शिमला: हिमाचल प्रदेश कांग्रेस चुनाव समिति के (Himachal Pradesh Congress Election Committee) अध्यक्ष बनने के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू का प्रदेश भर में जगह-जगह स्वागत किया जा रहा है और उनके पोस्टर लगाए गए हैं. लेकिन सुक्खू के स्वागत समारोह के लिए पार्टी मुख्यालय शिमला में लगे पोस्टरों से वीरभद्र सिंह की फोटो गायब दिखी. इन पोस्टरों में (Congress poster in Shimla) सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा, राजीव शुक्ला, आनंद शर्मा, संजय दत्त, तेजेंद्र पाल सिंह बिट्टू, प्रतिभा सिंह व मुकेश अग्निहोत्री सहित सुक्खू की फोटो थी. ऐसे में यह पोस्टर खासा चर्चा का विषय बना रहा.
बता दें कि वीरभद्र सिंह हिमाचल कांग्रेस के सबसे बड़े नेता थे. किसी राज्य का छह बार मुख्यमंत्री रहना आसान नहीं है. जब तक वीरभद्र सिंह मौजूद रहे, हर चुनाव उनकी अगुवाई में ही लड़ा जाता था. हर चुनाव में कांग्रेस का चेहरा भी वीरभद्र सिंह ही होते थे और चुनाव जीतने की स्थिति में सीएम पद पर भी उन्हें कोई चुनौती नहीं मिलती थी. लेकिन इस तरह पोस्टरों से वीरभद्र सिंह की फोटो गायब होना कहीं न कहीं सवाल खड़े जरूर कर रहा है. हालांकि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह द्वारा जो पोस्टर बनाए गए हैं, उसमें वीरभद्र सिंह की फोटो भी लगाई गई है.
क्या बोले सुक्खू- वहीं, इसको लेकर पूछे सवाल के जवाब में सुक्खू ने कहा कि वीरभद्र सिंह लोगों के दिल में समाए हैं. पोस्टर जीवंत आदमियों के लगते हैं. वीरभद्र सिंह के अक्स के रूप में उनके बेटे व विधायक विक्रमादित्य सिंह हमारे साथ मंच पर बैठे हुए हैं. सुक्खू ने कहा कि हर चीज को राजनीतिक तरीके से जोड़ने की जरूरत नहीं है. कांग्रेस पार्टी एकजुटता से आगे बढ़ रही है. ग्रुप पॉलिटिक्स का समय अब खत्म हो गया है.
गौरतलब है कि हिमाचल कांग्रेस के वीरभद्र काल में सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) एकमात्र नेता जो विचार ना मिलने पर 'राजा साहब' की नीतियों पर मुखर होकर बोलते थे. यह कहना गलत नहीं होगा कि वीरभद्र के दौर में संगठन के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए वह कांग्रेस में एक साथ तो थे लेकिन कई बार वीरभद्र सिंह के खिलाफ भी नजर आते थे. कई (Political journey of Sukhvinder Singh Sukhu) मुद्दों पर वैचारिक मतभेद होने से इन दोनों नेताओं में कई बार अनबन सार्वजनिक भी हुई. दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी सुखविंद्र सिंह सुक्खू पर कटाक्ष करने से नहीं चूकते थे, तो सुक्खू भी आसानी से पीछे नहीं हटते थे. वीरभद्र के दौर में जब दिल्ली हाईकमान भी राजा से पंगा नहीं लेती थी तो प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए सुखविंदर सिंह सुक्खू कई मुद्दों पर एक दूसरे के आमने-सामने नजर आए.
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