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Shardiya Navratri 2022: नवरात्रि के आठवें दिन होती है माता महागौरी की पूजा, जानें कथा और विधि-विधान

आज नवरात्रि की अष्टमी तिथि है. ये दिन मां महागौरी को समर्पित है. आज महागौरी देवी की पूजा की जाती है. जानिए क्या है देवी की पूजा की पद्दति और परंपरा. navratri ashtami, shardiya navratri 2022, navratri 2022 eight day maa mahagauri, eighth day maa mahagauri worship

माता महागौरी की पूजा
माता महागौरी की पूजा
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Published : Oct 3, 2022, 6:37 AM IST

शिमला : शारदीय नवरात्रि का आज आठवां दिन है. जिसे अष्टमी के रूप में भी जाना जाता है. नवरात्रि के आठवें दिन भगवती के महागौरी रूप की पूजा की जाती है. माता महागौरी की पूजा से आरोग्य की प्राप्ति होती है. सारे कष्ट दूर होते हैं. भगवान शिव की प्राप्ति के लिए मां महागौरी ने कठोर पूजा की थी, जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था. जब भगवान शिव ने महागौरी को दर्शन दिया तब उनकी कृपा से इनका शरीर अत्यंत गोरा हो गया और इनका नाम गौरी हो गया. माना जाता है कि माता सीता ने राम की प्राप्ति के लिए इन्हीं की पूजा की थी.

मां महागौरी ने की थी कठोर तपस्या: मां महागौरी ने देवी पार्वती रूप में भगवान शिव को पति रूप में पाने करने के लिए कठोर तपस्या की थी. एक बार भगवान भोलेनाथ ने पार्वती जी को देखकर कुछ कह देते हैं. जिससे देवी के मन आहत हो जाता है और पार्वती जी तपस्या में लीन हो जाती है. इस तरह सालो तक कठोर तपस्या करने पर जब पार्वती नहीं आती तो पार्वती को खोजते हुए भगवान शिव उनके पास पहुंचते हैं. वहां पहुंचे तो वहां पार्वती को देखकर आश्चर्य चकित रह जाते हैं. पार्वती जी का रंग बेहद ओजपूर्ण होता है, उनकी छटा चांदनी के सामने सफेद दिखाई पड़ती है. वहीं मध्यप्रदेश के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी ट्विटर पर लिखा- मां महागौरी की असीम कृपा आप सभी पर बनी रहे.

महागौरी का स्वरूप: मां गौरी श्वेत वर्ण की हैं और श्वेत रंग में इनका ध्यान करना अत्यंत लाभकारी होता है. विवाह सम्बन्धी तमाम बाधाओं के निवारण में इनकी पूजा अचूक होती है. ज्योतिष में इनका सम्बन्ध शुक्र नामक ग्रह से माना जाता है. कथाओं के अनुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी. जिससे इनका शरीर काला पड़ गया. जिसके बाद भगवान प्रसन्न होकर इन्हें स्वीकार करते हैं. फिर इनके शरीर को गंगाजल से धोते हैं. तब देवी अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं. तभी से इनका नाम महागौरी पड़ा.

माता महागौरी की सवार वृषभ (बैल) है. इनका अस्त्र त्रिशूल है. इन्हें भी भगवान शिव की अर्धांगिनी के रूप में माना गया है. माता का रूप गौर वर्ण है. मान्यता है कि इस दिन यज्ञ (हवन) करने का विधान है. हवन करने से रोग दूर होते हैं. सारे कष्ट दूर होते हैं.

मंत्र: श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः | महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा ||

स्तुति: या देवी सर्वभू‍तेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

ऐसे करें पूजा: सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें. मंदिर में आसन पर बैठ जाएं. फिर माता का आवाहन करें. इसके बाद माता महागौरी की षोडषोपचार (आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, उपवस्त्र, गंध, पुष्प, धूम, दीप, नैवेद्य, आरती, नमस्कार, पुष्पांजलि) से पूजा करें. पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करें. अष्टमी के दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए देवी मां को चुनरी भेंट करती हैं.

कैसे करें कन्या पूजन की तैयारी: कन्या पूजन के लिए हमेशा कन्याओं को एक दिन पहले ही यानी सप्तमी को ही आमंत्रण दे आएं. साथ में बटुक भैरव के रूप में एक बालक को भी जरूर आमंत्रित करें. कंजक पूजा में 2 से10 साल तक कि कन्याओं को आमंत्रित करें. अष्टमी के दिन शुभ मुहूर्त में कन्याओं और बटुक भैरव के रूप में बालक को आसन पर बिठाएं. ध्यान रहे कि कन्याएं मां दुर्गा का रूप होती हैं, ऐसे में उनका स्वागत जयकारे के साथ करें और घर बिल्कुल स्वच्छ रखें.

पैर छूकर ले आर्शीवाद: जब कन्याएं आसन ग्रहण कर लें तो एक-एक कर सभी कन्याओं का पैर धोएं और रोली, कुमकुम और अक्षत का टीका लगाएं. उनकी कलाई पर मौली बाधें, माला चढ़ाएं और उनकी आरती करें. इसके बाद सभी कन्याओं और बालक को भोग लगाएं. उन्हें चना, हलवा और पूरी का प्रसाद खिलाएं और उन्हें भेंट दें और पैर छूकर कन्याओं से आशीर्वाद लें. navratri ashtami, shardiya navratri 2022, navratri 2022 eight day maa mahagauri, eighth day maa mahagauri worship

ये भी पढ़ें : Kamaksha Temple Karsog: 10 महाविद्याओं की देवी है मां कामाक्षा, अष्टमी पर्व पर मंदिर में होगा जागरण

शिमला : शारदीय नवरात्रि का आज आठवां दिन है. जिसे अष्टमी के रूप में भी जाना जाता है. नवरात्रि के आठवें दिन भगवती के महागौरी रूप की पूजा की जाती है. माता महागौरी की पूजा से आरोग्य की प्राप्ति होती है. सारे कष्ट दूर होते हैं. भगवान शिव की प्राप्ति के लिए मां महागौरी ने कठोर पूजा की थी, जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था. जब भगवान शिव ने महागौरी को दर्शन दिया तब उनकी कृपा से इनका शरीर अत्यंत गोरा हो गया और इनका नाम गौरी हो गया. माना जाता है कि माता सीता ने राम की प्राप्ति के लिए इन्हीं की पूजा की थी.

मां महागौरी ने की थी कठोर तपस्या: मां महागौरी ने देवी पार्वती रूप में भगवान शिव को पति रूप में पाने करने के लिए कठोर तपस्या की थी. एक बार भगवान भोलेनाथ ने पार्वती जी को देखकर कुछ कह देते हैं. जिससे देवी के मन आहत हो जाता है और पार्वती जी तपस्या में लीन हो जाती है. इस तरह सालो तक कठोर तपस्या करने पर जब पार्वती नहीं आती तो पार्वती को खोजते हुए भगवान शिव उनके पास पहुंचते हैं. वहां पहुंचे तो वहां पार्वती को देखकर आश्चर्य चकित रह जाते हैं. पार्वती जी का रंग बेहद ओजपूर्ण होता है, उनकी छटा चांदनी के सामने सफेद दिखाई पड़ती है. वहीं मध्यप्रदेश के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी ट्विटर पर लिखा- मां महागौरी की असीम कृपा आप सभी पर बनी रहे.

महागौरी का स्वरूप: मां गौरी श्वेत वर्ण की हैं और श्वेत रंग में इनका ध्यान करना अत्यंत लाभकारी होता है. विवाह सम्बन्धी तमाम बाधाओं के निवारण में इनकी पूजा अचूक होती है. ज्योतिष में इनका सम्बन्ध शुक्र नामक ग्रह से माना जाता है. कथाओं के अनुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी. जिससे इनका शरीर काला पड़ गया. जिसके बाद भगवान प्रसन्न होकर इन्हें स्वीकार करते हैं. फिर इनके शरीर को गंगाजल से धोते हैं. तब देवी अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं. तभी से इनका नाम महागौरी पड़ा.

माता महागौरी की सवार वृषभ (बैल) है. इनका अस्त्र त्रिशूल है. इन्हें भी भगवान शिव की अर्धांगिनी के रूप में माना गया है. माता का रूप गौर वर्ण है. मान्यता है कि इस दिन यज्ञ (हवन) करने का विधान है. हवन करने से रोग दूर होते हैं. सारे कष्ट दूर होते हैं.

मंत्र: श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः | महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा ||

स्तुति: या देवी सर्वभू‍तेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

ऐसे करें पूजा: सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें. मंदिर में आसन पर बैठ जाएं. फिर माता का आवाहन करें. इसके बाद माता महागौरी की षोडषोपचार (आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, उपवस्त्र, गंध, पुष्प, धूम, दीप, नैवेद्य, आरती, नमस्कार, पुष्पांजलि) से पूजा करें. पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करें. अष्टमी के दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए देवी मां को चुनरी भेंट करती हैं.

कैसे करें कन्या पूजन की तैयारी: कन्या पूजन के लिए हमेशा कन्याओं को एक दिन पहले ही यानी सप्तमी को ही आमंत्रण दे आएं. साथ में बटुक भैरव के रूप में एक बालक को भी जरूर आमंत्रित करें. कंजक पूजा में 2 से10 साल तक कि कन्याओं को आमंत्रित करें. अष्टमी के दिन शुभ मुहूर्त में कन्याओं और बटुक भैरव के रूप में बालक को आसन पर बिठाएं. ध्यान रहे कि कन्याएं मां दुर्गा का रूप होती हैं, ऐसे में उनका स्वागत जयकारे के साथ करें और घर बिल्कुल स्वच्छ रखें.

पैर छूकर ले आर्शीवाद: जब कन्याएं आसन ग्रहण कर लें तो एक-एक कर सभी कन्याओं का पैर धोएं और रोली, कुमकुम और अक्षत का टीका लगाएं. उनकी कलाई पर मौली बाधें, माला चढ़ाएं और उनकी आरती करें. इसके बाद सभी कन्याओं और बालक को भोग लगाएं. उन्हें चना, हलवा और पूरी का प्रसाद खिलाएं और उन्हें भेंट दें और पैर छूकर कन्याओं से आशीर्वाद लें. navratri ashtami, shardiya navratri 2022, navratri 2022 eight day maa mahagauri, eighth day maa mahagauri worship

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