शिमला: छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल के लिए साल 2024 आर्थिक संकट से जुड़ी खबरों के लिए जाना जाएगा. साल 2024 में वित्त आयोग की टीम हिमाचल आई थी. सरकार ने वित्त आयोग की टीम के समक्ष राज्य की आर्थिक हालत का ब्यौरा पेश किया. उसके बाद हिमाचल में सरकारी कर्मियों के वेतन व पेंशन पर होने वाले खर्च व कर्ज से जुड़ी खबरें सुर्खियां बटोरती रहीं. फिर अचानक ऐसा हुआ कि हिमाचल के इतिहास में कर्मचारियों को महीने की पहली तारीख को वेतन नहीं मिला. पेंशनर्स भी पेंशन से वंचित रहे.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू व उनकी कैबिनेट ने अपनी दो महीने की सैलरी विलंबित की. दिवाली से पहले केंद्र सरकार ने केंद्रीय करों में हिस्सेदारी की एक महीने की एडवांस राशि सभी राज्यों को दी. हिमाचल को दो महीने की राशि मिली तो सुखविंदर सरकार ने दिवाली से पहले कर्मचारियों को वेतन व पेंशनर्स को पेंशन के साथ चार फीसदी डीए भी दे दिया. इस बीच, एक अदालती मामले में हाईकोर्ट ने नई दिल्ली के हिमाचल भवन को कुर्क करने के आदेश जारी किए. खैर, हिमाचल सरकार ने 64 करोड़ की अपफ्रंट मनी ब्याज सहित जमा करवा दी. साल की शुरुआत से लेकर अंत तक जो आर्थिक खबरें सुर्खियों में रही, ईटीवी की सीरीज ईयर एंडर में उनकी चर्चा दिलचस्प रहेगी.
सीएम सुक्खू का दूसरा बजट, विकास के लिए सौ में से 28 रुपए
वर्ष 2024 में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने कार्यकाल का दूसरा बजट पेश किया. इस बजट का आकार 58444 करोड़ रुपए का था. यह पिछले बजट से 5031 करोड़ रुपए अधिक था. अपने कार्यकाल के दूसरे बजट में सीएम ने व्यवस्था परिवर्तन से आत्मनिर्भर हिमाचल बनाने का दावा किया. बजट में सीएम ने मनरेगा श्रमिकों से लेकर शहरी निकाय, पंचायत प्रतिनिधियों, जिला परिषद प्रतिनिधियों सहित आशा वर्कर, वाटर कैरियर तक को मानदेय बढ़ोतरी के तौर पर कुछ न कुछ राहत दी. बजट ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर फोकस था.
पशुपालकों के लिए दूध में न्यूनतम समर्थन मूल्य की बात कही गई थी. साथ ही चार प्रतिशत डीए भी देने की घोषणा थी. डीए के भुगतान से खजाने पर 580 करोड़ का बोझ आया. बजट के अनुसार हिमाचल का राजकोषीय घाटा उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था. बजट में सौ रुपए को मानक रखने पर वेतन पर 25 रुपए, पेंशन पर 17 रुपए, ब्याज अदायगी पर 11 रुपए, लोन अदायगी पर 9 रुपए ग्रांट पर 10 रुपए खर्च का ब्यौरा दर्ज था. इससे विकास के लिए महज 28 रुपए ही बचे. बाद में रिवाज के अनुसार मीडिया से चर्चा हुई तो सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दावा किया कि वर्ष 2032 तक हिमाचल को देश का सबसे संपन्न राज्य बनाया जाएगा. यह 17 फरवरी की बात थी, लेकिन जनवरी में साल आरंभ हुआ और ठीक नौ महीने पूरे होते ही आर्थिक संकट पैदा हो गया. ये संकट वेतन और पेंशन की अदायगी के रूप में आया. सितंबर महीने में पहली बार ऐसा हुआ कि कर्मियों को वेतन व पेंशनर्स को पेंशन पहली तारीख को नहीं मिली.
मानसून सेशन में शुरू हुई संकट की बारिश
हिमाचल विधानसभा का मानसून सेशन चल रहा था. गुरुवार 29 अगस्त को अचानक सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में एक ऐसी बात कही कि पूरे देश में सियासी शोर मच गया. सीएम ने कहा कि राज्य में आर्थिक संकट है और वे अपना दो महीने का वेतन विलंबित कर रहे हैं. यानी सीएम, उनकी कैबिनेट के सदस्य व कैबिनेट रैंक प्राप्त नेता दो महीने तक वेतन नहीं लेंगे. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना था कि सरकार को पहली तारीख को वेतन व पेंशन देने के लिए कई बार कर्ज लेना पड़ता है. लिए गए कर्ज के ब्याज पर हर महीने तीन करोड़ रुपए खर्च होते हैं. साल भर में ये रकम 36 करोड़ रुपए बनती है. उसी रकम को बचाने के लिए ये स्टेप लिया गया. खैर, जिस समय सीएम सुक्खू ने अपना व कैबिनेट का दो महीने का वेतन विलंबित अथवा डिले किया, उसी समय ये अटकलें लगना शुरू हो गई थी कि साल 2024 में सितंबर महीने में पहली तारीख को कर्मचारियों को भी वेतन नहीं मिलेगा. साथ ही पेंशनर्स की पेंशन भी नहीं आएगी.
पहली सितंबर को सच हो गई अटकलें
जैसे ही सितंबर महीने की पहली तारीख आई, ये अटकलें सच साबित हो गई. हालांकि पहली सितंबर को रविवार था तो उम्मीद थी कि सोमवार दो सितंबर को वेतन व पेंशन जारी हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हिमाचल के इतिहास में ये पहला मौका था, जब पहली तारीख को वेतन व पेंशन बैंक खाते में नहीं आई. कर्मचारी व पेंशनर्स दिन भर बैंक के मैसेज का इंतजार करते रहे. पांच बजे तक सभी को हल्की सी आस थी कि वेतन शायद आ जाए. लेकिन वेतन को नहीं आना था और वो नहीं आया. फिर ये आशंका पैदा हो गई कि ये व्यवस्था कहीं हर महीने के लिए तो लागू नहीं हो रही. हिमाचल में वेतन व पेंशन का महीने का खर्च 2000 करोड़ रुपए है. इसमें वेतन पर 1200 करोड़ व पेंशन पर 800 करोड़ रुपए से अधिक खर्च होते हैं. अभी राज्य सरकार को संशोधित वेतनमान के एरियर के ही 8000 करोड़ रुपए से अधिक चुकाने हैं. इसके अलावा 11 फीसदी डीए भी बकाया है. यदि ये डीए एक साथ देना हो तो सालाना 1700 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ खजाने पर आएगा.
देश भर में हो गई चर्चा, हिमाचल में वेतन देने के लाले
जब सितंबर महीने में पहली तारीख को वेतन व पेंशन नहीं आई तो इसकी चर्चा देश भर में हो गई. जेएंडके से लेकर हरियाणा व फिर महाराष्ट्र के चुनाव में हिमाचल की कांग्रेस सरकार की चर्चा होने लगी. रैलियों में पीएम नरेंद्र मोदी तक ने कहा कि हिमाचल में वेतन के लाले पड़ गए हैं. हालांकि, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू इसे फाइनेंशियल प्रूडेंस के नाम से पुकारते रहे. यानी आर्थिक नियंत्रण, आर्थिक संयम, आर्थिक प्रबंधन. खैर, इस बीच अक्टूबर महीने में दिवाली आई. अक्टूबर के आखिर में दिवाली थी.
केंद्र सरकार से राज्यों को केंद्रीय करों में हिस्सेदारी की एक महीने की रकम एडवांस में दी गई. सुखविंदर सिंह सरकार को मौका अच्छा लगा. सरकार ने दिवाली से पहले ही नवंबर महीने का वेतन व पेंशन एडवांस में दे दिया. साथ ही चार फीसदी डीए भी दिया. इस तरह सरकार ने वाहवाही लूट ली, लेकिन भाजपा ये कहती रही कि केंद्रीय करों में हिस्सेदारी की रकम एडवांस में आने से ये संभव हुआ. बाद में सीएम सुक्खू ने मीडिया के माध्यम से बार-बार ये बात कही कि उनकी सरकार पहली ऐसी सरकार है, जिसने एक महीने में दो बार वेतन दिया.
...तो बंद कर दो पर्यटन निगम के होटल
आर्थिक संकट का विस्तार हिमाचल के पर्यटन विकास निगम के होटलों को बंद करने के अदालती आदेश के रूप में भी आया. दरअसल, पर्यटन विकास निगम से सेवानिवृत्त कुछ कर्मियों को उनके तय वित्तीय लाभ अदा नहीं किए गए. मामला अदालत में आया तो हाईकोर्ट ने निगम से वित्तीय स्थिति को लेकर आंकड़े मांगे. बाद में हाईकोर्ट ने नवंबर में पर्यटन निगम के 18 होटलों को बंद करने के आदेश जारी कर दिए. हाईकोर्ट का कहना था कि ऐसा क्या कारण है कि निजी होटल लाभ में हैं और पर्यटन विकास निगम के होटलों में ऑक्यूपेंसी कम है. हालांकि, बाद में सरकार को राहत मिली और हाईकोर्ट ने इन्हें चलाने के लिए मार्च 2025 तक का समय दिया और कहा कि उस समय तक इन्हें लाभ में लाना होगा.
एक अन्य मामला दिल्ली के हिमाचल भवन को कुर्क करने से जुड़ा पेश आया. एक हाइड्रो पावर कंपनी की 64 करोड़ की अपफ्रंट मनी वापस न करने पर हाईकोर्ट ने दिल्ली के हिमाचल भवन की कुर्की के आदेश जारी किए. बाद में सरकार ने हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में तय रकम ब्याज सहित जमा करवाई तो हिमाचल भवन कुर्क होने से बचा. ये बात अलग है कि सीएम व डिप्टी सीएम मीडिया के समक्ष ये दावा करते रहे कि हिमाचल भवन को कोई छू नहीं सकता, लेकिन ये सत्य है कि हिमाचल में आर्थिक संकट विकट जरूर है. राज्य पर 90 हजार करोड़ रुपए का कर्ज हो गया है. अगले साल हिमाचल कर्ज के मामले में उन राज्यों में शामिल हो जाएगा, जिन पर एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है. लोन लिमिट कम हो गई है, रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट घट गई है, वेतन व पेंशन का बोझ लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में घोर आर्थिक संकट से कोई इनकार नहीं कर सकता. ये बात अलग है कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू वर्ष 2027 तक प्रदेश को आत्मनिर्भर व 2032 तक देश का सबसे अमीर राज्य बनाने का दावा कर रहे हैं.
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