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Shardiya Navratri 2022: नवरात्रि का सातवां दिन, सुख और सौभाग्य की प्राप्ति की लिए आज ऐसे करें मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना

शारदीय नवरात्रि 2022 पर माता दुर्गा के अलग-अलग रूपों के दर्शन, पूजन का क्रम जारी है और आज नवरात्र का सातवां दिन है. शारदीय नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा-आराधना का दिन है. मां काली काल का नाश करने वाली हैं, इसी वजह से इन्हें कालरात्रि कहा जाता है. असुरों के राजा रक्तबीज का वध करने के लिए देवी दुर्गा ने अपने तेज से इन्हें उत्पन्न किया था. इनकी पूजा शुभ फलदायी होने के कारण इन्हें 'शुभंकारी' भी कहते हैं. (Shardiya Navratri 2022) (navratri 2022 puja vidhi)

Shardiya Navratri 2022
शारदीय नवरात्रि 2022
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Published : Oct 2, 2022, 7:27 AM IST

शिमला: देश भर में शारदीय नवरात्रि के त्योहार (Durga Puja 2022 Date) में भक्त देवी के 9 रूपों की आराधना कर रहे हैं. शारदीय नवरात्रि 2022 (Shardiya Navratri 2022) का आज सातवां दिन है. नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है. शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2022) के सातवें दिन मां कालरात्रि की विशेष पूजा आराधना की जाती है. गले में नर मुंडो की माला पहनने वाली मां कालरात्रि की पूजा करने से सभी तरह के भय का नाश हो जाता है. नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा रात के 12:00 बजे भी की जाती है. (significance of navratri festival )

मां कालरात्रि की विशेष पूजा: नवरात्रि के सातवें दिन साधक का मन सहस्रार चक्र में स्थित (navratri 2022 puja vidhi ) रहता है. इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगती है. मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं. इसी कारण इनका एक नाम शुभंकारी भी है. अतः इनसे भक्तों को किसी प्रकार भी भयभीत अथवा आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है.

कृष्ण वर्ण का होता है मां कालरात्रि का रंग: मां कालरात्रि की आराधना करने से भूत, प्रेत या बुरी शक्ति का भय जीवन में कभी नहीं सताता है. मां कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण का होता है. रंग के कारण ही इन्हें कालरात्रि कहा जाता है. मां कालरात्रि की 4 भुजाएं होती हैं. कहते हैं कि मां दुर्गा ने असुरों के राजा रक्तबीज का संहार करने के लिए ही ये रूप धारण किया था. कहा जाता है कि जो भक्त मां की सच्चे मन से पूजा करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं जल्द पूरी होती हैं.

माता के श्वास से निकलती है अग्नि: देवी कालरात्रि का शरीर रात के अंधकार की तरह काला (Navratri Colours Significance 2022) है और इनके बाल बिखरे हुए हैं. इनके चार हाथ है जिसमें इन्होंने एक हाथ में कटार तथा एक हाथ में लोहे कांटा धारण किया हुआ है. इसके अलावा इनके दो हाथ वरमुद्रा और अभय मुद्रा में है. इनके तीन नेत्र है और इनके श्वास से अग्नि निकलती है. कालरात्रि का वाहन गर्दभ (गधा) है.

माता ने शुंभ-निशुंभ का किया था वध: कथा के अनुसार दैत्य शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा रखा था. इससे चिंतित होकर सभी देवतागण शिव जी के पास गए. शिव जी ने देवी पार्वती से राक्षसों का वध कर अपने भक्तों की रक्षा करने को कहा. शिव जी की बात मानकर पार्वती जी ने दुर्गा का रूप धारण किया और शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया.

दुर्गा जी ने जैसे ही रक्तबीज को मारा उसके शरीर से निकले रक्त से लाखों रक्तबीज उत्पन्न हो गए. इसे देख दुर्गा जी ने अपने तेज से कालरात्रि को उत्पन्न किया. इसके बाद जब दुर्गा जी ने रक्तबीज को मारा तो उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को कालरात्रि ने अपने मुख में भर लिया और सबका गला काटते हुए रक्तबीज का वध कर दिया.

माता कालरात्रि की पूजा विधि: नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाना चाहिए. इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करके मां का स्मरण करना चाहिए. इतना ही नहीं, मां कालरात्रि को अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ का नैवेद्य श्रद्धापूर्वक अर्पित करें. इसके बाद मां को उनका प्रिय पुष्प रातरानी अर्पित करना चाहिए. (maa kalratri puja vidhi )

मां कालरात्रि के मंत्रों का करें जाप: इसके बाद मां की पूजा कथा कर मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करना चाहिए. इसके बाद मां की आरती करें. मान्यता है कि मां कालरात्रि को गुड़ जरूर अर्पित करना चाहिए. साथ ही इस दिन दान का भी विशेष महत्व है. इसलिए ब्राह्माणों को दान अवश्य करें. बता दें मां का प्रिय रंग लाल है.

मां कालरात्रि मंत्र: नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना इस मंत्र से की जा सकती है. मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना के समय इस मंत्र का जाप (navratri puja mantra ) जरूर करें...

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी.

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी.

ये भी पढ़ें: कौन है राजघराने की महाभारत वाली 'दादी'? जानें उनके बिना क्यों शुरू नहीं होता अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा

शिमला: देश भर में शारदीय नवरात्रि के त्योहार (Durga Puja 2022 Date) में भक्त देवी के 9 रूपों की आराधना कर रहे हैं. शारदीय नवरात्रि 2022 (Shardiya Navratri 2022) का आज सातवां दिन है. नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है. शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2022) के सातवें दिन मां कालरात्रि की विशेष पूजा आराधना की जाती है. गले में नर मुंडो की माला पहनने वाली मां कालरात्रि की पूजा करने से सभी तरह के भय का नाश हो जाता है. नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा रात के 12:00 बजे भी की जाती है. (significance of navratri festival )

मां कालरात्रि की विशेष पूजा: नवरात्रि के सातवें दिन साधक का मन सहस्रार चक्र में स्थित (navratri 2022 puja vidhi ) रहता है. इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगती है. मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं. इसी कारण इनका एक नाम शुभंकारी भी है. अतः इनसे भक्तों को किसी प्रकार भी भयभीत अथवा आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है.

कृष्ण वर्ण का होता है मां कालरात्रि का रंग: मां कालरात्रि की आराधना करने से भूत, प्रेत या बुरी शक्ति का भय जीवन में कभी नहीं सताता है. मां कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण का होता है. रंग के कारण ही इन्हें कालरात्रि कहा जाता है. मां कालरात्रि की 4 भुजाएं होती हैं. कहते हैं कि मां दुर्गा ने असुरों के राजा रक्तबीज का संहार करने के लिए ही ये रूप धारण किया था. कहा जाता है कि जो भक्त मां की सच्चे मन से पूजा करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं जल्द पूरी होती हैं.

माता के श्वास से निकलती है अग्नि: देवी कालरात्रि का शरीर रात के अंधकार की तरह काला (Navratri Colours Significance 2022) है और इनके बाल बिखरे हुए हैं. इनके चार हाथ है जिसमें इन्होंने एक हाथ में कटार तथा एक हाथ में लोहे कांटा धारण किया हुआ है. इसके अलावा इनके दो हाथ वरमुद्रा और अभय मुद्रा में है. इनके तीन नेत्र है और इनके श्वास से अग्नि निकलती है. कालरात्रि का वाहन गर्दभ (गधा) है.

माता ने शुंभ-निशुंभ का किया था वध: कथा के अनुसार दैत्य शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा रखा था. इससे चिंतित होकर सभी देवतागण शिव जी के पास गए. शिव जी ने देवी पार्वती से राक्षसों का वध कर अपने भक्तों की रक्षा करने को कहा. शिव जी की बात मानकर पार्वती जी ने दुर्गा का रूप धारण किया और शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया.

दुर्गा जी ने जैसे ही रक्तबीज को मारा उसके शरीर से निकले रक्त से लाखों रक्तबीज उत्पन्न हो गए. इसे देख दुर्गा जी ने अपने तेज से कालरात्रि को उत्पन्न किया. इसके बाद जब दुर्गा जी ने रक्तबीज को मारा तो उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को कालरात्रि ने अपने मुख में भर लिया और सबका गला काटते हुए रक्तबीज का वध कर दिया.

माता कालरात्रि की पूजा विधि: नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाना चाहिए. इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करके मां का स्मरण करना चाहिए. इतना ही नहीं, मां कालरात्रि को अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ का नैवेद्य श्रद्धापूर्वक अर्पित करें. इसके बाद मां को उनका प्रिय पुष्प रातरानी अर्पित करना चाहिए. (maa kalratri puja vidhi )

मां कालरात्रि के मंत्रों का करें जाप: इसके बाद मां की पूजा कथा कर मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करना चाहिए. इसके बाद मां की आरती करें. मान्यता है कि मां कालरात्रि को गुड़ जरूर अर्पित करना चाहिए. साथ ही इस दिन दान का भी विशेष महत्व है. इसलिए ब्राह्माणों को दान अवश्य करें. बता दें मां का प्रिय रंग लाल है.

मां कालरात्रि मंत्र: नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना इस मंत्र से की जा सकती है. मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना के समय इस मंत्र का जाप (navratri puja mantra ) जरूर करें...

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी.

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी.

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