शिमला: कोरोना वायरस की दूसरी लहर देश और प्रदेश में तबाही मचा रही है. पहली लहर में बुजुर्ग लोग इसका शिकार हुए थे. दूसरी लहर में वायरस की जेनेटिक म्यूटेशन हो गई. इस कारण वायरस का नेचर एग्रेसिव हो गया है और ये संक्रमित व्यक्ति को संभलने का मौका भी नहीं दे रहा. इस दौरान बड़ी संख्या में युवाओं ने जान गंवाई है.
देश में अब तक 3 लाख से ज्यादा लोग इस महामारी के शिकार बन चुके हैं. भारत मौत के मामले में सिर्फ अमेरिका और ब्राजील से पीछे है. वहीं, छोटे से पहाड़ी राज्य हिमाचल की बात की जाए तो यहां 27 सौ से ज्यादा लोग वायरस की वजह से अपनी जान गवां चुके हैं. पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर में सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार पहली लहर के दौरान हुई मौतों का बड़ा कारण संक्रमित व्यक्ति का अन्य बीमारियों से पीड़ित होना भी था. यानी कोमोरबिडिटी (डायबिटीज, ह्रदय रोग, किडनी रोग, ब्लड प्रेशर) वाले लोग अधिक संवेदनशील थे और उन्हीं की मौत भी हुई. जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक थी, वे संक्रमण के चपेट में आने से बचे, परंतु दूसरी लहर ने स्ट्रॉन्ग इम्यूनिटी वाले युवाओं तक को अपना शिकार बनाया है. आईजीएमसी अस्पताल के एमएस डॉ. जनकराज का कहना है कि वैक्सीनेशन से ही कोरोना के खिलाफ मजबूत सुरक्षा की दीवार बनेगी.
सख्त बंदिशें और कोरोना नियमों से ही होगा बचाव
आईजीएमसी अस्पताल के मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञ डॉ. विमल भारती का कहना है कि दूसरी लहर में कोविड संक्रमण अधिक घातक रूप में सामने आया है. सीवियर कोविड न्यूमोनिया में संक्रमित के इन्फ्लामेटरी मार्कर बढ़ जाते हैं और कई तरह की दिक्कतें आती हैं. ऐसे में संक्रमित की जान बचाना बेहद मुश्किल हो जाता है. दूसरी लहर में वायरस से जेनेटिक म्यूटेशन के कारण खतरा बढ़ा. इससे बचाव का उपाय लॉकडाउन और कोरोना एसओपी का सख्ती से पालन करना ही है. डॉ. भारती का कहना है कि दूसरी लहर में वायरस ने सीधा फेफड़ों पर हमला किया है. वायरस रूप बदलता है. म्यूटेशन के कारण ये बहुत घातक हो जाता है. दूसरी लहर में वायरस के घातक हो जाने से मल्टीपल आर्गन फेल्योर हो रहा है. स्ट्रॉन्ग इम्यूनिटी वाले लोग भी इसके आगे बेबस हैं.
समय से लोग नहीं आ रहे अस्पताल
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक डॉ. निपुण जिंदल ने कहा कि मौतों का कारण स्टेट लेवल कोविड क्लीनिकल टीम नियमित तौर पर मौत के कारणों को जांच रही है. टीम के अनुसार तकरीबन 70 प्रतिशत के करीब लोगों की मौत अस्पताल पहुंचने के 24 घंटे के अंदर हो रही है. इसका कारण यही है कि लोग समय रहते अस्पताल नहीं आ रहे हैं. जिसके कारण उनकी स्थिति गंभीर होती जाती है और अस्पताल पहुंचने पर मौत हो जाती है. लोग शुरुआती लक्षणों को समय पर नहीं पहचान रहे हैं. कोरोना के लक्षणों को हल्के में लेना गंभीर है. इससे मरीज उस समय अस्पताल आता है जब स्थिति गंभीर हो जाती है. इसके अलावा जैसे-जैसे वैक्सीनशन होती जाएगी उसी के साथ मौतों का आंकड़ा भी कम होता जाएगा.
मई महीने में भयावह हो गया वायरस
मई महीने में कोरोना संक्रमण ने हिमाचल में कहर बरपाया है. कोरोना से होने वाली मौत का आंकड़ा हर रोज बढ़ता गया. कोरोना से रविवार तक हिमाचल में 2752 लोगों की मौत हो चुकी है. रविवार को 59 लोगों की जान गई. इसी तरह शनिवार को 22 मई को 56 लोगों की जान गई.
एक महीने से भी कम समय में एक लाख मौतें
देश में कोरोना से मौतों की संख्या एक लाख तक पहुंचने में करीब साढ़े 6 महीने लगे थे. एक से दो लाख होने में 7 महीने से कुछ कम वक्त लगा. वहीं, दूसरी लहर में 2 से 3 लाख मौतें एक महीने से भी कम समय में हो गईं. इस दौरान श्मशान में लगातार जलती चिताओं, नदी में बहते शव और गंगा किनारे लाशों के दफनाने की कई फोटो भी सामने आईं.
हिमाचल में 18 मई को सबसे बड़ी त्रासदी
हिमाचल में 18 मई को अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी हुई. रिकॉर्ड 78 लोगों की मौत हुई. इसमें से 25 लोगों को वायरस के घातक रूप ने निगल लिया. कुल 20 दिन में 1097 लोगों की मौत हुई. यानी एक दिन में औसतन 55 लोगों की मौत हुई. इनमें से सत्तर फीसदी से अधिक मौतें सीवियर कोविड डिजीज, कोविड एसोसिएटिड न्यूमोनिया आदि से हुई. ये सब दुखद परिस्थितियां वायरस के जेनेटिक म्यूटेशन होने से पाई गई.
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