शिमला: छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल में गरीबों को आवासीय योजनाओं के तहत पक्के मकान दिलाने के सरकार के दावों की हकीकत जमीनी स्तर पर खोखली नजर आती है. प्रधानमंत्री आवास योजना में बेहतर काम के लिए हिमाचल को देश भर में पहला स्थान भी मिल चुका है. इसके बावजूद गरीबों के लिए पक्का मकान आज भी ख्वाब बनकर रह गया है. प्रदेश में आज भी हजारों लोग सरकार से पक्के मकान की आस लगाए बैठे हैं.
गरीबों के कच्चे मकानों को देखकर ही उनकी खस्ता हालत अंदाजा लगाया जा सकता है. लोगों का कहना है कि दो साल पहले सरकार की ओर से अधिकारी मकानों का सर्वे करने के लिए पंचायतों में आए थे. सर्वे के बाद जियो टैगिंग भी कर गए, लेकिन आज भी उन्हें पक्के मकान की सुविधा नहीं मिली है.
BPL में शामिल होने के बाद भी सुविधा नहीं
सिरमौर जिले के शिलाई में आज भी कुछ ऐसे भी परिवार हैं जिन्हें बीपीएल में शामिल हुए करीब दस साल हो गया है. लेकिन उन्हें पक्का मकान नहीं मिल पाया है. प्रताप नेगी बताते हैं कि दस सालों में दो बार पंचायत प्रधान बदल गए, तीसरी बार पंचायत चुनाव आने वाले हैं. इसके बावजूद अभी भी कच्चे मकान में रहने को मजबूर हैं.
प्रधानमंत्री आवास योजना में नहीं किया गया शामिल
कुछ पंचायतों में प्रधानों और उनके सचिव पर ये भी आरोप लग रहे हैं कि आवास योजना के लिए वे मनचाहे लोगों का चयन कर रहे हैं. कच्चे मकान में जिंदगी गुजार रहे वीरेंद्र सिंह कहते हैं कि प्रधान मंत्री आवास योजना में उन्हें शामिल ही नहीं किया गया है, खस्ताहाल मकान बारिश के दौरान टपकने लगता है. ऐसे में चार सदस्यों वाला परिवार घर के कोने में रात गुजारने पर मजबूर होता हैं.
कच्चे मकानों का हुआ सर्वे
प्रदेश सरकार के अधिकारी भी गरीबों को पक्का मकान दिलाने से कतराते हुए नजर आ रहे हैं. अधिकारियों को कहना है कि कच्चे मकानों का सर्वे और जियो टैगिंग कर रिपोर्ट सरकार को भेज दी गई है. आवास योजना का लाभ किसको देना है यह तय करना सरकार की जिम्मेदारी है.
10 हजार पक्के मकान देने का लक्ष्य
वहीं, प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का कहना है कि प्रदेश में आज कोई भी बिना मकान के नहीं. घर कच्चे और टूटे फूटे जरूर हैं लेकिन कोई फुटपाथ पर नहीं सो रहा है. प्रदेश सरकार इस साल करीब 10 हजार गरीब लोगों को पक्का मकान उपलब्ध कराएगी. इतना ही नहीं अपने मकान निर्माण के लिए लोगों को मनरेगा के तहत 95 दिन का काम भी दिया जाएगा.