. हिमाचल के बद्दी, डमटाल, कालाअंब, नालागढ़, परवाणू जैसे शहर औद्योगिक शहर हैं और यहां बड़े पैमाने पर फैक्ट्रियां हैं, लेकिन यहां पर भी एक्यूआई का स्तर संतोषजनक है.

वीडियो.

हिमाचल में एक्यूआई लेवल 50 से 100 के बीच में है, जिसे की संतोषजनक माना जाता है. हिमाचल में प्रदूषण ना के बराबर होने का मुख्य कारण कुछ स्थानों पर ही उद्योग होना है. साथ ही गाड़ियों की संख्या भी पड़ोसी राज्यों के मुकाबले कम है. वहीं, हिमाचल में वन क्षेत्र (Forest area in Himachal) भी ज्यादा है. वहीं, पराली जलाने की भी समस्या नहीं है. यहां पर धान और गेहूं के अवशेषों को चारे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. जिससे हिमाचल में प्रदूषण की समस्या नहीं है और यहां की आब-ओ-हवा देश भर में काफी शुद्ध मानी जाती है.

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ऐसे में बाहरी राज्यों से हिमाचल पहुच रहे लोग काफी राहत महसूस कर रहे हैं. शिमला शहर में 70 फीसदी तक होटल बुक है. 18 नवंबर के बाद कई होटलों में बुकिंग फुल (Hotel booking full) चल रही है. शिमला पहुंचे पर्यटकों का कहना है कि दिल्ली में प्रदूषण काफी ज्यादा है ओर सांस लेना मुश्किल हो गया है ऐसे में राहत पाने के लिए उन्होंने हिमाचल का रुख किया है. दिल्ली में प्रदूषण की मात्रा बढ़ने से सांस लेने में भी दिक्कत आ रही है.

Tourists reach Himachal
प्रदूषण से राहत पाने के लिए हिमाचल पहुंच रहे पर्यटक.

पर्यटकों का कहना है कि प्रदूषण बढ़ने का कारण जहां दिवाली पर पाठखे जलाना है, वहीं पराली से भी प्रदूषण की मात्रा बढ़ी है. उनका कहना है कि कुछ दिन अब शिमला में राहत की सांस लेने आए हैं. शिमला में जहां ताजा आब-ओ-हवा है, वही यहां प्रदूषण जैसी समस्या नहीं है.

दिल्ली से शिमला पहुंचे मो. दानिश कहते हैं कि, 'यहां आकर काफी अच्छा लग रहा है. दिवाली और पराली जलने से दिवाली की सुबह स्थिति बहुत खराब हो गई थी. जिन्हें लंग्स की परेशानी है, इनदिनों प्रदूषण लेवल बढ़ने के कारण उनकी परेशानी बढ़ती ही जा रही है. लोगों को पटाखे और पराली जलाने से परहेज करने की जरूरत है, क्योंकि इसके चलते हम सभी प्रभावित हो रहे हैं. शिमला में उन्हें प्रदूषण को लेकर कोई परेशानी नहीं हो रही. यहां खुली वादियों में सांस लेकर काफी राहत महसूस कर रहे हैं. स्वच्छ सांस लेने के लिए संभव हो तो लोग दो-चार महीने में एक बार शिमला जरूर आएं.'

वहीं, मोहाली से पहुंचे नवजोत सिंह कहते हैं, 'दिल्ली के मुकाबले मोहाली में हालात कुछ ठीक हैं, लेकिन फिर भी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है. पराली जलाने से हालात तो बिगड़े ही हैं, पटाखे जलाने से भी प्रदूषण का लेवल काफी बढ़ गया है. लोगों को पटाखे जलाने से पहले प्रदूषण का ख्याल रखना चाहिए. हिमाचल में सांस लेकर बहुत ही सुकून मिल रहा है.'

वहीं, मोहाली से शिमला पहुंचीं मंदीप कहती हैं, 'मोहाली के मुकाबले शिमला की आब-ओ-हवा काफी बेहतर है. प्रदूषण लेवल खराब होने के पीछे का कारण दिवाली और पराली है. लोगों को पटाखे और पराली जलाने से परहेज करना चाहिए, क्योंकि इससे हम सभी प्रभावित हो रहे हैं. शिमला में आकर काफी अच्छा लग रहा है.'

वहीं, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव अपूर्वं देवगन ने कहा कि दिल्ली सहित अन्य कई राज्यों में प्रदूषण की मात्रा काफी बढ़ गई है, लेकिन इसका हिमाचल पर कोई असर नहीं पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि हिमाचल में प्रदूषण की मात्रा न के बराबर है. प्रदेश के कुछ क्षेत्र ही जहां उद्योग हैं, वहां थोड़ा बहुत प्रदूषण दिवाली पर बढ़ता है, लेकिन शिमला सहित अन्य जिलों में प्रदूषण न के बराबर है.

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Last Updated : Nov 16, 2021, 8:52 PM IST
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