बलूचिस्तान: पाकिस्तान सुरक्षा बलों द्वारा अपहृत दो व्यक्तियों के परिवारों ने अपने प्रियजनों की तत्काल और सुरक्षित रिहाई के लिए रविवार को विरोध प्रदर्शन किया. बलूच यकजेहती समिति ने पीड़ितों की पहचान दिल जान बलूच और नसीब उल्लाह बदिनी के रूप में की है.
नसीब उल्लाह बदिनी को 24 नवंबर 2014 को बलूचिस्तान के नुश्की जिले से अगवा कर लिया गया था. उनके लापता होने की 10वीं बरसी पर उनके परिवार ने विरोध प्रदर्शन किया और क्वेटा प्रेस क्लब में धरना दिया. परिवार लगातार उनकी सुरक्षित वापसी की वकालत कर रहा है.
उन्होंने बलूच नरसंहार के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में भी हिस्सा लिया. हालांकि, बलूच यकजेहती समिति के अनुसार सरकार ने उत्पीड़न को रोकने के लिए कोई प्रयास नहीं किया. बलूच यकजेहती समिति के अनुसार दिल जान बलूच को 22 जून 2024 को जबरन गायब कर दिया गया था. परिवार एक सप्ताह से अधिक समय से अवारन में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. सैन्य बल और प्रशासन विरोध को रोकने के लिए परिवार को परेशान कर रहे हैं.
रविवार को एक्स पर एक पोस्ट में बलूच यकजेहती समिति ने कहा, 'दिल जान बलूच और नसीब उल्लाह बदिनी के परिवार के सदस्य अपने प्रियजनों की सुरक्षित बरामदगी के लिए विरोध कर रहे हैं, क्योंकि राज्य की हिंसा और नरसंहार प्रतिदिन तेज हो रहा है. हत्याओं की बढ़ती संख्या के साथ नरसंहार और उत्पीड़न बढ़ रहा है. कल अब्दुल गफ्फार बलूच नामक एक मछुआरे को तटरक्षक अर्धसैनिक बलों ने गोली मार दी. उनकी मछली पकड़ने वाली नाव को नष्ट कर दिया.
बलूच यकजेहती समिति ने आगे कहा कि इससे पहले परिवार ने अवारन में तीन दिवसीय विरोध प्रदर्शन किया था. इस दौरान जिला प्रशासन ने वादा किया था कि अगर वे अपना प्रदर्शन समाप्त कर देते हैं तो दिल जान को रिहा कर दिया जाएगा. इन आश्वासनों पर विश्वास करते हुए, परिवार ने विरोध प्रदर्शन वापस ले लिया. हालांकि अधिकारी अपने आश्वासन से मुकर गए. दिल जान अभी भी लापता है.
हाल ही में बलूचिस्तान के ग्वादर जिले में पाकिस्तानी तटरक्षकों द्वारा एक बलूच मछुआरे की हत्या कर दी गई थी. बलूच नेशनल मूवमेंट (बीएनएम) की मानवाधिकार शाखा पांक ने हिंसा की इस घटना की निंदा की. ये भी आरोप लगाया कि पाकिस्तानी तटरक्षक मेजर अहमद द्वारा मछली पकड़ने वाली नाव को कुचलने के आदेश के बाद अब्दुल गफ्फार बलूच की बेरहमी से हत्या कर दी गई. इस दौरान अब्दुल सादिक घायल हो गया. सत्ता के इस खुलेआम दुरुपयोग और नागरिकों के खिलाफ हिंसा की जांच होनी चाहिए और जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.