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चुनावी साल का मास्टर स्ट्रोक: जयराम सरकार की पैरवी के बाद हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा मिलना तय

हिमाचल प्रदेश के पिछड़े सिरमौर जिले के दुर्गम इलाके ट्रांस -गिरि को जनजातीय का दर्जा मिलने के प्रबल आसार है. जिसको लेकर गृह मंत्री अमित शाह भी हरी झंडी दिखा चुके (Hati community demands tribal status) हैं. अब देखना होगा की चुनावी वर्ष में कब तक हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा मिलता है. सूत्रों की माने तो महीने के अंत में या अगस्त के पहले हफ्ते में केंद्र सरकार इस बारे में ऐलान कर सकती (Hati community demands tribal status) है. पढ़ें पूरी खबर...

Hati community demands tribal status
जयराम सरकार की पैरवी के बाद हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा मिलना तय
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Published : Jul 20, 2022, 9:49 PM IST

शिमला: दशकों से हक के लिए हठ पकड़ कर संघर्ष कर रहे हाटी समुदाय के इंतजार का फल मीठा होने वाला है. केंद्र सरकार जल्द ही हिमाचल के सिरमौर जिले के गिरिपार इलाके के हाटी समुदाय को जनजातीय का दर्जा (Hati community demands tribal status) देगी. केंद्रीय हाटी समिति के बैनर तले संघर्ष कर रहे समुदाय को अपनी मांग पूरी होती दिख रही है. केंद्रीय हाटी समिति निरंतर केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालय के साथ संपर्क में है. सूत्रों का कहना है कि इसी महीने के अंत में या अगस्त के पहले हफ्ते में केंद्र सरकार इस बारे में पक्का ऐलान करेगी.

चुनावी साल में हिमाचल भाजपा को सिरमौर जिले की पांच सीटों पर इस कदम का लाभ मिलेगा. गिरिपार इलाके की तीन लाख से अधिक की आबादी है. ये समुदाय दशकों से जनजातीय का दर्जा मांग रहा (Hati community demands tribal status)है. गिरिपार के लोगों के पास सबसे पुख्ता तर्क ये है कि जब समान परिस्थितियों वाले उत्तराखंड के जौंसार बावर इलाके को उक्त दर्जा दिया जा सकता है तो हाटी समुदाय के साथ भेद भाव क्यों? फिलहाल दशकों का इंतजार खत्म होने के आसार हैं.

केंद्रीय हाटी समिति के पदाधिकारियों को संकेत मिले हैं कि इस बारे में औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं. संबंधित मंत्रालयों से एनओसी मिल चुके हैं. गृह मंत्री अमित शाह ने भी इसके लिए हरी झंडी दे दी है. ये सारे फैसले गृह मंत्रालय के अधीन (Giripar Tribal Area) हैं. ये भी बताया जा रहा है कि आरजीआई यानी रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने हाटी समुदाय को कागजों में जनजातीय अंकित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के समान परिस्थितियों वाले इलाके जौंसार-बावर को केंद्र की तरफ से वर्ष 1967 में उक्त दर्जा मिल चुका है.

हिमाचल की विभिन्न सरकारों ने गिरिपार को जनजातीय दर्जा दिलाने के लिए अपने-अपने स्तर पर प्रयास किए. इस बारे में कई बार अपडेट रिपोर्ट आरजीआई को सौंपी गई. इस बार गिरिपार की जनता ने ठान लिया था कि जनजातीय का दर्जा लेकर रहेंगे. इसके लिए निरंतर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किए गए. नौबत यहां तक आई थी कि लोगों ने विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान किया था. केंद्रीय हाटी समिति ने राजनेताओं को अपने मंच पर नहीं आने दिया था. उधर, सीएम जयराम सरकार ने इस मुद्दे को चुनावी साल में लपक लिया.

गिरिपार की जनता पांच दशक से भी अधिक समय से अपनी मांग को लेकर आवाज उठा रही है? भाजपा के शिमला सीट से पूर्व सांसद वीरेंद्र कश्यप और मौजूदा सांसद सुरेश कश्यप ने अनेक बार इस मुद्दे को उठाया. आरजीआई के समक्ष पक्ष रखा. यहां एक दिलचस्प बात दर्ज करना जरूरी है. हिमाचल भाजपा के कद्दावर नेता व पूर्व विधायक बलदेव तोमर ने तो पार्टी से यहां तक कह दिया था कि यदि हाटी समुदाय को हक नहीं मिलता है तो वे चुनाव में वोट मांगने नहीं जाएंगे. कारण ये था कि लोग सीधे इसी मुद्दे पर घेरने की योजना बना चुके थे.

ये सही है कि कोई भी राजनेता बड़ी संख्या में एकजुट मतदाताओं के सवालों का सामना नहीं कर सकता. बलदेव तोमर ने 11 जुलाई को कमरऊ में हुई खुमली (एक तरह लोक आयोजन) में ऐलान किया था कि अगर चुनाव से पहले हाटी को एसटी का दर्जा न दिलाया तो वह विधानसभा चुनाव में वोट मांगने लोगों के बीच नहीं जाएंगे. वहीं, इससे पूर्व सिरमौर के रोनहाट में हाटी समुदाय की महापंचायत हुई थी. तब केंद्र व राज्य सरकार को लोगों ने चेतावनी दी थी कि यदि छह माह में हक न मिला तो मतदान का बहिष्कार होगा.

हाटी समुदाय की इस चेतावनी के बाद भाजपा सांसद सुरेश कश्यप, शिलाई के विधायक हर्षवर्धन चौहान, रेणुका के विधायक विनय कुमार ने ऐलान किया कि कांग्रेस विधायक हर्षवर्धन ने तो यहां तक कहा था कि अगर ये मांग पूरी नहीं हुई तो तो वह अपना पद छोड़ देंगे. हाटी समुदाय के आंदोलन में मार्गदर्शन का काम कर रहे केंद्रीय हाटी समिति के अध्यक्ष डॉ. अमीचंद कमल और डॉ. रमेश सिंगटा का कहना है कि सभी के सामूहिक प्रयास से ये आंदोलन सफल होने जा रहा है. डॉ. सिंगटा का कहना है कि आम जनता खासकर महिलाओं ने संघर्ष का जो जज्बा दिखाया है, उससे हाटी समुदाय को हक मिलने के आसार बन गए थे. अब केंद्रीय समिति को ऐसे पुख्ता संकेत और सूचनाएं मिली हैं कि केंद्र सरकार भी हाटी समुदाय के पक्ष में फैसला देने वाली है. समिति ने आंदोलन को समर्थन देने वाले राजनेताओं का भी आभार जताया है.

शिमला: दशकों से हक के लिए हठ पकड़ कर संघर्ष कर रहे हाटी समुदाय के इंतजार का फल मीठा होने वाला है. केंद्र सरकार जल्द ही हिमाचल के सिरमौर जिले के गिरिपार इलाके के हाटी समुदाय को जनजातीय का दर्जा (Hati community demands tribal status) देगी. केंद्रीय हाटी समिति के बैनर तले संघर्ष कर रहे समुदाय को अपनी मांग पूरी होती दिख रही है. केंद्रीय हाटी समिति निरंतर केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालय के साथ संपर्क में है. सूत्रों का कहना है कि इसी महीने के अंत में या अगस्त के पहले हफ्ते में केंद्र सरकार इस बारे में पक्का ऐलान करेगी.

चुनावी साल में हिमाचल भाजपा को सिरमौर जिले की पांच सीटों पर इस कदम का लाभ मिलेगा. गिरिपार इलाके की तीन लाख से अधिक की आबादी है. ये समुदाय दशकों से जनजातीय का दर्जा मांग रहा (Hati community demands tribal status)है. गिरिपार के लोगों के पास सबसे पुख्ता तर्क ये है कि जब समान परिस्थितियों वाले उत्तराखंड के जौंसार बावर इलाके को उक्त दर्जा दिया जा सकता है तो हाटी समुदाय के साथ भेद भाव क्यों? फिलहाल दशकों का इंतजार खत्म होने के आसार हैं.

केंद्रीय हाटी समिति के पदाधिकारियों को संकेत मिले हैं कि इस बारे में औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं. संबंधित मंत्रालयों से एनओसी मिल चुके हैं. गृह मंत्री अमित शाह ने भी इसके लिए हरी झंडी दे दी है. ये सारे फैसले गृह मंत्रालय के अधीन (Giripar Tribal Area) हैं. ये भी बताया जा रहा है कि आरजीआई यानी रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने हाटी समुदाय को कागजों में जनजातीय अंकित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के समान परिस्थितियों वाले इलाके जौंसार-बावर को केंद्र की तरफ से वर्ष 1967 में उक्त दर्जा मिल चुका है.

हिमाचल की विभिन्न सरकारों ने गिरिपार को जनजातीय दर्जा दिलाने के लिए अपने-अपने स्तर पर प्रयास किए. इस बारे में कई बार अपडेट रिपोर्ट आरजीआई को सौंपी गई. इस बार गिरिपार की जनता ने ठान लिया था कि जनजातीय का दर्जा लेकर रहेंगे. इसके लिए निरंतर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किए गए. नौबत यहां तक आई थी कि लोगों ने विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान किया था. केंद्रीय हाटी समिति ने राजनेताओं को अपने मंच पर नहीं आने दिया था. उधर, सीएम जयराम सरकार ने इस मुद्दे को चुनावी साल में लपक लिया.

गिरिपार की जनता पांच दशक से भी अधिक समय से अपनी मांग को लेकर आवाज उठा रही है? भाजपा के शिमला सीट से पूर्व सांसद वीरेंद्र कश्यप और मौजूदा सांसद सुरेश कश्यप ने अनेक बार इस मुद्दे को उठाया. आरजीआई के समक्ष पक्ष रखा. यहां एक दिलचस्प बात दर्ज करना जरूरी है. हिमाचल भाजपा के कद्दावर नेता व पूर्व विधायक बलदेव तोमर ने तो पार्टी से यहां तक कह दिया था कि यदि हाटी समुदाय को हक नहीं मिलता है तो वे चुनाव में वोट मांगने नहीं जाएंगे. कारण ये था कि लोग सीधे इसी मुद्दे पर घेरने की योजना बना चुके थे.

ये सही है कि कोई भी राजनेता बड़ी संख्या में एकजुट मतदाताओं के सवालों का सामना नहीं कर सकता. बलदेव तोमर ने 11 जुलाई को कमरऊ में हुई खुमली (एक तरह लोक आयोजन) में ऐलान किया था कि अगर चुनाव से पहले हाटी को एसटी का दर्जा न दिलाया तो वह विधानसभा चुनाव में वोट मांगने लोगों के बीच नहीं जाएंगे. वहीं, इससे पूर्व सिरमौर के रोनहाट में हाटी समुदाय की महापंचायत हुई थी. तब केंद्र व राज्य सरकार को लोगों ने चेतावनी दी थी कि यदि छह माह में हक न मिला तो मतदान का बहिष्कार होगा.

हाटी समुदाय की इस चेतावनी के बाद भाजपा सांसद सुरेश कश्यप, शिलाई के विधायक हर्षवर्धन चौहान, रेणुका के विधायक विनय कुमार ने ऐलान किया कि कांग्रेस विधायक हर्षवर्धन ने तो यहां तक कहा था कि अगर ये मांग पूरी नहीं हुई तो तो वह अपना पद छोड़ देंगे. हाटी समुदाय के आंदोलन में मार्गदर्शन का काम कर रहे केंद्रीय हाटी समिति के अध्यक्ष डॉ. अमीचंद कमल और डॉ. रमेश सिंगटा का कहना है कि सभी के सामूहिक प्रयास से ये आंदोलन सफल होने जा रहा है. डॉ. सिंगटा का कहना है कि आम जनता खासकर महिलाओं ने संघर्ष का जो जज्बा दिखाया है, उससे हाटी समुदाय को हक मिलने के आसार बन गए थे. अब केंद्रीय समिति को ऐसे पुख्ता संकेत और सूचनाएं मिली हैं कि केंद्र सरकार भी हाटी समुदाय के पक्ष में फैसला देने वाली है. समिति ने आंदोलन को समर्थन देने वाले राजनेताओं का भी आभार जताया है.

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