शिमला: कोरोना महामारी ने हर क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया है. हर क्षेत्र पर इसका नकारात्मक देखने को मिला है. कोरोना के चलते साल 2020 की शुरुआत से ही प्रदेश में शिक्षण संस्थान बंद पड़े हैं. ऐसे में प्रदेश के विभिन्न में एसएमसी के अंतर्गत तैनात सफाई कर्मचारियों को बीते करीब डेढ़ साल से कोई वेतन नहीं मिला है. ऐसे में इन लोगों के लिए जीवन यापन करना मुश्किल हो गया है.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिले मंडी से आने वाले एसएमसी सफाई कर्मचारी यूनियन के कोषाध्यक्ष चेतराम बताते हैं कि उन्हें स्कूलों में सफाई कर्मचारी के तौर पर 21 साल से ज्यादा समय हो गया है और कोरोना के आने के बाद से उन्हें कोई वेतन नहीं दिया गया है. इस संदर्भ में वे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से कई बार मिले और अपनी बात रखी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. ऐसे में उनके सामने रोजी-रोटी का संकट आन पड़ा है.
चेतराम का कहना है कि इस पेशे में ज्यादातर लोग उम्र दराज हैं जिनके लिए ऐसे समय में कुछ और रोजगार ढूंढना कठिन है. उनका कहना है कि उनके जिले मंडी में ही ऐसे कर्मचारियों की संख्या 100 से अधिक है. वे सरकार से मांग कर रहे हैं कि उन्हें किसी पॉलिसी के तहत रेगुलर बेसिस पर उन्हें तनख्वाह दी जाए. उन्होंने पहले भी मुख्यमंत्री को इस बाबत ज्ञापन सौंपे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. शुक्रवार को वे फिर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मिलने शिमला पहुंचे थे, लेकिन नहीं मिल सके.
कोरोना महामारी के कारण बहुत से लोगों का रोजगार छिन गया है. ऐसे में लोगों के सामने अब जीवन व्यापन का संकट है. प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में एसएनसी के आधीन सफाई कर्मचारी के तौर पर काम कर रहे इन कर्मचारियों की दशा भी कुछ ऐसी ही नजर आती है. जहां न उन्हें कुछ वेतन मिल पा रहा है और न ही उनका भविष्य सुरक्षित है. ऐसे में एसएमसी के तहत आने वाले तमाम सफाई कर्मचारियों ने सरकार से यह मांग की है कि उन्हें वेतन मिले और उनके लिए कोई स्थाई नीति बनाई जाए.
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