शिमला: कोराना संकट काल में सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही 108 एंबुलेंस लोगों को आपातकाल सेवाएं देने में डटी हुई हैं. कोरोना मरीजों को घर से कोविड केयर सेंटर शिफ्ट करना हो या फिर गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचाना हो, 108 एंबुलेंस लोगों की सेवा में हाजिर होती हैं.
प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. साथ ही मौत का आंकड़ा भी बढ़ रहा है. ऐसे में कोरोना से संक्रमितों मरीजों के लिए कुछ दिन पहले तक 108 सेवा की 47 एंबुलेंस लगाई गई थी, लेकिन जैसे ही कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा होने लगा. स्वास्थ्य विभाग ने एंबुलेंस की संख्या 13 और बढ़ा दी. मौजूदा समय में 60 एंबुलेंस का इस्तेमाल स्वास्थ्य विभाग कर रहा है. हिमाचल में 108 सेवा की 198 एंबुलेंस मौजूद हैं. इनमें से 20 खराब स्थिति में खड़ी हैं.
एंबुलेंस में सभी जरूरी सुविधाएं मौजूद
प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी के प्रशासनिक अधिकारी राहुल गुप्ता बताते हैं कि इन एंबुलेंस में मेडिकल स्टॉफ के साथ-साथ ऑक्सीजन से लेकर सभी जरूरी मेडिसिन मौजूद होती हैं. ताकि आपातकाल की स्थिति में इनका इस्तेमाल कर समय रहते ही मरीज को अस्पताल या डेडिकेटेड कोविड सेंटर तक पहुंचाया जा सके.
कोविड पॉजिटिव मरीजों को समय रहते नहीं मिली सुविधा
कोविड से जंग जीत चुके कई लोगों का कहना है कि संक्रमण के दौरान उन्हें समय रहते 108-102 एंबुलेंस सेवाओं का लाभ नहीं मिल पाया. मजबूरन उन्हें अपने निजी वाहनों से कोविड केयर सेंटर तक पहुंचना पड़ा. लोगों का कहना है कि कोरोना काल में चलाई जा रही एंबुलेंस की संख्या काफी नहीं है. स्वास्थ्य विभाग को एंबुलेंस की संख्या बढ़ानी चाहिए, ताकि दूरस्थ इलाकों में रहने वाले कोविड संक्रमित व्यक्ति अस्पताल पहुंच सके.
मौके का फायदा उठा रहे निजी एंबुलेंस संचालक
कोरोना महामारी के इस भयावह दौर में मरीज को जिंदगी बचाने का एंबुलेंस अहम जरिया होती है. लेकिन निजी एंबुलेंस के मालिक इसे मुनाफा कमाने का जरिया बना लिया है. लोगों को अस्पताल पहुंचाने या अस्पताल से घर पहुंचाने के लिए दोगुना किराया वसूल रहे हैं.
24 घंटे सेवाएं दे रहे एंबुलेंस कर्मचारी
108-102 एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष पूर्णचंद का कहना है कि परिवार से दूर रहते हुए भी एंबुलेंस कर्मचारी फ्रंट लाइन पर कोरोना महामारी से लड़ने के लिए सातों दिन 24 घंटे फील्ड में खड़े हैं. एंबुलेंस कर्मी घर परिवार से दूर रहकर लोगों की सेवाओं में जुटे हुए हैं. इनता ही नहीं कोरोना से मरने वालों लोगों के शवों के अंतिम संस्कार के लिए शमशान घाट तक पहुंचाने में यह एंबुलेंस सहारा बन रही है.
साल 2020 सामने आई थी एंबुलेंस कर्मचारी की लापरवाही
एंबुलेंस कर्मचारी की लापरवाही से किसी भी कोरोना मरीज की जान गई हो, ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है. लेकिन साल 2020 में ऐसा देखने को मिला था. कोरोना संक्रमित एक व्यक्ति को बिलासपुर से आईजीएमसी रेफर किया गया था. रास्ते में व्यक्ति की मौत हो गई थी. इसके बाद 108 एंबुलेंस के कर्मचारी शव को आईजीएमसी परिसर में छोड़कर चले गए. कोरोना संक्रमित व्यक्ति का शव करीब 4 घंटे तक वहीं लावारिस हालत में पड़ा रहा.