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खेल क्षेत्र में पिछड़ रहा हिमाचल! युवाओं की सरकार से बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर की मांग

हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक स्थिति देश के अन्य राज्यों से अलग है. प्रदेश में युवाओं को खेल के क्षेत्र में बेहतर सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. युवाओं का कहना है कि प्रदेश में खेल मैदानों की संख्या के साथ-साथ खेल इंफ्रास्ट्रक्चर (Sports Infrastructure) को बढ़ाया जाए, ताकि पहाड़ के होनहार बच्चे भी देश का नाम रोशन कर सकें.

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फोटो.
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Published : Aug 10, 2021, 1:16 PM IST

शिमलाः टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympic) में भारत ने अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है. भारतीय खिलाड़ियों ने 7 पदक जीतकर इतिहास रच दिया. देश का हर नागरिक भारत के खिलाड़ियों पर गौरवान्वित महसूस कर रहा है, लेकिन इस बीच नई चर्चा ने भी जन्म लिया है कि क्या 130 करोड़ से अधिक आबादी वाले देश के लिए यह पदक नाकाफी नहीं. देश में खेलों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर (Sports Infrastructure) की कमी है. हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में तो स्थिति और भी ज्यादा खराब है. प्रदेश भौगोलिक दृष्टि से (Geographically) भी देश के अन्य राज्यों से अलग है. हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी राज्य (Hill State) होने की वजह से यहां मैदानों की भी कमी है. अवसर की कमी होने से प्रदेश के युवाओं को मंच नहीं मिल पाता.

प्रदेश की राजधानी शिमला के कॉलेजों में पढ़ने वाले रोहित शर्मा, अंशुल और भुवनेश वर्मा का मानना है कि प्रदेश में मैदानों की कमी है. खेल के क्षेत्र में अवसर न के बराबर है. उनका मानना है कि स्कूल स्तर से ही विद्यार्थियों को खेल के लिए प्रोत्साहित (Motivate) किया जाना चाहिए. रूचि के अनुसार उन्हें खेल में आगे बढ़ाने की जरूरत है. पहाड़ी राज्य के बच्चे भी देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर (International Level) पर चमकाएं, इसके लिए यह जरूरी है कि बचपन से ही विद्यार्थियों को रुचि के मुताबिक खेल में आगे बढ़ाया जाए.

वीडियो.

न केवल घर की ओर से बल्कि स्कूल में भी ज्यादा अहमियत पढ़ाई को ही दी जाती है. युवा चाहते हैं कि पढ़ाई के साथ उनके लिए खेल के भी अवसर तलाशे जाएं. प्रदेश सरकार को चाहिए कि मैदानों की संख्या के साथ खेल इंफ्रास्ट्रक्चर (Sports Infrastructure) को बढ़ाने की ओर ध्यान दिया जाए, ताकि पहाड़ के होनहार बच्चे भी देश का नाम रोशन करें.

हालांकि, हिमाचल प्रदेश के खिलाड़ियों ने खेल जगत में अलग पहचान भी बनाई है. इस सूची में मंडी जिले सुंदरनगर के बॉक्सर आशीष चौधरी, नालागढ़ क्षेत्र संबंध रखने वाले कबड्डी प्लेयर अजय ठाकुर, महिला कबड्डी खिलाड़ी कुल्लू की कविता ठाकुर, सिरमौर की प्रियंका नेगी, रितु नेगी समेत हैंडबॉल खेल में सोलन की निधि, बिलासपुर की दीक्षा, कुल्लू की खिला देवी, हमीरपुर के वेटलिफ्टर विकास ठाकुर और वॉलीबॉल में शिमला के पंकज के साथ रोहड़ू की ज्योतिका दत्ता तलवारबाजी में दमखम दिखा चुकी हैं. इसके अलावा क्रिकेट क्षेत्र में सुषमा वर्मा और वैभव अरोड़ा भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम चमका चुके हैं.

प्रदेश में खेल क्षेत्र में प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए जरूरी है कि स्कूल स्तर पर ही मैदान जैसी बुनियादी सुविधाएं (Basic Facilities) विद्यार्थियों को प्रदान की जाए. साथ ही, खेल संबंधी योजनाओं के निवेश और बजट को भी बढ़ाने की जरूरत है. विश्व पटल पर भारत का नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज कराने के लिए जरूरी है कि बुनियादी ढांचे (Basic Structure) में व्यापक बदलाव किए जाएं. खेल क्षेत्र में कम सुविधाओं वाले हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य में बुनियादी ढांचे की अहमियत और भी ज्यादा बढ़ जाती है.

ये भी पढ़ें: देश में 'सिरमौर' होगा हिमाचल का आलू, यहां विकसित हो चुकी है आलू की कैंसर रोधी किस्म

शिमलाः टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympic) में भारत ने अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है. भारतीय खिलाड़ियों ने 7 पदक जीतकर इतिहास रच दिया. देश का हर नागरिक भारत के खिलाड़ियों पर गौरवान्वित महसूस कर रहा है, लेकिन इस बीच नई चर्चा ने भी जन्म लिया है कि क्या 130 करोड़ से अधिक आबादी वाले देश के लिए यह पदक नाकाफी नहीं. देश में खेलों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर (Sports Infrastructure) की कमी है. हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में तो स्थिति और भी ज्यादा खराब है. प्रदेश भौगोलिक दृष्टि से (Geographically) भी देश के अन्य राज्यों से अलग है. हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी राज्य (Hill State) होने की वजह से यहां मैदानों की भी कमी है. अवसर की कमी होने से प्रदेश के युवाओं को मंच नहीं मिल पाता.

प्रदेश की राजधानी शिमला के कॉलेजों में पढ़ने वाले रोहित शर्मा, अंशुल और भुवनेश वर्मा का मानना है कि प्रदेश में मैदानों की कमी है. खेल के क्षेत्र में अवसर न के बराबर है. उनका मानना है कि स्कूल स्तर से ही विद्यार्थियों को खेल के लिए प्रोत्साहित (Motivate) किया जाना चाहिए. रूचि के अनुसार उन्हें खेल में आगे बढ़ाने की जरूरत है. पहाड़ी राज्य के बच्चे भी देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर (International Level) पर चमकाएं, इसके लिए यह जरूरी है कि बचपन से ही विद्यार्थियों को रुचि के मुताबिक खेल में आगे बढ़ाया जाए.

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न केवल घर की ओर से बल्कि स्कूल में भी ज्यादा अहमियत पढ़ाई को ही दी जाती है. युवा चाहते हैं कि पढ़ाई के साथ उनके लिए खेल के भी अवसर तलाशे जाएं. प्रदेश सरकार को चाहिए कि मैदानों की संख्या के साथ खेल इंफ्रास्ट्रक्चर (Sports Infrastructure) को बढ़ाने की ओर ध्यान दिया जाए, ताकि पहाड़ के होनहार बच्चे भी देश का नाम रोशन करें.

हालांकि, हिमाचल प्रदेश के खिलाड़ियों ने खेल जगत में अलग पहचान भी बनाई है. इस सूची में मंडी जिले सुंदरनगर के बॉक्सर आशीष चौधरी, नालागढ़ क्षेत्र संबंध रखने वाले कबड्डी प्लेयर अजय ठाकुर, महिला कबड्डी खिलाड़ी कुल्लू की कविता ठाकुर, सिरमौर की प्रियंका नेगी, रितु नेगी समेत हैंडबॉल खेल में सोलन की निधि, बिलासपुर की दीक्षा, कुल्लू की खिला देवी, हमीरपुर के वेटलिफ्टर विकास ठाकुर और वॉलीबॉल में शिमला के पंकज के साथ रोहड़ू की ज्योतिका दत्ता तलवारबाजी में दमखम दिखा चुकी हैं. इसके अलावा क्रिकेट क्षेत्र में सुषमा वर्मा और वैभव अरोड़ा भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम चमका चुके हैं.

प्रदेश में खेल क्षेत्र में प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए जरूरी है कि स्कूल स्तर पर ही मैदान जैसी बुनियादी सुविधाएं (Basic Facilities) विद्यार्थियों को प्रदान की जाए. साथ ही, खेल संबंधी योजनाओं के निवेश और बजट को भी बढ़ाने की जरूरत है. विश्व पटल पर भारत का नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज कराने के लिए जरूरी है कि बुनियादी ढांचे (Basic Structure) में व्यापक बदलाव किए जाएं. खेल क्षेत्र में कम सुविधाओं वाले हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य में बुनियादी ढांचे की अहमियत और भी ज्यादा बढ़ जाती है.

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