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HP High Court: नहीं जाएगी 674 कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर्स की नौकरी, हाईकोर्ट में सरकार ने कही बड़ी बात - shimla news hindi

हिमाचल प्रदेश में अनुबंध के आधार पर नियुक्त किए गए 674 कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर्स की (community health officers in himachal) नौकरी को कोई खतरा नहीं है. हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने कहा है कि अनुबंध आधार पर सेवाएं दे रहे 674 ऐसे ऑफिसर्स को नौकरी से बाहर करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है. क्या है पूरा मामला पढ़ें...

HP High Court
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Published : Oct 14, 2022, 9:22 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में अनुबंध के आधार पर नियुक्त किए गए 674 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी यानी कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर्स की (community health officers in himachal) नौकरी को कोई खतरा नहीं है. हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने इस बारे में स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि अनुबंध आधार पर सेवाएं दे रहे 674 ऐसे ऑफिसर्स को नौकरी से बाहर करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है. दरअसल, राज्य में कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर्स के 723 पद भरने की घोषणा हुई है. इस संदर्भ में विज्ञापन भी जारी किया गया है. इन नई नियुक्तियों की प्रक्रिया से अनुबंध आधार पर सेवाएं दे रहे सीएचओ में डर फैल गया था कि कहीं उनकी नौकरी पर खतरा न आ जाए.

अनुबंध अधिकारी संघ की तरफ से इस बारे में हाईकोर्ट में याचिका डाली गई थी. याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि उन्हें नौकरी से बाहर करने का कोई इरादा नहीं है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमजद एहतेशाम सई व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने सरकार के इस वक्तव्य को रिकॉर्ड पर लाते हुए 723 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों की हालिया भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. अब मामले पर सुनवाई पहली नवंबर के लिए निर्धारित की गई है. ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर व अन्य डॉक्टरों द्वारा दायर याचिका के अनुसार नेशनल हेल्थ मिशन के तहत शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उपकेंद्रों को अपग्रेड कर स्वास्थ्य व कल्याण केंद्रों (हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स) में बदलने की मुहिम शुरू की गई.

सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को इन स्वास्थ्य व कल्याण केंद्रों में तैनाती देने के लिए एनएचएम ने एचएलएल लाइफ केयर कंपनी के साथ एक एमओयू किया है. नेशनल हेल्थ मिशन ने उक्त कंपनी के साथ 18 दिसंबर 2018 को ये एमओयू साइन किया है. वर्ष 2019 में इस स्कीम के तहत एचएलएल कंपनी ने कुल 674 सीएचओ को 3 वर्ष के अनुबंध आधार पर उक्त केंद्रों के लिए नियुक्त किया. 19 सितम्बर 2022 को एनएचएम ने 723 सीएचओ के पदों को अनुबंध आधार पर भरने के लिए विज्ञापन जारी किया. इस विज्ञापन से आशंकित प्रार्थियों ने हाईकोर्ट से इस भर्ती प्रक्रिया को निरस्त करने के लिए याचिका दाखिल की थी.

सरकार की ओर से हाईकोर्ट को बताया गया कि प्रार्थी सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को आउटसोर्स आधार पर नियुक्त किया गया है. अब 17 अगस्त 2020 को केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को आउटसोर्स तरीके से भरना बंद कर सीधे एनएचएम अनुबंध आधार पर भरे. इसलिए 723 मौजूदा पदों को केंद्र सरकार के आदेश के अनुसार भरा जा रहा है. सरकार ने कोर्ट को यह भी बताया कि प्रदेश में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के 1500 पद स्वीकृत किए गए हैं अत: मौजूदा सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुबंध को खत्म करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें: सीबी बारोवालिया होंगे हिमाचल के नए लोकायुक्त, अधिसूचना जारी

शिमला: हिमाचल प्रदेश में अनुबंध के आधार पर नियुक्त किए गए 674 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी यानी कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर्स की (community health officers in himachal) नौकरी को कोई खतरा नहीं है. हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने इस बारे में स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि अनुबंध आधार पर सेवाएं दे रहे 674 ऐसे ऑफिसर्स को नौकरी से बाहर करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है. दरअसल, राज्य में कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर्स के 723 पद भरने की घोषणा हुई है. इस संदर्भ में विज्ञापन भी जारी किया गया है. इन नई नियुक्तियों की प्रक्रिया से अनुबंध आधार पर सेवाएं दे रहे सीएचओ में डर फैल गया था कि कहीं उनकी नौकरी पर खतरा न आ जाए.

अनुबंध अधिकारी संघ की तरफ से इस बारे में हाईकोर्ट में याचिका डाली गई थी. याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि उन्हें नौकरी से बाहर करने का कोई इरादा नहीं है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमजद एहतेशाम सई व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने सरकार के इस वक्तव्य को रिकॉर्ड पर लाते हुए 723 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों की हालिया भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. अब मामले पर सुनवाई पहली नवंबर के लिए निर्धारित की गई है. ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर व अन्य डॉक्टरों द्वारा दायर याचिका के अनुसार नेशनल हेल्थ मिशन के तहत शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उपकेंद्रों को अपग्रेड कर स्वास्थ्य व कल्याण केंद्रों (हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स) में बदलने की मुहिम शुरू की गई.

सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को इन स्वास्थ्य व कल्याण केंद्रों में तैनाती देने के लिए एनएचएम ने एचएलएल लाइफ केयर कंपनी के साथ एक एमओयू किया है. नेशनल हेल्थ मिशन ने उक्त कंपनी के साथ 18 दिसंबर 2018 को ये एमओयू साइन किया है. वर्ष 2019 में इस स्कीम के तहत एचएलएल कंपनी ने कुल 674 सीएचओ को 3 वर्ष के अनुबंध आधार पर उक्त केंद्रों के लिए नियुक्त किया. 19 सितम्बर 2022 को एनएचएम ने 723 सीएचओ के पदों को अनुबंध आधार पर भरने के लिए विज्ञापन जारी किया. इस विज्ञापन से आशंकित प्रार्थियों ने हाईकोर्ट से इस भर्ती प्रक्रिया को निरस्त करने के लिए याचिका दाखिल की थी.

सरकार की ओर से हाईकोर्ट को बताया गया कि प्रार्थी सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को आउटसोर्स आधार पर नियुक्त किया गया है. अब 17 अगस्त 2020 को केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को आउटसोर्स तरीके से भरना बंद कर सीधे एनएचएम अनुबंध आधार पर भरे. इसलिए 723 मौजूदा पदों को केंद्र सरकार के आदेश के अनुसार भरा जा रहा है. सरकार ने कोर्ट को यह भी बताया कि प्रदेश में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के 1500 पद स्वीकृत किए गए हैं अत: मौजूदा सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुबंध को खत्म करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं.

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