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पीएचडी में दाखिला पर SFI ने उठाए सवाल, सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन को दिया अल्टीमेटम

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में हुई हाल ही में पीएचडी में हुई दाखिला पर SFI ने सवाल उठाए हैं. दाखिला को अध्यादेश और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों की अवहेलना बताया है.

SFI
HPU पीएचडी भर्ती
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Published : Oct 26, 2021, 7:01 PM IST

Updated : Oct 26, 2021, 8:42 PM IST

शिमला: विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया को लेकर एसएफआई ने प्रशासन और प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. एसएफआई ने विश्वविद्यालय कैंपस में विशाल रैली का आयोजन किया और धरना-प्रदर्शन किया. इसके बाद एसएफआई के कार्यकर्ता 24 घंटे की हड़ताल पर बैठ गए हैं.

कैंपस अध्यक्ष विवेक राज ने विश्वविद्यालय में हाल ही में पीएचडी में हुई दाखिला पर आपत्ति जताते हुए इसे अध्यादेश और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों की अवहेलना बताया. विवेक राज का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन मात्र अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए इस तरह की धांधलियां पीएचडी के अंदर कर रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय के कुलपति ने अपने फायदे के लिए यूजीसी और विश्वविद्यालय के ऑर्डिनेंस के नियमों को दरकिनार करते हुए पीएचडी के अंदर एडमिशन की है .

विश्वविद्यालय के अंदर कार्यकारी परिषद ईसी में तय किया गया की हाल ही में जिन प्रोफेसर की भर्तियां हुई हैं, और जिन अध्यापकों की पीएचडी पूरी नहीं हुई है. ऐसे अध्यापक पीएचडी में बिना किसी एंट्रेंस एग्जाम के एडमिशन ले सकते हैं. उनके लिए ईसी के अंदर एक सुपरन्यूमैरेरी (supernumerary) सीट का प्रस्ताव पास किया गया. SFI का कहना है कि यदि इस तरह की सुपरन्यूमैरेरी सीट रख रहे हैं तो इसमें जितने भी प्राध्यापक कॉलेजों और विश्वविद्यालय के अंदर पढ़ाते हैं. उन्हें समान अवसर का मौका मिलना चाहिए. जो कि प्रवेश परीक्षा के माध्यम से ही दिया जाना था, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा ऐसा नहीं किया गया, क्योंकि विश्वविद्यालय प्रशासन और प्रदेश की सरकार अपने चहेतों का दाखिला पीएचडी के अंदर करवाना चाहती है.

एसएफआई ने सवाल उठाया की अगर एक छात्र पीएचडी में प्रवेश के लिए एंट्रेस परीक्षा पास कर सकता है तो एक अध्यापक क्यों नहीं? SFI ने आरोप लगाया कि वाइस चांसलर कहीं ना कहीं अपने बेटे का फर्जी दाखिला PHD के अंदर प्रदेश सरकार की शय के तहत करवाया है. जब ईसी के द्वारा कोटे के तहत यह सीटें निकाली गई तब न तो इन सीटों को विज्ञापित किया गया और न ही प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया गया. जो कि समान अवसर के अधिकार को छीनने के साथ साथ यूजीसी की गाइडलाइंस की भी अवहेलना है.

अपनी इन सभी मांगों को लेकर एसएफआई ने 24 घंटे की हड़ताल का ऐलान किया और कहा कि एसएफआई मांग करती है की उच्च न्यायलय शीघ्र अति शीघ्र इस पर संज्ञान लें और जो दोषी अधिकारी इसमें शामिल हैं, उन पर कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाए. वरना एसएफआई भ्रष्ट अधिकारियों की एंट्री कैंपस के अंदर बैन करेगी और जरुरत पड़ी तो भूख हड़ताल भी की जाएगी.

ये भी पढ़ें : पोस्टर विवाद: संजौली कॉलेज कैंपस में भिड़े ABVP और SFI कार्यकर्ता

ये भी पढे़ं : मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हिमाचल के ड्रग डीलर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल

शिमला: विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया को लेकर एसएफआई ने प्रशासन और प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. एसएफआई ने विश्वविद्यालय कैंपस में विशाल रैली का आयोजन किया और धरना-प्रदर्शन किया. इसके बाद एसएफआई के कार्यकर्ता 24 घंटे की हड़ताल पर बैठ गए हैं.

कैंपस अध्यक्ष विवेक राज ने विश्वविद्यालय में हाल ही में पीएचडी में हुई दाखिला पर आपत्ति जताते हुए इसे अध्यादेश और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों की अवहेलना बताया. विवेक राज का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन मात्र अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए इस तरह की धांधलियां पीएचडी के अंदर कर रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय के कुलपति ने अपने फायदे के लिए यूजीसी और विश्वविद्यालय के ऑर्डिनेंस के नियमों को दरकिनार करते हुए पीएचडी के अंदर एडमिशन की है .

विश्वविद्यालय के अंदर कार्यकारी परिषद ईसी में तय किया गया की हाल ही में जिन प्रोफेसर की भर्तियां हुई हैं, और जिन अध्यापकों की पीएचडी पूरी नहीं हुई है. ऐसे अध्यापक पीएचडी में बिना किसी एंट्रेंस एग्जाम के एडमिशन ले सकते हैं. उनके लिए ईसी के अंदर एक सुपरन्यूमैरेरी (supernumerary) सीट का प्रस्ताव पास किया गया. SFI का कहना है कि यदि इस तरह की सुपरन्यूमैरेरी सीट रख रहे हैं तो इसमें जितने भी प्राध्यापक कॉलेजों और विश्वविद्यालय के अंदर पढ़ाते हैं. उन्हें समान अवसर का मौका मिलना चाहिए. जो कि प्रवेश परीक्षा के माध्यम से ही दिया जाना था, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा ऐसा नहीं किया गया, क्योंकि विश्वविद्यालय प्रशासन और प्रदेश की सरकार अपने चहेतों का दाखिला पीएचडी के अंदर करवाना चाहती है.

एसएफआई ने सवाल उठाया की अगर एक छात्र पीएचडी में प्रवेश के लिए एंट्रेस परीक्षा पास कर सकता है तो एक अध्यापक क्यों नहीं? SFI ने आरोप लगाया कि वाइस चांसलर कहीं ना कहीं अपने बेटे का फर्जी दाखिला PHD के अंदर प्रदेश सरकार की शय के तहत करवाया है. जब ईसी के द्वारा कोटे के तहत यह सीटें निकाली गई तब न तो इन सीटों को विज्ञापित किया गया और न ही प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया गया. जो कि समान अवसर के अधिकार को छीनने के साथ साथ यूजीसी की गाइडलाइंस की भी अवहेलना है.

अपनी इन सभी मांगों को लेकर एसएफआई ने 24 घंटे की हड़ताल का ऐलान किया और कहा कि एसएफआई मांग करती है की उच्च न्यायलय शीघ्र अति शीघ्र इस पर संज्ञान लें और जो दोषी अधिकारी इसमें शामिल हैं, उन पर कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाए. वरना एसएफआई भ्रष्ट अधिकारियों की एंट्री कैंपस के अंदर बैन करेगी और जरुरत पड़ी तो भूख हड़ताल भी की जाएगी.

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Last Updated : Oct 26, 2021, 8:42 PM IST
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