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हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, 7 साल की सेवा पूरी करने वाले दैनिक वेतनभोगी के आश्रित करुणामूलक नौकरी के हकदार

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Published : May 1, 2022, 8:39 PM IST

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने व्यवस्था दी है कि जो दैनिक वेतन भोगी सात वर्ष का सेवाकाल पूरा कर चुका हो तो उसकी सेवाकाल में मृत्यु के बाद उसके आश्रित करुणामूलक आधार पर नौकरी के हकदार (himachal pradesh high court on compassionate job) है. वहीं, इस मामले में अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह इस बारे अपनी अनुपालना रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश करे. अदालत ने सरकार के उस निर्णय को निरस्त कर दिया, जिसके तहत सरकार ने याचिकाकर्ता को करुणामूलक आधार पर नौकरी देने के आग्रह को खारिज कर दिया था.

himachal pradesh high court
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (himachal pradesh high court) ने व्यवस्था दी है कि जो दैनिक वेतन भोगी सात वर्ष का सेवाकाल पूरा कर चुका हो तो उसकी सेवाकाल में मृत्यु के बाद उसके आश्रित करुणामूलक आधार पर नौकरी के हकदार (himachal pradesh high court on compassionate job) है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सी बी बारोवालिया ने मंडी निवासी प्रभी देवी द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह याचिकाकर्ता को करुणामूलक आधार पर सरकारी नौकरी देने बारे तीन महीनो के भीतर विचार करे.

अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह इस बारे अपनी अनुपालना रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश करे. अदालत ने सरकार के उस निर्णय को निरस्त कर दिया, जिसके तहत सरकार ने याचिकाकर्ता को करुणामूलक आधार पर नौकरी देने के आग्रह को खारिज कर दिया था. मामले के अनुसार याचिकाकर्ता का पति वर्ष 1984 से कृषि विभाग में पार्ट टाइम स्वीपर के पद पर अपनी सेवाएं दे रहा था.

वर्ष 2009 में उसकी सेवाएं बतौर दैनिक भोगी तब्दील की गई और दैनिक भोगी पर पांच वर्ष की सेवाएं पूरी करने के बाद उसकी सेवाकाल के दौरान मृत्यु हो गई. उसके बाद याचिकाकर्ता ने करुणामूलक के आधार पर नौकरी के लिए विभाग के पास आवेदन किया.

विभाग ने इस आवेदन को खारिज करते हुए कहा कि मृतक ने दैनिक भोगी के तौर पर सिर्फ पांच वर्ष का सेवाकाल ही पूरा किया है और राज्य सरकार की अधिसूचना के असुनार करुणामूलक के आधार पर नौकरी पाने के लिए सात वर्ष का सेवाकाल होना चाहिए. हाईकोर्ट ने इस निर्णय को कानून सम्मत न मानते हुए निरस्त कर दिया और विभाग को आदेश दिए कि वह याचिकाकर्ता को करुणामूलक आधार पर सरकारी नौकरी देने बारे तीन महीनों के भीतर विचार करे.

ये भी पढ़ें: 280 करोड़ रुपए बचाने के लिए हाईकोर्ट की डिवीजन बैंच में जाएगी हिमाचल सरकार, अदानी समूह से जुड़ा है मामला

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (himachal pradesh high court) ने व्यवस्था दी है कि जो दैनिक वेतन भोगी सात वर्ष का सेवाकाल पूरा कर चुका हो तो उसकी सेवाकाल में मृत्यु के बाद उसके आश्रित करुणामूलक आधार पर नौकरी के हकदार (himachal pradesh high court on compassionate job) है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सी बी बारोवालिया ने मंडी निवासी प्रभी देवी द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह याचिकाकर्ता को करुणामूलक आधार पर सरकारी नौकरी देने बारे तीन महीनो के भीतर विचार करे.

अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह इस बारे अपनी अनुपालना रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश करे. अदालत ने सरकार के उस निर्णय को निरस्त कर दिया, जिसके तहत सरकार ने याचिकाकर्ता को करुणामूलक आधार पर नौकरी देने के आग्रह को खारिज कर दिया था. मामले के अनुसार याचिकाकर्ता का पति वर्ष 1984 से कृषि विभाग में पार्ट टाइम स्वीपर के पद पर अपनी सेवाएं दे रहा था.

वर्ष 2009 में उसकी सेवाएं बतौर दैनिक भोगी तब्दील की गई और दैनिक भोगी पर पांच वर्ष की सेवाएं पूरी करने के बाद उसकी सेवाकाल के दौरान मृत्यु हो गई. उसके बाद याचिकाकर्ता ने करुणामूलक के आधार पर नौकरी के लिए विभाग के पास आवेदन किया.

विभाग ने इस आवेदन को खारिज करते हुए कहा कि मृतक ने दैनिक भोगी के तौर पर सिर्फ पांच वर्ष का सेवाकाल ही पूरा किया है और राज्य सरकार की अधिसूचना के असुनार करुणामूलक के आधार पर नौकरी पाने के लिए सात वर्ष का सेवाकाल होना चाहिए. हाईकोर्ट ने इस निर्णय को कानून सम्मत न मानते हुए निरस्त कर दिया और विभाग को आदेश दिए कि वह याचिकाकर्ता को करुणामूलक आधार पर सरकारी नौकरी देने बारे तीन महीनों के भीतर विचार करे.

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