शिमला: कनलोग में कुछ दिन पहले तेंदुए ने एक बच्ची को अपना शिकार बनाया था. जिसके बाद वन विभाग ने कनलोग में तेंदुए को पकड़ने के लिए पिंजरे लगाए थे, मगर तेंदुआ अभी तक नहीं पकड़ा गया है. स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है. वहीं, पीड़ित माता-पिता को भी सरकार की ओर से अभी तक उचित मुआवजा तक नहीं दिया गया है.
कानून के मुताबिक जो मुआवजा मिलना चाहिए था, वह अभी तक नहीं मिला है. स्थानीय निवासी सुभाष व जीवन ठाकुर ने बताया कि बीती रात सोमवार को एक बार फिर उसी जगह पर तेंदुआ को कनलोग के जंगल में देखा गया है. ऐसे में लोग फिर से दहशत में आ गए हैं. उन्होंने कहा कि वन विभाग सिर्फ खानापूर्ति कर रही है.
वन विभाग ने जो पिंजरा लगाया है, उसमें मरे हुए मुर्गे को रखा गया है. सभी लोगों को पता है कि तेंदुआ कभी भी मरे हुए जानवर को नहीं खाता है. ऐसे में वन विभाग के कार्यशैली पर भी लोगों ने सवाल उठाए हैं.
इसके अलावा स्थानीय लोगों ने वन विभाग, प्रदेश सरकार, जिला प्रशासन व नगर निगम से मांग की है कि कनलोग के जंगलों में स्ट्रील लाइटों को जल्द से जल्द ठीक किया जाए. अधिकतर लोग देर रात को अपने काम खत्म कर घर वापिस आते हैं. ऐसे में यदि स्ट्रीट लाइटें खराब हो तो लोगों को अपने घर तक पहुंचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
सुभाष ने कहा कि तीन वर्ष पहले भी कनलोग में तेंदुए ने कई पालतु कुत्तों को अपना शिकार बनाया था. उस समय भी वन विभाग से रिहायशी इलाकों के साथ लगते जंगलों में फेंसिंग किए जाने की मांग उठाई गई थी, लेकिन आज दिन तक कुछ भी नहीं हुआ. इसके अलावा प्रवासी श्रमिकों के लिए लेबर हॉस्टल बनाने की भी मांग उठाई.
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