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International Literature Festival: साहित्य पर चर्चा के दौरान गुलजार बोले- अब समय आ गया है की फिल्मों का भी अपना साहित्य हो

अब समय आ गया है कि फिल्मों का अपना साहित्य हो. यह बता फिल्म निर्देशक गुलजार ने अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव (International Literature Festival in Shimla) पर सिनेमा और साहित्य पर चर्चा के दौरान वीरवार को कही. उन्होंने कहा कि लोगों को अच्छी फिल्में भी देखनी चाहिए. पढ़ें पूरी खबर...

International Literature Festival
अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव
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Published : Jun 17, 2022, 12:43 PM IST

Updated : Jun 17, 2022, 1:11 PM IST

शिमला: अब समय आ गया है कि फिल्मों का अपना साहित्य हो. यह बता फिल्म निर्देशक गुलजार ने अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव (International Literature Festival in Shimla) पर सिनेमा और साहित्य पर चर्चा के दौरान वीरवार को कही. उन्होंने कहा कि आसमान वहीं रहता है, बस बादल आकर बरस जाते हैं. उन्होंने फिल्म देवदास का उदाहरण देते हुए कहा कि यह फिल्म कई निर्देशकों ने बनाई. अब ये किसका साहित्य है, ये कहना मुश्किल है. इसलिए निदेशक जो बनाता है, जो फिल्म चलाता है, उसे साहित्य बनाना बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि लोगों को अच्छी फिल्में भी देखनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि किशोर कुमार का कार्यक्रम सभी लोग देखना चाहते हैं, लेकिन जब पंडित जसराज का कार्यक्रम होता है, तो वहां पर उनकी समझ रखने वाले श्रोता ही पहुंचते हैं. वहां भी सभी पहुंचे तो उनका मनोबल भी बढ़ेगा. गुलजार ने कहा कि उन्होंने सई परांजपे (Film director Sai Paranjpye) के साथ काफी काम काम किया. एक समय था, जब वह उर्दू के शब्द सीखने के लिए मेरे पास आती थी. इस पर हम कहते थे की इसकी फीस लगेगी. गुलजार ने कहा कि फिस इसलिए मांगी जाती थी ताकि आपको हमेशा के लिए याद रहे, लेकिन वह कभी वसूली नहीं जाती थी.

International Literature Festival
अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव में गुलजार.

वहीं, अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव पर सिनेमा और साहित्य पर चर्चा के दौरान आईआरएस अधिकारी निरुपमा कोतरू ने कहा कि फिल्म और साहित्य दोनों संस्कृति को बढ़ावा देते हैं. दोनों के अलग-अलग रीडर है. साहित्य को समझने और पढ़ने के लिए एक क्लास की जरूरत है. सभी इसे पढ़ सकते हैं, लेकिन इसकी गहराई को समझना हर किसी के लिए संभव नहीं है. दूसरी तरफ फिल्म में मनोरंजन होता है. इसे कोई भी समझ लेता है, इसलिए ज्यादा लोगों तक इसकी पहुंच होती है. उन्होंने कहा कि साहित्य के रीडर अलग होते हैं. इसका एक प्रभाव होता है.

International Literature Festival
अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव .

साहित्य का दायरा और गहराई ज्यादा: इसी सत्र में यतींद्र मिश्र ने कहा कि फिल्म और साहित्य के इतिहास में बहुत अंतर है. साहित्य 700 साल पुराना है, तो फिल्म 70 साल पुरानी ही है. ऐसे में दोनों को साथ लाना सही नहीं होगा, क्योंकि फिल्म एक मुद्दे पर बनती है. साहित्य बहुत गहरा होता है. उन्होंने कहा कि साहित्य से जुड़े लोग और इसे पढ़ने वाले लोग अलग क्लास होती है. हालांकि फिल्म की पहुंच ज्यादा होती है, उसे सभी वर्ग के लोग देखते हैं. उन्होंने फिल्म के अपना साहित्य का समर्थन करते हुए कहा कि इस दिशा में हमें काम करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि फिल्में साहित्य से निकली है, लेकिन फिल्म से साहित्य नहीं निकला है.

ट्रांसजेंडर समुदाय का दर्द झलका: शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में लेस्बियन, गे, बायसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर लेखकों के समक्ष चुनौतियों पर बेबाक चर्चा हुई. अपनी पीड़ा को झलकाते हुए ट्रांसजेंडरों ने अर्जुन के तीर से समाज में व्याप्त भेदभाव की ‘आंख’ को भेदा. रामायण और महाभारत काल से लेकर वर्तमान में हो रही असमानताओं को उजागर करते हुए कई सवाल खड़े किए. मुख्य लेखकों पर उन्हें मुख्यधारा में शामिल नहीं होने देने का आरोप लगाया. बॉलीवुड पर भी कटाक्ष किए.

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ट्रांसजेंडर समुदाय का दर्द झलका.

उन्होंने आरोप लगाया कि हमारे साथ समाज में तो अन्याय होता ही है, साहित्य और फिल्म जगत में भी अन्याय होता है. हमारी संख्या कम होने के कारण ऐसा हो रहा है. उन्होंने कहा कि फिल्मों में इस समुदाय की छवि अच्छी नहीं दिखाई जाती है. हमें घृणा की दृष्टि से देखा जाता है. फिल्मों में हमारी छवि जिस तरह की बनाई गई है, उससे हमें बहुत बुरा लगता है. उन्होंने कहा कि फिल्म उद्योग में हमारी संख्या नाम बराबर है. जिस कारण फिल्मों में हमारा पक्ष नहीं आ पाता.

उद्घाटन करने पहुंचे केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल: अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष’ का उद्घाटन केंद्रीय संसदीय कार्य एवं संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा किया गया. इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा कि शिमला जैसे ऐतिहासिक शहर में साहित्यिक चिंतन का बड़ा आयोजन है. इस मंथन से अमृत निकालेंगे. ऐसा उत्सव प्रतिवर्ष करने का प्रयास करेंगे. यह अपनी तरह का पहला आयोजन है. प्रथम साहित्य सम्मेलन शिमला में हो रहा है. बहुत से लोग पूछ रहे हैं कि ‘उन्मेष’ क्या है. इसका अर्थ प्रकट करना, सुबह-सुबह आंखें खोलना, खिलना, अभिव्यक्ति आदि को ‘उन्मेष’ कहते हैं. इस दौरान यूपी के पूर्व राज्यपाल राम नाईक, शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर समेत कई अन्य लोग भी मौजूद रहे.

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अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष’ का उद्घाटन.

रिज पर पहाड़ी कलाकारों ने बांधा समा: अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव के दौरान रिज मैदान पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में वीरवार को जब साहित्य उत्सव का शुभारंभ हुआ, तो रिज मैदान पर कलाकारों ने भी समा बांधा. पहाड़ी संगीत सुनने के लिए काफी संख्या में लोग रिज पर पहुंचे. पहाड़ी कलाकारों ने एक से एक बेहतर प्रस्तुतियां दी. इस दौरान पर्यटकों और स्थानीय निवासियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम का खुब लुत्फ उठाया.

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रिज पर पहाड़ी कलाकारों ने बांधा समा.

शिमला: अब समय आ गया है कि फिल्मों का अपना साहित्य हो. यह बता फिल्म निर्देशक गुलजार ने अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव (International Literature Festival in Shimla) पर सिनेमा और साहित्य पर चर्चा के दौरान वीरवार को कही. उन्होंने कहा कि आसमान वहीं रहता है, बस बादल आकर बरस जाते हैं. उन्होंने फिल्म देवदास का उदाहरण देते हुए कहा कि यह फिल्म कई निर्देशकों ने बनाई. अब ये किसका साहित्य है, ये कहना मुश्किल है. इसलिए निदेशक जो बनाता है, जो फिल्म चलाता है, उसे साहित्य बनाना बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि लोगों को अच्छी फिल्में भी देखनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि किशोर कुमार का कार्यक्रम सभी लोग देखना चाहते हैं, लेकिन जब पंडित जसराज का कार्यक्रम होता है, तो वहां पर उनकी समझ रखने वाले श्रोता ही पहुंचते हैं. वहां भी सभी पहुंचे तो उनका मनोबल भी बढ़ेगा. गुलजार ने कहा कि उन्होंने सई परांजपे (Film director Sai Paranjpye) के साथ काफी काम काम किया. एक समय था, जब वह उर्दू के शब्द सीखने के लिए मेरे पास आती थी. इस पर हम कहते थे की इसकी फीस लगेगी. गुलजार ने कहा कि फिस इसलिए मांगी जाती थी ताकि आपको हमेशा के लिए याद रहे, लेकिन वह कभी वसूली नहीं जाती थी.

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अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव में गुलजार.

वहीं, अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव पर सिनेमा और साहित्य पर चर्चा के दौरान आईआरएस अधिकारी निरुपमा कोतरू ने कहा कि फिल्म और साहित्य दोनों संस्कृति को बढ़ावा देते हैं. दोनों के अलग-अलग रीडर है. साहित्य को समझने और पढ़ने के लिए एक क्लास की जरूरत है. सभी इसे पढ़ सकते हैं, लेकिन इसकी गहराई को समझना हर किसी के लिए संभव नहीं है. दूसरी तरफ फिल्म में मनोरंजन होता है. इसे कोई भी समझ लेता है, इसलिए ज्यादा लोगों तक इसकी पहुंच होती है. उन्होंने कहा कि साहित्य के रीडर अलग होते हैं. इसका एक प्रभाव होता है.

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अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव .

साहित्य का दायरा और गहराई ज्यादा: इसी सत्र में यतींद्र मिश्र ने कहा कि फिल्म और साहित्य के इतिहास में बहुत अंतर है. साहित्य 700 साल पुराना है, तो फिल्म 70 साल पुरानी ही है. ऐसे में दोनों को साथ लाना सही नहीं होगा, क्योंकि फिल्म एक मुद्दे पर बनती है. साहित्य बहुत गहरा होता है. उन्होंने कहा कि साहित्य से जुड़े लोग और इसे पढ़ने वाले लोग अलग क्लास होती है. हालांकि फिल्म की पहुंच ज्यादा होती है, उसे सभी वर्ग के लोग देखते हैं. उन्होंने फिल्म के अपना साहित्य का समर्थन करते हुए कहा कि इस दिशा में हमें काम करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि फिल्में साहित्य से निकली है, लेकिन फिल्म से साहित्य नहीं निकला है.

ट्रांसजेंडर समुदाय का दर्द झलका: शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में लेस्बियन, गे, बायसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर लेखकों के समक्ष चुनौतियों पर बेबाक चर्चा हुई. अपनी पीड़ा को झलकाते हुए ट्रांसजेंडरों ने अर्जुन के तीर से समाज में व्याप्त भेदभाव की ‘आंख’ को भेदा. रामायण और महाभारत काल से लेकर वर्तमान में हो रही असमानताओं को उजागर करते हुए कई सवाल खड़े किए. मुख्य लेखकों पर उन्हें मुख्यधारा में शामिल नहीं होने देने का आरोप लगाया. बॉलीवुड पर भी कटाक्ष किए.

International Literature Festival
ट्रांसजेंडर समुदाय का दर्द झलका.

उन्होंने आरोप लगाया कि हमारे साथ समाज में तो अन्याय होता ही है, साहित्य और फिल्म जगत में भी अन्याय होता है. हमारी संख्या कम होने के कारण ऐसा हो रहा है. उन्होंने कहा कि फिल्मों में इस समुदाय की छवि अच्छी नहीं दिखाई जाती है. हमें घृणा की दृष्टि से देखा जाता है. फिल्मों में हमारी छवि जिस तरह की बनाई गई है, उससे हमें बहुत बुरा लगता है. उन्होंने कहा कि फिल्म उद्योग में हमारी संख्या नाम बराबर है. जिस कारण फिल्मों में हमारा पक्ष नहीं आ पाता.

उद्घाटन करने पहुंचे केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल: अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष’ का उद्घाटन केंद्रीय संसदीय कार्य एवं संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा किया गया. इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा कि शिमला जैसे ऐतिहासिक शहर में साहित्यिक चिंतन का बड़ा आयोजन है. इस मंथन से अमृत निकालेंगे. ऐसा उत्सव प्रतिवर्ष करने का प्रयास करेंगे. यह अपनी तरह का पहला आयोजन है. प्रथम साहित्य सम्मेलन शिमला में हो रहा है. बहुत से लोग पूछ रहे हैं कि ‘उन्मेष’ क्या है. इसका अर्थ प्रकट करना, सुबह-सुबह आंखें खोलना, खिलना, अभिव्यक्ति आदि को ‘उन्मेष’ कहते हैं. इस दौरान यूपी के पूर्व राज्यपाल राम नाईक, शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर समेत कई अन्य लोग भी मौजूद रहे.

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अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष’ का उद्घाटन.

रिज पर पहाड़ी कलाकारों ने बांधा समा: अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव के दौरान रिज मैदान पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में वीरवार को जब साहित्य उत्सव का शुभारंभ हुआ, तो रिज मैदान पर कलाकारों ने भी समा बांधा. पहाड़ी संगीत सुनने के लिए काफी संख्या में लोग रिज पर पहुंचे. पहाड़ी कलाकारों ने एक से एक बेहतर प्रस्तुतियां दी. इस दौरान पर्यटकों और स्थानीय निवासियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम का खुब लुत्फ उठाया.

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रिज पर पहाड़ी कलाकारों ने बांधा समा.
Last Updated : Jun 17, 2022, 1:11 PM IST
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