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राकेश पठानिया पहली बार पहुंचे वन मुख्यालय शिमला, अधिकारियों को काम पूरा करने के दिए आदेश

वन मंत्री का पदभार ग्रहण करने के बाद सोमवार को राकेश पठानिया पहली बार वन मुख्यालय शिमला पहुंचे.उन्होंने कहा कि अभी उन्हें वन विभाग की कार्यशैली को समझने में करीब एक सप्ताह का समय लगेगा. उसके बाद विभाग को किस तरह से आगे ले जाना है उस पर काम किया जाएगा.

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Published : Aug 3, 2020, 4:52 PM IST

Rakesh Pathania
राकेश पठानिया

शिमला: वन मंत्री का पदभार ग्रहण करने के बाद सोमवार को राकेश पठानिया पहली बार वन मुख्यालय शिमला पहुंचे. मुख्यालय में उन्होंने वन अधिकरियों के साथ बैठक की और विभाग की गतिविधियों के बारे में जानकारी हासिल की. इसके अलावा विभाग के अधिकारियों को समय पर काम पूरा करने के आदेश दिए.

राकेश पठानिया ने कहा कि वह पहली बार वन मुख्यालय में मंत्री के कार्यभार के साथ पहुंचे हैं और उन्हें अभी वन विभाग की कार्यशैली को समझने में करीब एक सप्ताह का समय लगेगा. उसके बाद विभाग को किस तरह से आगे ले जाना है उस पर काम किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा की वन विभाग बहुत बड़ा महकमा है जिसको रोजगार के साथ जोड़ने की कोशिश की जाएगी, ताकि प्रदेश के बेरोजगार को रोजगार मिल सके.

वीडियो रिपोर्ट

हिमाचल में वन आवरण लगातार बढ़ रहा है. भारतीय वन सर्वेक्षण देहरादून की भारत वन स्थिति रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में वनों का आवरण पहले से कहीं अधिक बढ़ा है. इसका कारण यहां पौधारोपण अभियान में तेजी लाना है. लगातार सरकार यह प्रयास कर रही है कि वन आवरण बढ़ाने के लिए यहां पौधरोपण बढ़ाया जाएगा, जिसके लिए एक मुहिम चल रही है.

राकेश पठानिया ने कहा कि अब हिमाचल के जंगलों में हर साल 12 हजार हेक्टेयर एरिया में प्लांटेशन की जाएगी. पहाड़ी प्रदेश के वनों को हरा भरा बनाए रखने व इनकी ग्रोथ बढ़ाने के मद्देनजर सरकार ने हाल ही में यह अहम फैसला किया है.

वनों की वर्तमान ग्रोथ 27.71 परसेंट को वर्ष 2030 तक 30 परसेंट तक बढ़ाने की योजना है. ऐसे में अढ़ाई परसेंट बढ़ोतरी के लिए हर साल तीन से चार दिन तक की जाने वाली प्लांटेशन को एक कैंपेन मोड के तहत किया जाएगा. अभी तक आठ से दस हजार हेक्टेयर एरिया में ही प्लांटेशन की जाती रही है, अगले दस सालों के लिए तय किए गए लक्ष्य की पूर्ति के लिए प्लांटेशन करने का आंकड़ा भी बढ़ाया गया है. वनों की ग्रोथ में अढ़ाई परसेंट बढ़ोतरी का लक्ष्य पूरा करने के लिए सभी आला एवं फील्ड अफसरों को निर्देश जारी हुए हैं.

वन आवरण बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण में हिमाचल बड़ा काम कर रहा है, परंतु इससे लोगों को दिक्कत भी पेश आ रही हैं. वहीं, सरकार को कुछ नुकसान भी हो रहा है. यहां कई जिले ऐसे हैं, जहां माइनिंग का काम नहीं दिया जा सकता.

ये भी पढ़ें: रविवार को मंडी में कोरोना के कुल 11 मामले आए सामने, दो लोगों ने दी कोरोना को मात

शिमला: वन मंत्री का पदभार ग्रहण करने के बाद सोमवार को राकेश पठानिया पहली बार वन मुख्यालय शिमला पहुंचे. मुख्यालय में उन्होंने वन अधिकरियों के साथ बैठक की और विभाग की गतिविधियों के बारे में जानकारी हासिल की. इसके अलावा विभाग के अधिकारियों को समय पर काम पूरा करने के आदेश दिए.

राकेश पठानिया ने कहा कि वह पहली बार वन मुख्यालय में मंत्री के कार्यभार के साथ पहुंचे हैं और उन्हें अभी वन विभाग की कार्यशैली को समझने में करीब एक सप्ताह का समय लगेगा. उसके बाद विभाग को किस तरह से आगे ले जाना है उस पर काम किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा की वन विभाग बहुत बड़ा महकमा है जिसको रोजगार के साथ जोड़ने की कोशिश की जाएगी, ताकि प्रदेश के बेरोजगार को रोजगार मिल सके.

वीडियो रिपोर्ट

हिमाचल में वन आवरण लगातार बढ़ रहा है. भारतीय वन सर्वेक्षण देहरादून की भारत वन स्थिति रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में वनों का आवरण पहले से कहीं अधिक बढ़ा है. इसका कारण यहां पौधारोपण अभियान में तेजी लाना है. लगातार सरकार यह प्रयास कर रही है कि वन आवरण बढ़ाने के लिए यहां पौधरोपण बढ़ाया जाएगा, जिसके लिए एक मुहिम चल रही है.

राकेश पठानिया ने कहा कि अब हिमाचल के जंगलों में हर साल 12 हजार हेक्टेयर एरिया में प्लांटेशन की जाएगी. पहाड़ी प्रदेश के वनों को हरा भरा बनाए रखने व इनकी ग्रोथ बढ़ाने के मद्देनजर सरकार ने हाल ही में यह अहम फैसला किया है.

वनों की वर्तमान ग्रोथ 27.71 परसेंट को वर्ष 2030 तक 30 परसेंट तक बढ़ाने की योजना है. ऐसे में अढ़ाई परसेंट बढ़ोतरी के लिए हर साल तीन से चार दिन तक की जाने वाली प्लांटेशन को एक कैंपेन मोड के तहत किया जाएगा. अभी तक आठ से दस हजार हेक्टेयर एरिया में ही प्लांटेशन की जाती रही है, अगले दस सालों के लिए तय किए गए लक्ष्य की पूर्ति के लिए प्लांटेशन करने का आंकड़ा भी बढ़ाया गया है. वनों की ग्रोथ में अढ़ाई परसेंट बढ़ोतरी का लक्ष्य पूरा करने के लिए सभी आला एवं फील्ड अफसरों को निर्देश जारी हुए हैं.

वन आवरण बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण में हिमाचल बड़ा काम कर रहा है, परंतु इससे लोगों को दिक्कत भी पेश आ रही हैं. वहीं, सरकार को कुछ नुकसान भी हो रहा है. यहां कई जिले ऐसे हैं, जहां माइनिंग का काम नहीं दिया जा सकता.

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