मंडी: हिमाचल में उपचुनाव 2022 के विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल है, लेकिन मंडी लोकसभा सीट का उपचुनाव मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का राजनीतिक भविष्य तय करेंगे. 2022 में हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं. कुल मिलाकर मौजूदा स्थिति यह है कि मुख्यमंत्री पर सबसे अधिक दबाव मंडी लोकसभी सीट को लेकर है. यह मंडी में पार्टी की अस्मिता और मुख्यमंत्री के सियासी कौशल की भी परीक्षा है. यही कारण है कि मुख्यमंत्री का मेन फोकस मंडी लोकसभा सीट पर है.
वहीं, कांग्रेस की स्थिति देखें तो प्रतिभा सिंह सहानुभूति वोटों की आस लगाए हुए हैं. यदि मंडी सीट पर कोई उलटफेर होता है, तो यह भाजपा और खासकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के लिए अबतक का सबसे बड़ा सियासी झटका साबित होगा. कारण यह है कि तीन विधानसभा सीटों के उपचुनाव में नतीजों के उलटफेर के जस्टिफाई करने के लिए प्रदेश भाजपा के पास तर्क होंगे, लेकिन मंडी की हार को आलाकमान के सामने किसी भी रूप में तर्क देकर बचा नहीं जा सकता.
पृष्ठभूमि यह है कि मंडी लोकसभा सीट 2 बार से भाजपा के पास है. खुद पीएम नरेंद्र मोदी की नजर इस परिणाम पर रहेगी. इस बार मंडी लोकसभा सीट पर 12 लाख 99 हजार 563 मतदाता वोट डालेंगे. जिनमें 66 हजार 669 पुरुष वोटर और 63 हजार 8 हजार 894 महिला वोटर हैं. इनमें से 31708 वोटर की उम्र 18 से 19 वर्ष है और यह पहली बार मतदान करेंगे. मंडी संसदीय क्षेत्र में मतदान के लिए 2113 पोलिंग स्टेशन की व्यवस्था की गई है. 1995 मतदन केंद्र ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित हैं. इसके लिए निर्वाचन विभाग की तरफ से एक रिटर्निंग ऑफिसर और 32 सहायक रिटर्निंग ऑफिसर की तैनाती की गई है. मंडी लोकसभा सीट पर शुरुआत से ही कांग्रेस पार्टी का बड़ा दबदबा रहा है.
वर्ष | विजेता उम्मीदवार | पार्टी | वोट | प्रतिशत | कुल वोट |
2019 | राम स्वरुप शर्मा | बीजेपी | 647189 | 69.13 | 936073 |
2014 | राम स्वरूप शर्मा | बीजेपी | 362824 | 50.40 | 719903 |
2009 | वीरभद्र सिंह | कांग्रेस | 340973 | 47.82 | 713026 |
2004 | महेश्वर सिंह | भाजपा | 357623 | 53.41 | 669552 |
1999 | महेश्वर सिंह | भाजपा | 325929 | 62.05 | 525240 |
1998 | महेश्वर सिंह | भाजपा | 304210 | 62.44 | 487238 |
1996 | सुखराम | कांग्रेस | 328186 | 62.44 | 525608 |
भाजपा के पूर्व सांसद राम स्वरूप शर्मा के निधन के बाद मंडी लोकसभा सीट खाली हुई. यहां से भाजपा ने ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर और कांग्रेस ने प्रतिभा सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. यहा राजनीतिक लड़ाई राजपरिवार और सेना के ब्रिगेडियर के बीच है.
ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर मंडी जिला के द्रंग विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले नगवाईं गांव के निवासी हैं. इनके नेतृत्व वाली 18 ग्रेनेडियर ने ना केवल टाइगर हिल और तोलोलिंग पर विजय पताका फहराया, बल्कि कारगिल युद्ध की जीत का रास्ता भी तैयार किया. उनकी टीम ने 20 मई 1999 को तोलोलिंग की चोटी पर बड़ी संख्या में पाकिस्तानी फौज को खदेड़ा था. 8 हजार फीट की ऊंचाई और पथरीली सीधी चढ़ाई, माइनस डिग्री तापमान में छिपने के लिए सिर्फ पत्थर थे. 12 और 13 जून की रात को तोलोलिंग चोटी को फतह किया.
खुशाल ठाकुर का जन्म 9 सितंबर 1954 को हुआ है. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई के बाद इन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन राइट्स दिल्ली से मानवाधिकार में स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त किया है. इनका बेटा भी सेना में ले. कर्नल के पद पर सेवाएं दे रहा है.
चुनाव प्रचार के दौरान गायब रहे जनता के मुद्दे
कांग्रेस ने मंडी लोकसभा उपचुनाव के लिए प्रतिभा सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित किया है. 16 जून 1956 को जुनगा राजघराने में जन्मी प्रतिभा सिंह चौथी बार इस सीट से चुनावी मैदान में उतरी हैं. 2004 में वह मंडी सीट से जीतकर लोकसभा पहुंची थीं. 2009 में वीरभद्र सिंह मंडी से सांसद जीते थे. इसके बाद में 2013 के उपचुनाव में फिर से प्रतिभा सिंह को जीत मिली थी. हालांकि 2014 के लोकसभा चुनावों में प्रतिभा सिंह को राम स्वरूप शर्मा से हार का सामना करना पड़ा था. राज परिवार का कोई सदस्य पहली बार बिना पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वीरभद्र सिंह के चुनावी मैदान में उतरे हैं. ऐसे में कांग्रेस और प्रतिभा सिंह के लिए ये खालीपन भी खला.
चुनाव प्रचार के दौरान जनता की समस्याएं उठाने के बजाय दोनों ही राजनीतिक दलों की तरफ से विवादित बयानों की झड़ी लगी रही. शुरुआती दौर में ही कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा सिंह ने भाजपा के उम्मीदवार ब्रिगेडियर खुशाल सिंह ठाकुर को लेकर विवादित बयान दिया था. उन्होंने कारगिल युद्ध पर ही सवाल खड़े करते हुए इसे मामूली घुसपैठ करार दे दिया. इसके बाद विवादित बयानों की बाढ़ आ गयी. किसी का भी जनता की समस्याओं की तरफ कोई ध्यान नहीं गया.
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इसके बाद भाजपा की तरफ से विधायक जवाहर ठाकुर ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि हमारी माताएं बहनें, जिनका पति इस श्रृष्टि में नहीं रहते हैं, वो कम से कम एक साल तक मातम मनाती हैं. इसके बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता सतपाल सिंह सत्ती ने फतेहपुर उपचुनाव के प्रचार के दौरान कहा कि अभी वीरभद्र सिंह को स्वर्ग सिधारे दो-अढ़ाई महीने हुए हैं. हमारे परिवारों में जब किसी के पति की मौत हो जाती है, महिलाएं घर से बाहर नहीं निकलती हैं.
सत्ती ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने प्रतिभा सिंह को इतना मजबूर कर दिया. जब उनके ध्यान में आया कि मंडी संसदीय क्षेत्र में जयराम ठाकुर का डंका बज रहा है, तो प्रतिभा को बयान देना पड़ा कि वह चुनाव लड़ना ही नहीं चाहती हैं. उन्हें पार्टी ने जबरदस्ती लड़ा दिया. हालांकि इसके बाद सीएम जयराम ठाकुर ने अपने नेताओं को हिदायत भी दी.
यह बयानबाजी खत्म ही हुई थी कि कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने भी भाजपा नेता राम स्वरूप शर्मा की मौत का मामला उठाकर माहौल गरमा दिया. द्रंग विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान कटौला में आयोजित चुनावी जनसभा के दौरान कहा कि राम स्वरूप शर्मा की आत्महत्या की तो कांग्रेस ने सीबीआई जांच करवाने की मांग उठाई थी, लेकिन सरकार ने यह कहकर इस मांग को खारिज कर दिया कि अगर परिवार वाले कहेंगे तो ही जांच करवाई जाएगी.
आज परिवार वाले खुद जांच की मांग कर रहे हैं और भाजपा सरकार इस पर चुप्पी साधे हुए हैं. अब बारी कांग्रेस की वरिष्ठ नेता आशा कुमारी की थी. उन्होंने सीएम जयराम ठाकुर और भाजपा नेताओं के बयान पर प्रतिक्रिया दी. आशा कुमारी ने कहा कि रावण ने भी सीता माता को मजबूर समझा था, लेकिन सीता माता मजबूर, नहीं मजबूत थीं. बाद में रावण का क्या हाल हुआ था.
मंडी संसदीय क्षेत्र में सड़कों की खराब हालत और महंगाई जनता के सबसे बड़े मुद्दे थे, लेकिन किसी भी राजनीतिक दल ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया. इसके अलावा मुख्यमंत्री जयराम भी मंडी संसदीय क्षेत्र से हैं. मंडी जिला के अधिकांश विधानसभा क्षेत्रों में विकासात्मक कार्यों की धीमी रफ्तार से भी क्षेत्र की जनता में खासा रोष है.
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