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हिमाचल में इको टूरिज्म साइट ढूंढने को 70 लाख में निजी कंपनी कंसल्टेंट नियुक्त - हिमाचल इको टूरिज्म कंसल्टेंट

प्रदेश में इको टूरिज्म साइट का पता लगाने के लिए वन विभाग ने 70 लाख रुपये में एक निजी कंपनी को कंसल्टेंट नियुक्त किया है. इको टूरिज्म विकसित करने को वन विभाग के 400 से ज्यादा वन विश्राम गृहों में से 55 को विकसित करेगी. पांच हजार फीट से ज्यादा ऊंचाई वाले इन रेस्ट हाउसों के कई हेक्टेयर वाले इलाकों को विभाग कैंपिंग साइट बनाकर यहां टेंट लगाएगा.

Eco Tourism in Himachal
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Published : Dec 8, 2020, 4:05 PM IST

शिमलाः हिमाचल में इको टूरिज्म साइट का पता लगाने के लिए वन विभाग ने भारी भरकम राशि खर्च कर कंसल्टेंट नियुक्त किया है. विभाग ने 70 लाख रुपये में एक निजी कंपनी को कंसल्टेंट नियुक्त किया है. यह फर्म अब पांच महीने में इकाे टूरिज्म साइटाें का पता लगाकर सरकार को बताएगी. इसके बाद वन विभाग इन इकाे टूरिज्म के लिए डेवलप करेगा.

बनेंगे कैंपिंग साइट

प्रदेश में इको टूरिज्म विकसित करने को वन विभाग के 400 से ज्यादा वन विश्राम गृहों में से 55 को विकसित करेगी. पांच हजार फीट से ज्यादा ऊंचाई वाले इन रेस्ट हाउसों के कई हेक्टेयर वाले इलाकों को विभाग कैंपिंग साइट बनाकर यहां टेंट लगाएगा. रेस्ट हाउस कैटरिंग हब के तौर पर इस्तेमाल होगा और आसपास के ट्रैकों को भी दुरुस्त कर देशभर के करीब एक लाख युवाओं को इन साइटों तक लाने का प्रयास किया जाएगा.

विलेज टूरिज्म भी किया जाएगा डेवल्प

यहां उन युवाओं को पैराग्लाइडिंग से लेकर अन्य एडवेंचर गतिविधियां सस्ती दरों पर मुहैया कराई जाएंगी. इन साइटों के जरिये विभाग नई पीढ़ी को हिमाचल से जोड़ने का प्रयास करेगी. सस्ते दाम पर हिमाचल की मनोरम वादियों तक लाया जाएगा ताकि जब वे बड़े हो और छुट्टी का जब भी प्लान बनें तो वह हिमाचल का ही रुख करें. इसके अलावा पहले चरण में जंजैहली के चार गांवों को भी विलेज टूरिज्म के लिहाज से विकसित किया जाएगा.

हिमाचली शाॅल और टोपी पर पेटेंट

इसके अलावा हिमाचली शाॅल और टोपी विश्व विख्यात है. यह भारत सरकार के हस्तकरघा संरक्षण अधिनियम के तहत आरक्षित हैं. इन दोनों का पेटेंट किया गया है. कुल्लू जिला स्थित धरोहर गांव नग्गर के पास सरण गांव को शिल्प हस्तकरघा गांव के रूप में विकसित किया जा रहा है. इसके तहत 118.63 लाख रुपये स्वीकृत किए हैं और राज्य सरकार 13.40 लाख रुपये का योगदान देगी.

वे-साइड एमेनिटीज की सुविधा भी होगी उपलब्ध

प्रदेश सरकार के अनुसार अटल टनल रोहतांग के लोकार्पण से लाहौल-स्पीति जिला पर्यटकों के लिए साल भर खुला रहेगा. पर्यटकों के लिए वे-साइड एमेनिटीज सहित बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाने की आवश्यकता पर बल दिया जा रहा है. जिले में पर्यटन अधोसंरचना को मजबूत बनाने के लिए भी प्रयास किए जाने चाहिए और साथ ही प्रशासन को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि पर्यटक यहां गंदगी न फैलाएं. इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. उन्होंने कहा कि पर्यटन इकाइयां जैसे होम स्टे आदि में स्थानीय संस्कृति और वास्तुकला को भी बढ़ावा देना चाहिए.

ये भी पढ़ें- किसान आंदोलन के समर्थन में शिमला में कांग्रेस का हल्ला बोल, राठौर ने केंद्र पर बोला हमला

ये भी पढ़ें- वामपंथी संगठन का किसान आंदोलन को समर्थन, राजधानी में विक्ट्री टनल को किया जाम

शिमलाः हिमाचल में इको टूरिज्म साइट का पता लगाने के लिए वन विभाग ने भारी भरकम राशि खर्च कर कंसल्टेंट नियुक्त किया है. विभाग ने 70 लाख रुपये में एक निजी कंपनी को कंसल्टेंट नियुक्त किया है. यह फर्म अब पांच महीने में इकाे टूरिज्म साइटाें का पता लगाकर सरकार को बताएगी. इसके बाद वन विभाग इन इकाे टूरिज्म के लिए डेवलप करेगा.

बनेंगे कैंपिंग साइट

प्रदेश में इको टूरिज्म विकसित करने को वन विभाग के 400 से ज्यादा वन विश्राम गृहों में से 55 को विकसित करेगी. पांच हजार फीट से ज्यादा ऊंचाई वाले इन रेस्ट हाउसों के कई हेक्टेयर वाले इलाकों को विभाग कैंपिंग साइट बनाकर यहां टेंट लगाएगा. रेस्ट हाउस कैटरिंग हब के तौर पर इस्तेमाल होगा और आसपास के ट्रैकों को भी दुरुस्त कर देशभर के करीब एक लाख युवाओं को इन साइटों तक लाने का प्रयास किया जाएगा.

विलेज टूरिज्म भी किया जाएगा डेवल्प

यहां उन युवाओं को पैराग्लाइडिंग से लेकर अन्य एडवेंचर गतिविधियां सस्ती दरों पर मुहैया कराई जाएंगी. इन साइटों के जरिये विभाग नई पीढ़ी को हिमाचल से जोड़ने का प्रयास करेगी. सस्ते दाम पर हिमाचल की मनोरम वादियों तक लाया जाएगा ताकि जब वे बड़े हो और छुट्टी का जब भी प्लान बनें तो वह हिमाचल का ही रुख करें. इसके अलावा पहले चरण में जंजैहली के चार गांवों को भी विलेज टूरिज्म के लिहाज से विकसित किया जाएगा.

हिमाचली शाॅल और टोपी पर पेटेंट

इसके अलावा हिमाचली शाॅल और टोपी विश्व विख्यात है. यह भारत सरकार के हस्तकरघा संरक्षण अधिनियम के तहत आरक्षित हैं. इन दोनों का पेटेंट किया गया है. कुल्लू जिला स्थित धरोहर गांव नग्गर के पास सरण गांव को शिल्प हस्तकरघा गांव के रूप में विकसित किया जा रहा है. इसके तहत 118.63 लाख रुपये स्वीकृत किए हैं और राज्य सरकार 13.40 लाख रुपये का योगदान देगी.

वे-साइड एमेनिटीज की सुविधा भी होगी उपलब्ध

प्रदेश सरकार के अनुसार अटल टनल रोहतांग के लोकार्पण से लाहौल-स्पीति जिला पर्यटकों के लिए साल भर खुला रहेगा. पर्यटकों के लिए वे-साइड एमेनिटीज सहित बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाने की आवश्यकता पर बल दिया जा रहा है. जिले में पर्यटन अधोसंरचना को मजबूत बनाने के लिए भी प्रयास किए जाने चाहिए और साथ ही प्रशासन को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि पर्यटक यहां गंदगी न फैलाएं. इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. उन्होंने कहा कि पर्यटन इकाइयां जैसे होम स्टे आदि में स्थानीय संस्कृति और वास्तुकला को भी बढ़ावा देना चाहिए.

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