शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पठानकोट-मंडी नेशनल हाईवे के लिए जमीन अधिग्रहित करने के मामले में नेशनल हाईवे अथॉरिटी को एक परिवार को बलपूर्वक बेदखल करने पर रोक लगा दी है. नेशनल हाईवे के लिए जमीन अधिग्रहण के दायरे में आए मंडी जिला की पधर तहसील से सुनेड़ गांव निवासी राज कुमार ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. अदालत ने याचिका की सुनवाई के दौरान एनएचएआई द्वारा अधिग्रहित संपत्ति से याचिकाकर्ताओं को बेदखल करने के लिए किसी भी बलपूर्वक कार्रवाई पर रोक लगाई है.
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि एनएचएआई ने पठानकोट मंडी फोरलेन निर्माण के लिए उनके सारे मकान व भूमि का अधिग्रहण कर लिया गया है, लेकिन उन्हें पर्याप्त मुआवजा नहीं मिला है. ये भी कहा गया कि उन्हें कानूनन पुन: स्थापित भी नहीं किया गया है. इस पर मामले की सुनवाई कर रहे हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संदीप शर्मा के समक्ष एनएचएआई ने बताया कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ भू-अधिग्रहण के बावजूद उन्हें बेदखल करने के लिए कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी.
इस अधिग्रहण से याचिकाकर्ता अपनी कुल भूमि व घर से विस्थापित हो गए हैं. प्रार्थियों की मांग है कि वे इंदिरा आवास योजना के अनुसार 50 वर्ग मीटर की सीमा वाले एक निर्मित घर के हकदार हैं साथ ही वे अधिग्रहण नीति के अनुसार वार्षिकी या रोजगार के भी हकदार हैं. अवार्ड की तारीख से एक वर्ष की अवधि के लिए उन्हें 3 हजार रुपए प्रति माह मासिक निर्वाह भत्ता भी मिलना चाहिए साथ ही प्रभावित परिवार अपने घर के सामान आदि के ट्रांसपोर्टेशन के लिए 50 हजार रुपए की वित्तीय सहायता का भी पात्र है.
याचिकाकर्ता के अनुसार उन्हें अपने मवेशी शेड के लिए एकमुश्त वित्तीय मदद भी मिलनी चाहिए. इसकी उचित राशि सरकार द्वारा निर्धारित की जानी है, जो न्यूनतम 25 हजार रुपए होगी. इसके अलावा याचिकाकर्ता की मांग है कि वे एनएचएआई से एकमुश्त पुनर्वास भत्ते के रूप में 50 हजार रुपए पाने का हक भी रखते हैं. याचिका में परिवार ने मांग की है कि प्रतिवादियों एनएचएआई व अन्य को अधिग्रहण के तहत भूमि और घर पर कब्जा लेने से तब तक रोका जाए जब तक भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास में उन्हें सारे हक नहीं मिल जाते हैं. इस पर हाईकोर्ट ने एनएचएआई को किसी भी बलपूर्वक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है.
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