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अंबेडकर की पुण्यतिथि: सीएम जयराम ने शिमला में बाबा साहब को दी श्रद्धांजलि - अंबेडकर की पुण्यतिथि

डॉ. भीम राव अंबेडकर की पुण्यतिथि पर सीएम जयराम ठाकुर ने उनको श्रद्धांजली अर्पित की. डॉ. अंबेडकर को याद करते हुए कहा कि भारत के संविधान निर्माण में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया था

CM Jairam paid tribute to Dr. Ambedka
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Published : Dec 6, 2019, 3:28 PM IST

शिमलाः डॉ. भीम राव अंबेडकर की पुण्यतिथि पर सीएम जयराम ठाकुर ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस मौके पर सीएम ने भीम राव अंबेडकर को याद करते हुए कहा कि डॉ. अंबेडकर का भारत के लिए अमूल्य योगदान रहा है. भारत की आजादी के लिए उनके संघर्ष को कभी भुलाया नहीं जा सकता. आजादी के बाद उन्होंने संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि आजाद भारत के लिए संविधान डॉ. अंबेडकर की ओर से दिया गया सबसे बड़ा पुरस्कार है. भारतीय हमेशा उनके योगदान को याद रखेंगे.

वीडियो.

गौरतलब है कि डॉक्टर भीमराव अंबेडर ने 6 दिसंबर 1956 के दिन अंतिम सांस ली थी. उन्हें बाबासाहेब अंबेडकर के नाम से भी जाना जाता है. अंबेडकर की याद में उनकी पुण्यतिथि महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है. आजाद भारत के वो पहले विधि एवं न्याय मंत्री बने. अंबेडकर को ही भारतीय संविधान का जनक माना जाता है.

डॉ. अंबेडकर स्कूली दिनों से ही पढ़ाई में अव्वल थे लेकिन तत्कालीन समाज में उन्हें जाति के आधार पर कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा. मुंबई से डिग्री लेने के बाद उनका चयन अमेरिका की विश्व प्रसिद्ध कोलंबिया यूनिवर्सिटी में हो गया. यहां से उन्होंने राजनीतिक विज्ञान में ग्रेजुएशन किया. 1916 में उन्हें पीएचडी अवॉर्ड की गई और यहीं से उनके नाम के आगे डॉक्टर लग गया.

ये भी पढ़ें- सीएम के दौरे पर राजेन्द्र राणा ने कसा तंज, कहा- हमीरपुर को विकास के नक्शे से किया बाहर

शिमलाः डॉ. भीम राव अंबेडकर की पुण्यतिथि पर सीएम जयराम ठाकुर ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस मौके पर सीएम ने भीम राव अंबेडकर को याद करते हुए कहा कि डॉ. अंबेडकर का भारत के लिए अमूल्य योगदान रहा है. भारत की आजादी के लिए उनके संघर्ष को कभी भुलाया नहीं जा सकता. आजादी के बाद उन्होंने संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि आजाद भारत के लिए संविधान डॉ. अंबेडकर की ओर से दिया गया सबसे बड़ा पुरस्कार है. भारतीय हमेशा उनके योगदान को याद रखेंगे.

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गौरतलब है कि डॉक्टर भीमराव अंबेडर ने 6 दिसंबर 1956 के दिन अंतिम सांस ली थी. उन्हें बाबासाहेब अंबेडकर के नाम से भी जाना जाता है. अंबेडकर की याद में उनकी पुण्यतिथि महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है. आजाद भारत के वो पहले विधि एवं न्याय मंत्री बने. अंबेडकर को ही भारतीय संविधान का जनक माना जाता है.

डॉ. अंबेडकर स्कूली दिनों से ही पढ़ाई में अव्वल थे लेकिन तत्कालीन समाज में उन्हें जाति के आधार पर कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा. मुंबई से डिग्री लेने के बाद उनका चयन अमेरिका की विश्व प्रसिद्ध कोलंबिया यूनिवर्सिटी में हो गया. यहां से उन्होंने राजनीतिक विज्ञान में ग्रेजुएशन किया. 1916 में उन्हें पीएचडी अवॉर्ड की गई और यहीं से उनके नाम के आगे डॉक्टर लग गया.

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Intro:शिमला। डॉ. भीम राव अम्बेडकर की पुण्यतिथि पर मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने उनको याद करते हुए कहा कि डॉ. अम्बेडकर का भारत जे लिए अमूल्य योगदान रहा है। भारत की आजादी के लिए उनके संघर्ष को कभी भुलाया नहीं जा सकता। आजादी के बाद उन्होंने संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह आजाद भारत के लिए उनका सबसे बड़ा तोहफा है। भारतीय हमेशा उनके योगदान को याद रखेंगे। Body:डॉक्टर भीमराव आंबेडर ने 6 दिसंबर 1956 यानी आज ही के दिन अंतिम सांस ली थी। उन्हें बाबासाहेब आंबेडर के नाम से भी जाना जाता है। डॉक्टर आंबेडकर की याद में उनकी पुण्यतिथि महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है। आजाद भारत के वो पहले विधि एवं न्याय मंत्री बने। आंबेडकर ही भारतीय संविधान के जनक हैं।

Conclusion:बाबा साहेब आंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के एक गांव में हुआ। हालांकि, परिवार मूल रूप से महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले से था। पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमाभाई थी। आंबेडकर स्कूली दिनों से ही पढ़ाई में अव्वल थे लेकिन तत्कालीन समाज में उन्हें जाति के आधार पर कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उनकी कुशाग्रता की वजह से उनके अध्यापक उनसे काफी स्नेह रखते थे। मुंबई से डिग्री लेने के बाद उनका चयन अमेरिका की विश्व प्रसिद्ध कोलंबिया यूनिवर्सिटी में हो गया। यहां से उन्होंने पॉलिटिकल साइंस यानी राजनीतिक विज्ञान में ग्रेजुएशन किया। 1916 में उन्हें पीएचडी अवॉर्ड की गई और यहीं से उनके नाम के आगे डॉक्टर लग गया।
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