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बंदरों के अचानक मरने से राजधानी में हड़कंप,शहर में बीमारी फैलने का खतरा बढ़ा

राजधानी शिमला में बीते कुछ दिनों से शहर के कई क्षेत्रों में बंदरों के अचानक मरने से हड़कंप मचा हुआ है. लोगों के घरों के छतों और नालियों में बंदरों के शव मिल रहे हैं.

Many monkeys have died in Shimla
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Published : Oct 22, 2019, 2:04 PM IST

शिमला: राजधानी शिमला में मर रहे बंदरों को लेकर नगर निगम ने चिंता जाहिर की है. इसके कारण शहर में बीमारी फैलने का डर भी सता रहा है. शहर में बंदरों को मारने की बात से नगर निगम ने साफ इंकार किया है. नगर निगम ने बंदरों को जहर से मारने के तरीके को गलत बताया है.

नगर निगम की महापौर कुसुम सदरेट ने कहा कि नगर निगम ने बंदरों को नहीं मारा है. उन्होंने कहा कि बंदरों को मारने का काम वन विभाग का है. शहर में जगह-जगह बंदरों के शव पड़े होने की शिकायतें आ रही है. वन विभाग इन जगहों पर वैन भेजकर उन्हें उठा रहा है. महापौर ने बंदरों को जहर देकर मारने के तरीके को गलत बताया है. उन्होंने कहा कि 300 बंदरों के मरने की सूचना है.

वीडियो.

बता दें कि बीते कुछ दिनों से शहर के कई क्षेत्रों में बंदरों के अचानक मरने से हड़कंप मचा हुआ है. लोगों के घरों के छतों और नालियों में बंदरों के शव मिल रहे हैं. बताया जा रहा है कि बंदरों को जहर देकर मारा जा रहा है. बता दें कि बंदरों को इस तरीके से मारे जाने का लोग भी विरोध कर रहे हैं. वन विभाग ने भी सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे हैं. हालांकि शहर में बंदरों को वार्मिंग घोषित किया गया है और लोगों को बन्दरों को मारने की छूट है.

शिमला: राजधानी शिमला में मर रहे बंदरों को लेकर नगर निगम ने चिंता जाहिर की है. इसके कारण शहर में बीमारी फैलने का डर भी सता रहा है. शहर में बंदरों को मारने की बात से नगर निगम ने साफ इंकार किया है. नगर निगम ने बंदरों को जहर से मारने के तरीके को गलत बताया है.

नगर निगम की महापौर कुसुम सदरेट ने कहा कि नगर निगम ने बंदरों को नहीं मारा है. उन्होंने कहा कि बंदरों को मारने का काम वन विभाग का है. शहर में जगह-जगह बंदरों के शव पड़े होने की शिकायतें आ रही है. वन विभाग इन जगहों पर वैन भेजकर उन्हें उठा रहा है. महापौर ने बंदरों को जहर देकर मारने के तरीके को गलत बताया है. उन्होंने कहा कि 300 बंदरों के मरने की सूचना है.

वीडियो.

बता दें कि बीते कुछ दिनों से शहर के कई क्षेत्रों में बंदरों के अचानक मरने से हड़कंप मचा हुआ है. लोगों के घरों के छतों और नालियों में बंदरों के शव मिल रहे हैं. बताया जा रहा है कि बंदरों को जहर देकर मारा जा रहा है. बता दें कि बंदरों को इस तरीके से मारे जाने का लोग भी विरोध कर रहे हैं. वन विभाग ने भी सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे हैं. हालांकि शहर में बंदरों को वार्मिंग घोषित किया गया है और लोगों को बन्दरों को मारने की छूट है.

Intro:देश की रक्षा के लिए सेना में भर्ती होने के बाद बूढे मा बाप ने बेटे को ट्रेनिंग पर तो भेजा लेकिन उसके बाद बेटा घर वापिस नही लौटा। बूढ़े मा बाप 14 सालों से बेटे को देखने के लिए तरस रहे है। बेटे की तलाश के लिए पीएम से लेकर अधिकारियों से बेटे की खोज के लिए गुहार लगा चुके है लेकिन कही से कोई जवाब नही मिल रहा है। शिमला के चलौंटी रह रहे योगराज का बेटा परमजीत 14 साल पहले आसाम राइफल में भर्ती हुआ था ट्रेनिंग के दौरान अचानक बीमार हो गया जिसे उपचार के लिए मुरादाबाद अस्पताल में भर्ती करवाया गया। ठीक होने के बाद आसाम राइफल की एस्कर्ट की टीम उन्हें वापिस लेने गई थी लेकिन वो बीच रास्ते मे ही गुम हो गया। आज 14 साल बीत जाने के बाद भी उसका कोई सुराग नही लग पाया है। हा राइफल की ओर से परमजीत को मर्त घोषित किया गया है लेकिन न तो उसका मर्त शरीर परिजनों को दिया गया और न ही कोई आर्थिक साहयता दी गई थी। जबकि योगराज का परिवार उन्ही पर निर्भर था।


Body:परमजीत के बूढ़े मा बाप बेटे की तलाश के लिए दर दर भटक रहे है। आसाम राइफल के अधिकारियों से लेकर पीएम मोदी तक बेटे के लिए गुहार लगा चुके है लेकिन कही से कोई जवाब नही मिल रहा है। हालांकि ये पंजाब के होशियार पुर के रहने वाले है लेकिन पिछले कई वर्षों से शिमला में राह रहे है। परमजीत के पिता योगराज का कहना है कि आसाम राइफल में भर्ती होने के बाद बेटा ट्रेनिंग पर गया था लेकिन उसके बाद अचानक उसके बीमार होने और गुम होने की खबर दी गई। उनके बेटे के साथ क्या हुआ उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नही दी गई है और पिछले 14 सालों से वे अपने बेटे को देखने का इन्तजार कर रहे है। उन्होंने कहा पीएम मोदी और राजनाथ सिंह को भी पत्र लिखा लेकिन वहां से कोई जवाब नही मिल पाया है। उन्होंने कहा कि उनका बेटा देश की रक्षा करते शाहिद होता तो उस पर गर्व करते लेकिन ट्रेनिंग के दौरान गुम होना इस पर उन्हें विश्वास नही हो रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार से बेटे के साथ क्या हुआ इसकी जांच की गुहार लगाई है।


Conclusion:उधर परमजीत की माँ एप बेटे को देखने को तरस रही है उनका कहना है कि 14 सालों से वे अपने बेटे का इंतजार कर रहे है । उनके बेटे के साथ क्या हुआ है इसका उन्हें कोई पता नही है। वे पीएम मोदी से बेटे की तलाश की गुहार लगा रही है।
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