शिमला: वर्ष 2024 में राजधानी शिमला के सबसे बड़े उपनगर संजौली की मस्जिद से जुड़े विवाद के बाद कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने बयान दिया था कि स्ट्रीट वेंडर्स को अपनी दुकान के बाहर नाम व पता लिखना होगा. इस पर शिमला के पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र सिंह पंवर ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की थी. हाईकोर्ट में अब इस मामले में सुनवाई 3 अप्रैल तक टल गई है. डिप्टी मेयर रहे टिकेंद्र पंवर ने याचिका में कहा था कि इस कदम से समाज में तनाव पैदा होगा. हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने याचिका का जवाब दे दिया है. उसके बाद याचिकाकर्ता की तरफ से दाखिल किए गए प्रति उत्तर के रिकॉर्ड पर ना होने के कारण सुनवाई टली है.
उल्लेखनीय है कि टिकेंद्र पंवर की याचिका का जवाब देते हुए सरकार ने कहा था कि प्रशासनिक मशीनरी प्रदेश में सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए कृतसंकल्प है. सरकार समाज के सभी वर्गों में उनकी जाति, पंथ, धर्म के बावजूद न्याय व समानता के सिद्धांतों को बनाए रखने पर दृढ़ है. इसके अलावा माहौल बिगाड़ने वालों के साथ सख्ती से निपटने के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जा रही है. सरकार ने अदालत के समक्ष कहा कि किसी भी प्रकार के उपद्रव से निपटने के लिए विभिन्न साधनों से संदिग्ध लोगों पर कड़ी नजर रखी जा रही है.
सरकार की ओर से कहा गया है कि संजौली मस्जिद मामले में पुलिस स्टेशन ढली में विभिन्न संगठनों के सदस्यों के खिलाफ 10 एफआईआर दर्ज की गई है. आरोपियों ने मस्जिद के अवैध हिस्से को ध्वस्त करने की मांग को लेकर 11 सितंबर को एक गैरकानूनी विरोध प्रदर्शन किया था. उपरोक्त एफआईआर के तहत उपद्रवियों पर धारा 121 (1), 196 (1), 196 (2), 189 (3), 245, 132, 353 (2), 189, 126 (2), 61 (2) व 299 बीएनएस और संपत्ति विनाश निवारण अधिनियम की धारा 03 सहित अन्य अलग-अलग धाराओं में मामला दर्ज किया गया है.
उपरोक्त सभी मामलों की जांच कानून के अनुसार की जा रही है. सभी एफआईआर में 87 लोगों को आरोपी के रूप में पहचाना गया है. सरकार की तरफ से ये भी बताया गया कि शिमला के समीप धामी में प्रवासी फेरीवाले की पिटाई के मामले में धारा 126(1), 115(2), 352, 3(5) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. इस मामले की जांच भी जारी है. मामले में धामी के निवासियों को आरोपी के रूप में पहचाना गया है. सरकार के जवाब में याचिकाकर्ता का प्रति उत्तर आया है, लेकिन वो रिकॉर्ड पर नहीं है.
ऐसे में हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई 3 अप्रैल तक टाल दी है. उल्लेखनीय है कि पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर ने जनहित याचिका में कहा है कि कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने मीडिया के समक्ष बताया था कि राज्य सरकार ने लोगों को स्वच्छ और सुरक्षित भोजन तक पहुंच सुनिश्चित बनाने के लिए यूपी सरकार की तर्ज पर आदेश जारी करने का निर्णय लिया है. मंत्री के बयानों का हवाला देते हुए कहा गया कि उन्होंने खाद्य स्टालों पर भोजन की उपलब्धता के बारे में लोगों के डर और आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए सामूहिक रूप से यह निर्णय लिया है कि नाम व पता दर्शाना होगा.
प्रार्थी टिकेंद्र पंवर का इस पर याचिका के माध्यम से कहना था कि यूपी सरकार की अधिसूचना पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी है इसलिए हिमाचल प्रदेश में भी इस तरह की किसी अधिसूचना को जारी करने पर रोक लगनी चाहिए. प्रार्थी का कहना है कि उन्हें दुकानों के बाहर पंजीकरण संबंधी जानकारी लगाने पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन आपत्ति इसलिए है कि इससे सांप्रदायिकता का माहौल पैदा होगा. ये माहौल देश की एकता व अखंडता के साथ ही संवैधानिक मूल्यों के लिए सही नहीं होगा. फिलहाल अब सुनवाई 3 अप्रैल को होगी.