शिमला: सत्ता का सेमीफाइनल कहे जाने वाले प्रदेश में हुए उपचुनावों के परिणाम घोषित हो गए हैं और इन उपचुनावों में भारतीय जनता पार्टी को मुंह की खानी पड़ी है, भारतीय जनता पार्टी की हार के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी चारों खाने चित हो गए हैं. मंडी लोकसभा क्षेत्र की मंडी लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी की उम्मीदवार प्रतिभा सिंह 7490 वोटों से चुनाव जीत गई है. वहीं इन उपचुनावों 12626 ने लोगों ने नोटा का बटन दबाया.
मंडी संसदीय क्षेत्र के 17 विधानसभा क्षेत्रों में हुए इस लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी की प्रतिभा सिंह को 369565 मत प्राप्त हुए और भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार कुशाल ठाकुर को 362075 मत प्राप्त हुए जिसके कारण प्रतिभा सिंह 7490 मतों से विजय रहीं. इन उपचुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने अपर हिमाचल कहे जाने वाले भरमौर, लाहौल, मनाली, कुल्लू, बंजार, आनी और रामपुर की आठ विधानसभा क्षेत्रों में 129262 मत प्राप्त किए.
वहीं, कांग्रेस पार्टी की उम्मीदवार प्रतिभा सिंह ने इन 8 क्षेत्रों में 176221 मत प्राप्त किए जिससे 46949 का जो आंकड़ा था यह मंडी क्षेत्र पर भारी पड़ा. मंडी जिले के 9 में से 8 विधानसभा क्षेत्रों में भारतीय जनता पार्टी का पलड़ा भारी रहा. मात्र 1 विधानसभा सीट नाचन में कांग्रेस पार्टी हावी रही. मंडी की 9 विधानसभा क्षेत्रों में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार कुशाल ठाकुर को 205519 मत प्राप्त हुए और कांग्रेस की प्रतिभा सिंह को 189393 मत प्राप्त हुए. इस तरह से भाजपा को मंडी जिला में 16126 मतों अधिक प्राप्त हुए.
बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा पांचवीं बार मैदान में उतरी थीं. इससे पहले उन्हें दो बार जीत और दो बार हार मिली है. पहली जीत उन्हें 2004 के आम चुनाव व दूसरी 2013 के उपचुनाव में मिली थी. मंडी संसदीय क्षेत्र उनके परिवार की कर्मभूमि रही है.
उनके पति पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह ने 1971 में मंडी संसदीय क्षेत्र से पहली बार चुनाव लड़ा था. यहीं से चुनाव लड़कर वह केंद्र में मंत्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. प्रतिभा सिंह 1998 में सक्रिय राजनीति में आई थीं. पहला चुनाव इसी संसदीय क्षेत्र से लड़ा था, जब भाजपा के महेश्वर सिंह ने उन्हें करीब सवा लाख मतों से पराजित किया था. महेश्वर सिंह उनके समधी हैं. 1998 में केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी थी. सरकार 13 माह ही चल पाई थी. 1999 में लोकसभा का दोबारा चुनाव हुआ था. प्रतिभा सिंह ने यह चुनाव नहीं लड़ा था.
2004 के आम लोकसभा चुनाव में उन्होंने दूसरी बार अपनी किस्मत आजमाई थी. समधी महेश्वर सिंह से 1998 की हार का बदला लेकर वह पहली बार लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुई थी. 2009 का लोकसभा चुनाव उनके वीरभद्र सिंह ने लड़ा था. 2012 में प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद वीरभद्र सिंह ने लोकसभा से त्यागपत्र दे दिया था. 2013 में उपचुनाव हुआ तो प्रतिभा तीसरी बार मैदान में उतरी.
वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को करीब 1.39 लाख मतों से शिकस्त देकर दूसरी बार संसद सदस्य निर्वाचित हुई थी. इसके साल भर बाद 2014 में लोकसभा चुनाव हुआ था. मोदी लहर में भाजपा के रामस्वरूप शर्मा ने उन्हें 39 हजार से अधिक मतों से पराजित किया था. प्रदेश में उस समय कांग्रेस सरकार थी. प्रतिभा सिंह की हार से सब दंग रह गए थे. करीब सात साल बाद प्रतिभा सिंह दोबारा चुनावी अखाड़े में उतरी थीं.
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