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हिमाचल प्रदेश की एक लाख से अधिक लड़कियों के लिए वरदान साबित हुई 'बेटी है अनमोल योजना' - अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस

बेटियों की पढ़ाई को बढ़ावा देने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा आरंभ की गई 'बेटी है अनमोल योजना' कारगर साबित हो रही है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य बेटियों को शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाना, लिंगानुपात में सुधार करना और लड़कियों को आत्मनिर्भर बनने में सहायता करना है. प्रदेश में लाखों लड़कियां इस योजना का लाभ उठा रही हैं.

बेटी है अनमोल योजना
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Published : Sep 26, 2021, 4:14 PM IST

Updated : Sep 26, 2021, 4:33 PM IST

शिमला: राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश की बालिकाओं को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि समाज में उनके लिए सुरक्षित और सम्मानजनक स्थान सुनिश्चित किया जा सके. राज्य में बालिकाओं के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं.

बेटी है अनमोल योजना जरूरतमंद पात्र परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करने में लाभकारी सिद्ध हो रही है. योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले चिन्हित परिवारों की दो बालिकाओं के जन्म के पश्चात प्रत्येक बालिका की दर से 12-12 हजार रुपये प्रदान किए जा रहे हैं. बालिका के बैंक या डाकघर खाते में 12 हजार रुपये की राशि जमा की जाती हैं, जिसे 18 वर्ष की आयु पूरी होने पर निकाला जा सकता है. इस योजना का उद्देश्य लिंगानुपात में सुधार करना और लड़कियों को आत्मनिर्भर बनने में सहायता करना है.

प्रदेश में लड़कियों को सुशिक्षित बनाने के लिए राज्य में स्कूली शिक्षा से लेकर स्नातक तक बालिकाओं को छात्रवृत्तियां भी प्रदान की जाती हैं. प्रदेश में बालिकाओं को वार्षिक आधार पर छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है. राज्य में बालिकाओं को पहली से तीसरी कक्षा तक प्रतिवर्ष 450 रुपये, चौथी कक्षा में 750 रुपये, पांचवीं कक्षा में 900 रुपये, कक्षा छठी से सातवीं में 1050, आठवीं कक्षा में 1200 रुपये, नौवीं कक्षा से दसवीं कक्षा में 1500 रुपये और 11वीं और 12वीं कक्षा में 2250 रुपये तथा स्नातक स्तर पर पांच हजार रुपये प्रतिवर्ष छात्रवृत्ति प्रदान की जा रही है.

बेटी है अनमोल योजना के अन्तर्गत 1 जनवरी 2018 से 30 जून 2021 तक 3091.56 रुपये लाख खर्च किए गए हैं. इस योजना के अन्तर्गत पहले चरण में 16443 और दूसरे चरण में 87179 बालिकाएं लाभान्वित हुई हैं. वर्ष 2018-19 में पहले चरण में 1131.45 लाख रुपये से लगभग 5730 बालिकाएं लाभान्वित हुईं, जबकि दूसरे चरण में 25718 लड़कियों ने योजना का लाभ उठाया है.

वहीं , वर्ष 2019-20 में पहले चरण में 1211.68 रुपये से 5929 बालिकाओं और दूसरे चरण में 34926 बालिकाओं को लाभान्वित किया गया हैं. वर्ष 2020-21 में योजना के तहत पहले चरण में 748.43 लाख रुपये से 4784 लड़कियों को लाभान्वित किया गया है, जबकि दूसरे चरण में 26535 लड़कियों ने योजना का लाभ उठाया है. इसके अतिरिक्त, बालिकाओं के उत्थान के लिए और बालिकाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, राज्य सरकार ने जन्म के पश्चात 21 हजार रुपये के अनुदान के प्रावधान की भी घोषणा की है.

ये भी पढ़ें : मेडिकल कॉलेज चंबा में स्टाफ की कमी के मुद्दे पर आशा कुमारी ने जयराम सरकार पर बोला जुबानी हमला

शिमला: राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश की बालिकाओं को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि समाज में उनके लिए सुरक्षित और सम्मानजनक स्थान सुनिश्चित किया जा सके. राज्य में बालिकाओं के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं.

बेटी है अनमोल योजना जरूरतमंद पात्र परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करने में लाभकारी सिद्ध हो रही है. योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले चिन्हित परिवारों की दो बालिकाओं के जन्म के पश्चात प्रत्येक बालिका की दर से 12-12 हजार रुपये प्रदान किए जा रहे हैं. बालिका के बैंक या डाकघर खाते में 12 हजार रुपये की राशि जमा की जाती हैं, जिसे 18 वर्ष की आयु पूरी होने पर निकाला जा सकता है. इस योजना का उद्देश्य लिंगानुपात में सुधार करना और लड़कियों को आत्मनिर्भर बनने में सहायता करना है.

प्रदेश में लड़कियों को सुशिक्षित बनाने के लिए राज्य में स्कूली शिक्षा से लेकर स्नातक तक बालिकाओं को छात्रवृत्तियां भी प्रदान की जाती हैं. प्रदेश में बालिकाओं को वार्षिक आधार पर छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है. राज्य में बालिकाओं को पहली से तीसरी कक्षा तक प्रतिवर्ष 450 रुपये, चौथी कक्षा में 750 रुपये, पांचवीं कक्षा में 900 रुपये, कक्षा छठी से सातवीं में 1050, आठवीं कक्षा में 1200 रुपये, नौवीं कक्षा से दसवीं कक्षा में 1500 रुपये और 11वीं और 12वीं कक्षा में 2250 रुपये तथा स्नातक स्तर पर पांच हजार रुपये प्रतिवर्ष छात्रवृत्ति प्रदान की जा रही है.

बेटी है अनमोल योजना के अन्तर्गत 1 जनवरी 2018 से 30 जून 2021 तक 3091.56 रुपये लाख खर्च किए गए हैं. इस योजना के अन्तर्गत पहले चरण में 16443 और दूसरे चरण में 87179 बालिकाएं लाभान्वित हुई हैं. वर्ष 2018-19 में पहले चरण में 1131.45 लाख रुपये से लगभग 5730 बालिकाएं लाभान्वित हुईं, जबकि दूसरे चरण में 25718 लड़कियों ने योजना का लाभ उठाया है.

वहीं , वर्ष 2019-20 में पहले चरण में 1211.68 रुपये से 5929 बालिकाओं और दूसरे चरण में 34926 बालिकाओं को लाभान्वित किया गया हैं. वर्ष 2020-21 में योजना के तहत पहले चरण में 748.43 लाख रुपये से 4784 लड़कियों को लाभान्वित किया गया है, जबकि दूसरे चरण में 26535 लड़कियों ने योजना का लाभ उठाया है. इसके अतिरिक्त, बालिकाओं के उत्थान के लिए और बालिकाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, राज्य सरकार ने जन्म के पश्चात 21 हजार रुपये के अनुदान के प्रावधान की भी घोषणा की है.

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Last Updated : Sep 26, 2021, 4:33 PM IST
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