शिमला: प्रदेश के कर्मचारियों की समस्याओं को हल करने के लिए 27 नवंबर को होने वाली जेसीसी की बैठक में आउटसोर्स कर्मचारियों का मुद्दा जोरों से उठाने की तैयारी चल रही है. अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ (non-gazetted employees federation) के अध्यक्ष अश्वनी ठाकुर (Ashwani Thakur) ने कहा कि यह हजारों कर्मचारियों की रोजी रोटी का मसला है. और उन्हें उम्मीद है कि सरकार इस पर बड़ा ऐलान करेगी. इस मुद्दे को जेसीसी की बैठक में सही तरीके से उठाया जाएगा.
अश्वनी ठाकुर ने कहा कि आउटसोर्स कर्मचारियों के संबंध में प्रदेश सरकार की तरफ से सभी विभागों के प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्ष, बोर्डों, निगमों के प्रबंध निर्देशकों को पत्र लिखा गया है. इस पत्र में साफ तौर पर लिखा है कि प्रदेश में जो भी सरकार से अनुमोदित कंपनी के माध्यम से आउटसोर्स पर लगे हैं. उनके लिए नीति निर्धारण करने का निर्णय लिया गया है. अधिकारियों से इन कर्मचारियों का पूरा ब्यौरा तलब किया गया है.
इसमें उन्हें 1 सप्ताह के भीतर सूचना देने को कहा गया है कि आउटसोर्स पर कितने कर्मचारी नियुक्त हैं. इसके अलावा सरकार ने नियुक्ति से संबंधित एमओयू एग्रीमेंट भी मांगा है. अगर नीति बनी तो ऐसी कर्मचारियों को बड़ा लाभ पहुंचेगा और इनका कंपनी के हाथों शोषण नहीं होगा.
बता दें कि प्रदेश में आउटसोर्स कर्मचारियों की संख्या (Number of outsourced employees) पर भी अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं है. इस पत्र का जवाब आने के बाद प्रदेश में कितने आउट सोर्स कर्मचारी हैं. इस सवाल का जवाब ही मिल जाएगा, लेकिन अब नीति बनने की चर्चाओं के बीच आउटसोर्स कर्मचारियों की संख्या (Number of outsourced employees) बढ़ सकती है. प्रदेश सरकार के निर्देश के बाद विभागों निगमों से सही आंकड़ा सामने आएगा. फिलहाल आउटसोर्स कर्मचारियों की संख्या (Number of outsourced employees) 30 हजार से अधिक बताई जा रही है.
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